हैदराबाद : तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन का एक बार फिर अपमान हुआ। उगादि उत्सव मनाने के लिए यादाद्री आए राज्यपाल-दंपति को कड़वा अनुभव देखने को मिला। मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद राज्यपाल पहली बार श्री लक्ष्मीनृसिंह स्वामी भगवान के दर्शन करने के लिए गई। इस दौरान मंदिर के अधिकारियों ने उनके प्रति नजरअंदाज कर दिया। कम से कम प्रोटोकॉल के अनुसार राज्यपाल का स्वागत मंदिर के ईओ और जिलाधीश की ओर से किया जाना चाहिए। मगर दोनों ही अनुपस्थित रहे।
केवल अपर कलेक्टर और मंदिर के एईओ ने राज्यपाल का स्वागत किया और उनके साथ रहे। यह पहली बार नहीं है जब राज्यपाल के प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया है। सम्मक्का-सरलम्मा जातरा दर्शन के लिए जाने पर भी राज्यपाल की उपेक्षा की गई। उनके स्वागत करने जिला कलेक्टर या जिले के प्रभारी मंत्री नहीं आने की कड़ी आलोचना हुई। अब राज्यपाल के यादाद्री दौरे के चलते प्रोटोकॉल पर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। चर्चा है कि सीएम केसीआर के आदेशानुसार ही नेता और अधिकारी राज्यपाल के प्रति असम्मानजनक व्यवहार कर रहे हैं।
यह खुला रहस्य है कि पिछले कुछ समय से राज्यपाल और सरकार के बीच दूरियां बढ़ी हैं। इसलिए सरकार के बजट सत्र भी राज्यपाल के भाषण के बिना आयोजित की गईं। राजभवन में उगादी समारोह में सीएम, मंत्री, सत्तारूढ़ दल के विधायकों के साथ-साथ सीएस और डीजीपी की अनुपस्थिति को लेकर चर्चा छिड़ गई हैं।
इस दौरान राज्यपाल ने तमिलिसाई से कहा कि वह जिद्दी हैं। किसी के सामने झुकती नहीं है। परोक्ष रूप से केसीआर को चेतावनी दी कि वह किसी से डरने वाले नहीं हैं। यादाद्री दौरे से स्पष्ट होता है कि प्रगति भवन और राजभवन के बीच की दूरी और मतभेद चरम पर पहुंच गए हैं। कई लोगों की राय है कि सरकार द्वारा राज्यपाल को प्रदान की जाने वाली प्रोटोकॉल सुविधाओं और औपचारिकताओं को पूरी तरह समाप्त किया गया है।