प्रीतिभोज/रिसेप्शन को बनाया सामाजिक परिवर्तन का हथियार
हैदराबाद: कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) जनपद के विकासखंड नेवादा के ग्राम तिल्हापुर स्थित संत गाडगे मुहल्ला में प्रमुख समाजसेवी रोहित दिवाकर की ओर से अपने रिसेप्शन और भतीजे के जन्मोत्सव पर शैक्षणिक-सामाजिक जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया गया। इस शिविर में जनपद एवं गैर जनपद के भी विभिन्न हिस्सों से आए विद्वतजन, डॉक्टर, वकील, अध्यापक एवं अन्य विभिन्न व्यवसायों से जुड़ी शख्सियतों ने भाग लिया और शैक्षिक एवं सामाजिक उत्थान हेतु अपने-अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किये।
तिल्हापुर निवासी शिक्षक रोहित दिवाकर पुत्र स्वर्गीय शिवलाल एवं कुटुरी दिवाकर ने अपने रिसेप्शन/प्रीतिभोज जैसे कार्यक्रम में शैक्षिक व सामाजिक उत्थान हेतु विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन कर समाज में एक नयी इबारत/मिसाल पेश की है। समाज उद्धारक महापुरुषों के महान विचारों पर चलने तथा समाज में बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक व प्रेरित करने हेतु आये हुए तमाम अतिथियों के मध्य इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व बैंक प्रबंधक ईश्वरी प्रसाद चौधरी ने किया और मुख्य अतिथि के रूप में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सर्जन प्रो. (डॉ) आर. के. चौधरी व लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामकरन निर्मल विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
डॉ. चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि बिना शिक्षा के समाज का विकास संभव नहीं है। शिक्षा ही वह चाबी है, जिससे सामाजिक परिवर्तन और सभी समस्याओं का समाधान भी हो सकता है। बच्चों की शिक्षा में अभिभावकों की भूमिका बहुत अहम होती है। इसलिए अभिभावकों को भी अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति सजग और जागरूक होना होगा।
डॉक्टर रामकरन निर्मल ने समाज में फैली को कुप्रथाओं, बाह्यआडंबरों यथा मृत्युभोज और दहेज आदि जैसी कुप्रथाओं को जड़ से समाप्त करने के लिए सामाजिक आह्वान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ईश्वरी प्रसाद चौधरी ने संत गाडगे जी द्वारा चलाए गए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता जैसे मिशन के प्रति समाज में जागरूकता लाने एवं आपसी भाईचारा बनाए रखने की बात कही।
इस विशेष कार्यक्रम के आयोजक रोहित दिवाकर ने बताया कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए हम सदैव तत्पर थे और आगे भी रहेंगे। इसके पूर्व भी ग्राम तिल्हापुर में मृत्युभोज जैसी कुप्रथा को नकार कर एक मिसाल पेश की जिसके बाद कौशाम्बी में धोबी समुदाय और अन्य समुदाय के लोग मृत्युभोज जैसी कुप्रथा को त्यागने लगे। वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑफ़ धोबिस (वर्ड) के सौजन्य से रोहित दिवाकर ने अपनी पत्नी पुष्पा दिवाकर की स्मृति में पुस्तकालय की स्थापना की, जिसका लाभ आस-पास के गांवों के सभी वर्गों के विद्यार्थी/प्रतियोगी छात्र ले रहे हैं। वर्ड के द्वारा समय-समय पर समाज के छात्र-छात्राओं के प्रेरणा और उत्साहवर्धन हेतु विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है।
डॉ. नरेन्द्र दिवाकर ने बेटियों की शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि यदि हमें अपने समाज को तीव्र गति से आगे बढ़ाना है, तो बेटियों को पढ़ाना अति आवश्यक है। बच्चों को नए-नए पाठ्यक्रमों की ओर भी रुख करना चाहिए जिससे रोजगार के अवसरों में होने वाली वृद्धि का लाभ उठा सकें। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी(ए आई)और तकनीकी विषयों वाले पाठ्यक्रमों का भी अध्ययन करना होगा जिससे समय के साथ चल सकें।
डॉ. संदीप दिवाकर ने अपने हक और अधिकार के प्रति लोगों को जागरुक करते हुए बताया कि हमारे समाज का प्रतिनिधित्व हर क्षेत्र में बराबर होना चाहिए। समाज के प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को बड़े-बड़े पद और ओहदे पर पहुंचना होगा। राजनीति के क्षेत्र में भी हमारी अच्छी भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। आदित्य कैरियर कोचिंग प्रयागराज के संचालक व लेखक डॉ. महेंद्र सोनकर ने अपने दृष्टिकोण से अवगत कराते हुए कहा कि समाज के गरीब तबके के प्रतियोगी छात्र-छात्राएं आज के दौर में दिन-रात कठिन मेहनत के साथ निरन्तर तैयारी कर रहे हैं और कामयाब भी हो रहे हैं।
नीरज कुमार और विनोद भास्कर ने भी समाज के नवयुवकों को सजग करते हुए विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों से दूर रहने की हिदायत और स्वाध्याय हेतु प्रेरित किया। इसके अतिरिक्त मंतोष कुमार व राजू चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। देर रात तक चले इस कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध गजलकार एवं कवि अनिल ‘मानव’ ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने रोहित दिवाकर के इस सद्प्रयास की भूरि भूरि सराहना की। इस मौके पर राम भवन दिवाकर, ममता, सुरेन्द्र चौधरी, अमरदीप, रिंकू, राजकुमार, अरविंद कुमार, विजय कुमार, राहुल दिवाकर, अजय, दूधनाथ, रंजीत लालू, दिलीप, अनामिका, शालिनी, आरती सहित तमाम अतिथिगण व ग्रामवासी मौजूद रहे।