6 दिसंबर को डॉ राजकुमार चौधरी जी (प्रोफेसर सर्जरी विभाग, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद) के चाचाजी (कमलेश कुमार एवं प्रदीप कुमार जी के पिताजी) श्री मोती लाल जी का परिनिर्वाण हो गया था। डॉ राजकुमार जी एवं उनके परिजनों ने मृत्युभोज जैसी कुप्रथा को नकार कर पुस्तकालय को पुस्तकें दान करने का साहसिक एवं अनुकरणीय निर्णय लिया।
मृत्युभोज जैसी कुप्रथा का त्यागकर अपने चाचाजी की आत्मा की शांति हेतु अपने पैतृक निवास हिसामबाद, कौशाम्बी में अपने परिजनों एवं श्रीलंका, कम्बोडिया, वर्मा तथा भारत के विभिन्न राज्यों से आए हुए बौद्ध भिक्षुओं/भन्तेगणों द्वारा शांतिपाठ किया गया। इस दौरान अपने घर-परिवार के लिए उनके द्वारा किए कार्यों और योगदान को याद किया गया। उपस्थित लोगों श्रद्धांजलि अर्पित किया।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम के उपरांत डॉ राजकुमार चौधरी प्रोफेसर सर्जरी मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज की प्रेरणा से अपने चाचा स्वर्गीय श्री मोतीलाल की स्मृति में संजीवनी हॉस्पिटल सराय अकिल, कौशांबी व उनके परिवार जनों द्वारा वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन फॉर धोबिस (वर्ड) के सौजन्य से संचालित पुष्पा दिवाकर पुस्तकालय, संत गाडगे मोहल्ला, तिल्हापुर, कौशाम्बी (उ. प्र.) को विभिन्न विषयों की दर्जनों पुस्तकें दान की। वर्ड की तरफ से डॉक्टर विजय कनौजिया, डॉ नरेन्द्र दिवाकर एवं राहुल दिवाकर दान की गई पुस्तकें प्राप्त किया।
डॉक्टर साहब ने अपने चाचाजी को प्रेरणा प्रदान करने वाले आदर्श व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि आज मैं और मेरा परिवार जो कुछ भी है उसमें मेरे चाचाजी का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी कभी निराश नहीं होने दिया। चाचाजी मृत्युभोज/तेरहवीं जैसी कुप्रथा के एकदम ख़िलाफ़ थे। जब कभी सगे-संबंधियों के यहां से मृत्युभोज का निमंत्रण आता वे यही कहते थे- “समाज के लोग इस कुप्रथा का त्याग कब करेंगे? कब समाज समझेगा कि इससे दुःखी परिवार पर बहुत आर्थिक बोझ पड़ता है, चाहे वह अपने बच्चों की फीस न जमा कर पा रहा हो लेकिन मृत्युभोज उसे कर्ज लेकर भी करना पड़ता है।”
इसलिए हम चाचाजी की अंतिम इच्छानुसार मृत्युभोज/तेरहवीं जैसी कुप्रथा का त्याग कर रहे हैं और पुस्तकें दान कर रहे हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लाभान्वित होकर शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ें और चाचाजी का सपना ‘हर बच्चा शिक्षित हो’ साकार हो।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में डॉ (प्रो) राजकुमार चौधरी, डॉ मनीषा चौधरी, प्रीति, मेवालाल, शिवलाल, रामलाल, कमलेश कुमार, प्रदीप कुमार, दिलीप कुमार, हर्शित, रौनक, युग, युवराज, केश कुमार, शिवकुमार, मिथलेश, ईशांत चौधरी, डॉ अखिल चौधरी, संदीप दिवाकर एवं समस्त शोकाकुल परिवार जन उपस्थित रहे। पुस्तकालय को पुस्तकें दान करने के निर्णय की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है।