हैदराबाद: तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बुधवार को निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें हैदराबाद में चार वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के दोषी को मौत की सजा सुनाई गई थी। उच्च न्यायालय ने 2017 के मामले में मेट्रोपॉलिटन मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ दोषी की अपील को खारिज कर दिया, निचली अदालत से सहमत होते हुए कि यह दुर्लभतम मामलों में से एक है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के प्रवासी मजदूर दिनेश कुमार धरने ने दिसंबर 2017 में नारसिंगी में बच्ची का पहले अपहरण किया। इसके बाद उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में हत्या कर दी थी। आरोपी ने बच्ची को चॉकलेट का लालच दिया, उसे झाड़ियों में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। इस डर से कि वह अपने माता-पिता को इसके बारे में बता देगी, उसने उसे पीट-पीटकर मार हत्या कर दी। पीड़िता का परिवार काम के लिए बिहार से पलायन कर हैदराबाद आए थे।
पीड़िता के माता-पिता नारसिंगी में एक ही निर्माण स्थल पर काम कर रहे थे और एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे। जब बच्ची अपनी झोपड़ी के बाहर खेल रही थी, तो वह उसे चॉकलेट खरीदने के बहाने पास की एक किराने की दुकान पर ले गया। काफी देर तक अपनी बेटी को न पाकर उन्होंने आसपास के लोगों और दिनेश से भी पूछताछ की। उसने बताया कि वह उसे वापस निर्माण स्थल पर छोड़ गया था और तब से उसे नहीं देखा। पीड़िता के माता-पिता द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की।
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पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान दिनेश ने अपराध कबूल कर लिया और उस पर आईपीसी की धारा 363, 366, 376 (ए) और 302 और पोक्सो अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए। फरवरी 2021 में रंगा रेड्डी जिले की मेट्रोपॉलिटन सेशंस कोर्ट ने उसे दोषी पाया और मौत की सजा सुनाई। साइबराबाद कमिश्नरेट की सीमा में यह पहली मौत की सजा थी और तीन दशकों से अधिक समय में रंगा रेड्डी जिला अदालत द्वारा सुनाई गई पहली सजा भी थी। साइबराबाद के तत्कालीन कमिश्नर वी. सी. सज्जनार ने इसे एक ऐतिहासिक फैसला करार दिया था और कहा था कि यह आरोपी के खिलाफ बनाए गए एक मजबूत मामले का नतीजा है। (एजेंसियां)