तेलंगाना में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और सारी राजनीतिक पार्टियां इसी की तैयारी में लगी है। हर पार्टी जीतना चाहती है इसीलिए किसे टिकट दिया जाए और किसे नहीं इस पर भी जमकर चर्चा हो रही है साथ ही इसी मुद्दे को लेकर आपस में लड़ाइयां भी होती दिख रही है। खासतौर पर कांग्रेस पार्टी में फिलहाल टिकट आवंटन पर घमासान छिड़ा हुआ है। पार्टी के कई नेता इस बात से नाराज दिख रहे हैं कि उन्हें छोड़कर पार्टी दूसरी पार्टी से आए पैराशूट नेताओं को टिकट देकर लुभाने में लगी है। आइये यहां देखते है इससे जुड़ी यह रिपोर्ट…
तेलंगाना देने के बाद भी दस साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति का अच्छा फायदा उठा रही है। उसके मुताबिक वह उन्हीं उम्मीदवारों को टिकट देना चाहती है जो जीत सकें और जिससे पार्टी को फायदा मिले। कांग्रेस पार्टी राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि वाले बड़े नेताओं की तलाश में है। अपनी सर्वेक्षण टीमों के साथ यह 119 निर्वाचन क्षेत्रों की मजबूत पृष्ठभूमि और जीतने की क्षमता वाले नेताओं की पहचान कर रही है। यह पड़ोसी पार्टियों से आने वाले नेताओं को टिकट की पेशकश करती देखी जा रही है।
इसे यूं समझा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी अन्य पार्टियों के नेता जो इसमें लगातार शामिल हो रहे हैं उन्हें टिकट का लालच देकर ही अपनी पार्टी में आमंत्रित कर रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी बीजेपी के दस पूर्व सांसदों को टिकट की गारंटी देकर ही लुभाने में लगी है। भले ही अब तक सब कुछ अच्छा रहा है, लेकिन जिन नेताओं ने कई कठिनाइयों और उतार-चढ़ाव का सामना करने के बाद पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की है, उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। अब इसे कहां तक सही कहा जा सकता है पर यही तो राजनीति है, कब किसको याद करे और किसे भुला दे कुछ कहा नहीं जा सकता। यहां सब कुछ राजनीतिक फायदे-नुकसान को ध्यान में रखकर ही किया जाता है।
जबसे पार्टी ने सत्ता खोई है तब से वह सत्ता पाने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है। नेता इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि उन नेताओं की बलि दी जा रही है जिन्होंने कार्यकर्ताओं की रक्षा के लिए कई वर्षों तक विभिन्न रूपों में कड़ी मेहनत की है। कांग्रेस कार्यकर्ता इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि जिन नेताओं से उन्हें पार्टी को बचाए रखने में परेशानी हुई, वही नेता अब पार्टी में शामिल हो रहे हैं और उनकी नाक के नीचे से टिकट ले रहे हैं और वे बस देखते रह जाने को मजबूर हो रहे हैं। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं में गहरा असंतोष व्याप्त हो रहा है।
कई नेता तो ऐसे भी हैं जो कह रहे हैं कि अगर अब तक उनका समर्थन करने वाले नेता को टिकट नहीं मिला तो वे प्रदेश नेतृत्व से मामला सुलझाने की तैयारी में हैं। वे चेतावनी दे रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी का गठन कानों के बजाय कानों के पीछे आने वाले सींगों ने किया है, जो पहले आया था। चूंकि केंद्र और राज्य सरकार का विरोध लोगों तक पहुंच चुका है, इसलिए कांग्रेस के अपने दम पर जीतने की संभावना है। खुद प्रदेश और राष्ट्रीय नेता चेतावनी दे रहे हैं कि कांग्रेस का इस तरह से हौसला बढ़ाना खतरनाक है। चूंकि केंद्र और राज्य सरकार का विरोध लोगों तक पहुंच चुका है, इसलिए कांग्रेस के अपने दम पर जीतने की संभावना है।
कई नेता कह रहे हैं कि उनसे कल तक कहा जा रहा था कि टिकट आपका है, लेकिन अब उन्हें सुनना पड़ रहा है कि हम आपको टिकट नहीं दे पा रहे हैं। वे सवाल कर रहे हैं कि क्या विदेशी पार्टियों से आने वाले पैराशूट नेताओं को टिकट दिया जाएगा, भले ही उन्होंने पार्टी के लिए कितनी भी मेहनत की हो। अगर ऐसा है तो कई नेता चेतावनी दे रहे हैं कि वे अपना रास्ता चुन लेंगे। संभावना है कि कांग्रेस में टिकटों की घोषणा से असमंजस की स्थिति पैदा हो जाएगी। हो हल्ला खड़ा होगा। इससे पहले कईं बार ऐसा हुआ है।
फिलहाल तो टिकट बंटने को लेकर ही कांग्रेस में गहरा असंतोष देखा जा रहा है। आने वाले समय में यह भी पता चल जाएगा कि कितने असंतुष्ट नेता कांग्रेस में रहते हैं और कौन अपना रास्ता खुद चुनकर कांग्रेस को छोड़ता है। साथ ही यह देखना भी दिलचस्प होगा कि इसका कांग्रेस के चुनावी भविष्य पर कैसा असर होगा। खैर, इस सबके बीच यह तो तय है कि इस बार के चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाले हैं।
लेखक मीता, वरिष्ठ पत्रकार