‘Disha’ Encounter Case: ‘सुप्रीम’ में दोषियों की हो गई पहचान, HC करेगा फैसला, इन पुलिस में तनाव

हैदराबाद: देशभर में सनसनीखेज ‘दिशा’ एनकाउंटर मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में खत्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हाई पावर कमीशन की रिपोर्ट पर सुनवाई की। सुनवाई में तत्कालीन साइबराबाद पुलिस आयुक्त वीसी सज्जनार ने भाग लिया। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश जारी किए। अदालत ने फैसला सुनाया कि दिशा मुठभेड़ मामले की निगरानी विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नहीं की गई थी। मामला तेलंगाना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जा रहा है।

सीजेआई एनवी रमणा की खंडपीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय तय करेगा कि कानून के अनुसार क्या करना है। आयोग ने कहा कि उसे रिपोर्ट मिल गई है और वह रिपोर्ट का खुलासा करेगा। शीर्ष अदालत ने आयोग को दोषियों की पहचान करने और दोनों पक्षों को सिरपुरकर आयोग की रिपोर्ट की प्रतियां देने का निर्देश दिया। हालांकि, एनकाउंटर की घटना की रिपोर्ट में अपराधी का खुलासा होने और मामले को उच्च न्यायालय में स्थानांतरण के चलते घटना में शामिल पुलिस के बीच तनाव उत्पन्न हो गया है। रिपोर्ट में सनसनीखेज मुद्दे सामने आने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश जारी किये जाने के चलते अब हाई कोर्ट में क्या होगा इसे लेकर काफी सस्पेंस बना हुआ है।

गौरतलब है कि दिशा दुष्कर्म और हत्या मामले में आरोपियों के एनकाउंटर के बाद देश भर में सवाल उठे थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक सिरपूरकर कमिशन बनाकर घटना की जांच करने का आदेश दिया था। सिरपूरकर कमिशन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिशा रेप केस में कथित चारों आरोपियों का फेक एनकाउंटर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट से सिरपूरकर कमिशन रिपोर्ट पर एक्शन लेने की बात कही है। इस कमीशन में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर, बॉम्बे हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस रेखा बालदोता और सीबीआई के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन शामिल थे।

तेलंगाना के हैदराबाद में हुए दिशा रेप एंड मर्डर केस में आरोपियों के एनकाउंटर को सुप्रीम कोर्ट के कमीशन ने फर्जी बताया है। साथ ही मामले में शामिल पुलिसकर्मियों पर मुकदमे की सिफारिश की है। जांच करने वाले सिरपूरकर कमीशन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिशा रेप केस में कथित चारों आरोपियों का फेक एनकाउंटर किया गया था। ये सभी ट्रक ड्राइवर और क्लीनर थे, जिन्होंने शराब पीने के बाद 7 घंटे तक डॉक्टर के साथ दरिंदगी की थी। इसके बाद पीड़ित को शादनगर के बाहरी इलाके में जला दिया था। इस मामले की देशभर में आलोचना हुई थी। इस घटना में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसी साल 6 दिसंबर को शादनगर के पास अपराध स्थल पर एनकाउंटर में चारों आरोपी मारे गए थे। इसे ही दिशा एनकाउंटर कहा जाता है।

यह मामला 27 नवंबर, 2019 को एक युवा पशु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या की गई थी। चिकित्सक युवती को रेप के बाद उसे जलाकर मार डाला गया था। इस घटना में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने चारों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने मामले की जानकारी जुटाने के लिए चारों को हिरासत में लिया और दिशा घटना स्थल पर ले गये। 6 दिसंबर को शादनगर के पास अपराध स्थल पर एक मुठभेड़ में चारों आरोपी मारे गये थे। आरोपियों में मुख्य आरोपी मोहम्मद आरिफ उर्फ अहमद, जोलू शिवा, चिंताकुंटला चेन्नाकेशवुलु और जोलू नवीन शामिल थे

पुलिस ने बताया कि आरोपी हमारी हिरासत में थे। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि हत्या के बाद उन्होंने झाड़ियों में डॉक्टर का मोबाइल फोन फेंक दिया था। इसके बाद 6 दिसंबर को सुबह 5.45 बजे चारों आरोपियों को उसी जगह लाया गया, जहां डॉक्टर का शव जलाया गया था। पुलिस वहां क्राइम सीन रीक्रिएट करने नहीं, बल्कि पीड़ित का मोबाइल फोन ढूंढने गई थी। आरोपी एक बस में थे। उनके साथ 10 पुलिसकर्मी थे। मौके पर हम पीड़ित का फोन और अन्य सामान तलाश रहे थे, उसी समय आरोपियों ने पहले डंडों-पत्थरों से पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया। इसके बाद दो आरोपियों आरिफ और चिंताकुंटा ने हमारे दो अफसरों के हथियार छीन लिए और फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस पार्टी ने संयम बरता। उन्हें बार-बार सरेंडर के लिए कहा। लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद जवाबी फायरिंग हुई। 15 मिनट बाद जब फायरिंग थमी, तब पुलिसकर्मियों ने देखा तो आरोपियों की मौत हो चुकी थी। उन्हें गोलियां लगी थीं। हमने मौके से डॉक्टर का मोबाइल फोन, पावर बैंक और रिस्ट वॉच बरामद की है।

पुलिस का कहना था कि सीन रिक्रिएट करने के लिए वह चारों आरोपियों को लेकर मौके पर पहुंची थी। इसी दौरान आरोपियों उनके हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। जिसके कारण बचाव में ये मुठभेड़ हो गई हैं। इस घटना ने मानवाधिकार संगठन नेता भड़क उठे। इनके अलावा कई स्वयंसेवी संगठनों ने इस मुठभेड़ पर सवाल खड़े किए थे और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद आरोपियों के एनकाउंटर की जांच करने के लिए सिरपुरकर आयोग को नियुक्त किया गया था। कमिशन ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। इस आज फैसला सुनाया गया।

इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जांच के बाद हमको ये लग रहा कि आरोपियों को जानबूझकर गोली मारी गई, ताकि वो मर जाएं। ऐसे में ये एनकाउंटर फर्जी है और इसमें शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। वहीं तेलंगाना सरकार इस एनकाउंटर को सही मान रही थी, जिस वजह से वो अपने अधिकारियों का बचाव करते नजर आई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तेलंगाना सरकार के वकील श्याम दीवान ने चीफ जस्टिस की खंडपीठ से अनुरोध किया कि वो जांच रिपोर्ट को देखकर उसे दोबारा सीलबंद कर दें। साथ ही उसे सार्वजनिक ना किया जाए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर जांच रिपोर्ट को गोपनीय ही रखना था, तो जांच करवाने का क्या फायदा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर तेलंगाना सरकार और हाईकोर्ट को आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है।

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