हैदराबाद: 27 जनवरी को हैदराबाद लिटरेरी फेस्टिवल में ‘परछाई, इस्मत और मंटो की’ का सफल मंचन किया गया> कहानी में इस्मत का किरदार श्रीमती संघमित्रा मालिक ने और मंटो का किरदार सुहास भटनागर ने निभाया और कहानी का संचालन रवि वैद ने किया। मंचन, सत्तवा नॉलेज सिटी में ओरवेल 2 सभागार में किया गया।
खचाखच भरे हॉल में पहले रवि वैद ने अपने अनोखे अंदाज़ में संघमित्रा का परिचय इस्मत चुगताई के रूप में और सुहास भटनागर का परिचय मंटो के रूप में कराया। मोमबत्ती को जला कर कहानी की शुरुआत हुई। पहले अपनी कहानी कौन पढ़ेगा का निर्णय पर्ची निकाल कर किया गया। पर्ची सुदेष्ना सामंत ने निकाली।
![](https://telanganasamachar.online/wp-content/uploads/2024/01/SUHAS.1.jpeg)
पहले इस्मत चुगताई ने अपनी कहानी सुनाई। इस्मत की चुलबुली बातों ने दर्शकों को बहुत हंसाया। संघमित्रा मलिक के कहानी पढ़ते हुए चहरे के भाव और आवाज़ ने तो समां ही बाँध दिया। इस्मत ने होली के त्यौहार का ज़िक्र किया और कैसे वो और मंटो मिलकर नसीम बनो के घर होली खेलने गए। इस दौरान सभागार में काफ़ी ठहाके गूंज उठे।
फिर बारी आई मंटो की। मंटो ने इस्मत से अपनी पहली मुलाक़ात के बारे में बताया और एक किस्सा भी सुनाया, जब वो और उनकी बीवी सफ़िया एक रोज़ दावत नामे पर इस्मत के घर गए थे। सुहास भटनागर के चहरे पर बंटवारे का दर्द भी उभर कर आया, जब मंटो का किरदार अदा करते हुए उन्होंने बताया कि वो क्यों हिन्दुस्तान छोड़ कर पकिस्तान के लाहौर शहर में चले गए थे। मंटो ने अपने किरदारों की भी बातें कीं। अंत में रवि वैद ने मंटो का क़त्बा भी पढ़ा, इस दौरान मंटो स्टेज पर सर झुकाए खड़े रहे।
संबंधित खबर:
संघमित्रा ने पटकथा को पसंद करते हुए बताया कि उनको अपने बचपन की याद आई। जब उनके पापा अशोक कुमार के साथ ‘चल चल रे नौजवान’ की शूटिंग देखने गए थे और नसीम बनो के बारे में बचपन में संघमित्रा को बताया था।
‘परछाई, इस्मत और मंटो’ की पटकथा सुहास भटनागर ने अपनी रिसर्च के अनुसार लिखी। पोस्टर नेहा सुराना भंडारी ने बनाए और सभी ने मिलकर सेट को सजाया। परछाई की टीम ने कहा कि उनकी हैदराबाद लिटरेरी फेस्टिवल में प्रस्तुति कहानीवाला समूह की एक बड़ी उपलब्धि है। पूरी टीम ने हैदराबाद लिटरेरी फेस्टिवल का श्रीमती किन्नेरा मूर्ति और स्टोरी टेलिंग इंचार्ज डॉक्टर उमा दामोदर का आभार प्रकट किया।