‘हिन्दी भाषा शिक्षण’ पुस्तक लोकार्पित, डॉ सुरभि दत्त ने किताब के आंतरिक और बाह्य गुणों पर डाला प्रकाश

हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र के सौजन्य से ”हिंदी भाषा शिक्षण’ नामक पुस्तक का लोकार्पण हुआ, जो नीलकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित है। डॉ राजीव कुमार सिंह और डॉ शिवमूर्ति शर्मा इस पुस्तक के लेखक हैं।

पुस्तक का संपादन केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने किया है। उन्होंने पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता भी की।

मुख्य अतिथि के रूप में हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति प्रो. आर. एस. सर्राजु ने शुभकामनाएं दीं। माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित हिंदी महाविद्यालय की पूर्व उप प्राचार्य डॉ सुरभि दत्त ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की। विशिष्ट अतिथि के रूप में नीलकमल प्रकाशन से सुरेश चंद्र शर्मा तथा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद बी.एड. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सी. एन. मुगुत्कर उपस्थित रहे।

आत्मीय अतिधि डॉ. फत्ताराम नायक और शहर की विभिन्न साहित्यिक विभूतियाँ जैसे डॉ. रमा द्विवेदी, सुनीता लुल्ला, डॉ. दयाशंकर प्रसाद, रेखा अग्रवाल आदि उपस्थित रहे। तेलंगाना राज्य के गुरुकुल अध्यापकों की इस कार्यक्रम में सक्रिय उपस्थिति रही। गुरुकुल विद्यालय की हिंदी अध्यापिका शिल्पा ने कार्यक्रम का संचालन किया। केंद्रीय हिंदी संस्थान से डॉ. एस. राधा, सजग तिवारी, संदीप. मस्तान आदि ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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कार्यक्रम के अध्यक्ष और लोकार्पित पुस्तक के संपादक प्रो. गंगाधर वानोडे ने कहा कि भारतीय भाषाओं में शिक्षा और विज्ञान संबंधी पुस्तकों का प्रकाशन बहुत जरूरी है। क्योंकि भारतीय भाषाओं में शिक्षण तभी संभव हो सकता है जब उनमें प्रयाप्त पुस्तके उपलब्ध हों।

मुख्य अतिथि प्रो. आर. एस. सरांजु ने पुस्तक प्रकाशन के लिए बधाई देते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21 वीं सदी के बालकों की क्षमता और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हमें शिक्षा में तकनीक के प्रयोग पर बल देना चाहिए। उन्होंने केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा भाषा और शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। नीलकमल प्रकाशन द्वारा किए जा रहे शिक्षा संबंधी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए उन्हें बधाई दी।

माननीय अतिथि डॉ. सुरभि दत्त ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए पुस्तक के आंतरिक और बाह्य गुणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने नीलकमल प्रकाशन की पुस्तक की बाह्य गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक वर्तमान में हिंदी भाषा शिक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इसमें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और उसके आधार पर निर्मित शैक्षणिक दस्तावेज संबंधी निर्देश भी सम्मिलित किए गए हैं।

विशिष्ट अतिथि सुरेश चंद्र शर्मा ने कहा कि प्रकाशन के प्रति निष्पक्षता और ईमानदार होना बहुत जरूरी है। प्रकाशक क्या और क्यों प्रकाशित कर रहा है, इसके प्रति उसे सजग रहना चाहिए। उन्होंने नीलकमल प्रकाशन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में प्रकाशन द्वारा किए जा रहे सहयोग के बारे में जानकारी दी। प्रकाशन और लेखक से जुड़े कुछ संस्मरण भी सुनाए।

विशिष्ट डॉ. सी. एन. मुगुत्कर ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक हिंदी भाषा शिक्षण संबंधी नवाचारों को सम्मिलित किए हुए है। लोकार्पित पुस्तक के लेखक डॉ. राजीव कुमार सिंह ने पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षकों को अपने शिक्षण संबंधी अनुभव पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने चाहिए, ताकि पुस्तकों में व्यावहारिक विधियाँ स्थान पा सकें। शिक्षा बोझरहित और मनोरंजक बनाई जानी चाहिए। इसके लिए शिक्षण में निरंतर प्रयोग चलते रहना चाहिए। यह पुस्तक भी इसी प्रकार के शैक्षिक अनुभवों और प्रयोगों का परिणाम है। कार्यक्रम के अंत में डॉ. एस. राधा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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