तेलंगाना में चुनावी बिगुल के बजते ही सारी राजनीतिक पार्टियां प्रचार में जुट गई है। चुनावी रणनीति बनाने के साथ ही टिकट आवंटन का काम भी हो चुका है। जहां एकतरफ सत्तारूढ़ पार्टी बीआरएस है जिसकी एक बात तय है कि अगर यह जीत गई तो सीएम फिर से केसीआर ही बनेंगे यानी सीएम उम्मीदवार केसीआर ही है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और बीजेपी में कुछ भी तय नहीं है और ये पार्टियां सीएम का चेहरा बताकर चुनाव नहीं जीतना चाहती, बल्कि इनका प्रचार तो हाईकमान करता है और अगर ये जीत गई तो मुख्यमंत्री का नाम भी वहीं से तय किया जाएगा। तो कांग्रेस में जहां एक ओर टिकट आवंटन को लेकर भी असंतुष्टि साफ नजर आ रही है वहीं हर वरिष्ठ नेता के मन में सीएम बनने की चाह साफतौर पर दिख रही है तभी तो वे स्वयं ही अपने आपको सीएम पद के दावेदार के तौर पर पेश कर रहे हैं जैसे कि हाल ही में जाना रेड्डी ने किया। आइये यहां देखते हैं इससे जुड़ी ये रिपोर्ट…
हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के जाना रेड्डी ने कहा है कि अगर पार्टी अगले महीने विधानसभा चुनाव जीतती है तो उन्हें तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की पेशकश की जा सकती है। पूर्व मंत्री ने यह भी टिप्पणी की कि वह मुख्यमंत्री पद के पीछे नहीं हैं, लेकिन यह पद उन्हें पेश किया जा सकता है क्योंकि वे इसके लिए योग्य हैं। साथ ही जाना रेड्डी ने ये भी कहा कि तेलंगाना की जनता के दिल में है कि वे उन्हें बतौर मुख्यमंत्री देखें तो जाहिर सी बात है कि वह उन्हें विजयी बना सकती है। अब इन सारी बातों से यह तो साफतौर पर कहा जा सकता है कि उनके मन में सीएम बनने की चाह है और वे यह बाद चुनाव से पहले ही लोगों की आड़ लेकर पार्टी तक पहुंचाना चाहते हैं तभी तो उन्होंने यह सब इस तरह कह दिया।
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वैसे देखा जाए तो जाना रेड्डी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि वे अपने बेटे जयवीर रेड्डी के लिए प्रचार कर रहे हैं जो नागार्जुन सागर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। प्रचार के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए जाना रेड्डी ने दावा किया कि लोग उन्हें सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं। साथ ही इतने वर्षों तक समर्थन देने के लिए नलगोंडा जिले के लोगों को 77 वर्षीय नेता ने धन्यवाद दिया।
अपने समर्थकों के जोरदार जयकारे के बीच जाना रेड्डी ने कहा, ”जिस तरह आप सभी मेरी जानकारी के बिना अचानक आए, उसी तरह (मुख्यमंत्री का) पद भी अचानक मेरे पास आ सकता है।” मुझे भरोसा है कि ऐसा ही होगा और मैं किसी भी पद या जिम्मेदारी को निभान से पीछे हटने वाला नहीं हूं। मैंने कई विभाग व पद संभाले हैं तो अब ये भी संभाल लूंगा। यह याद करते हुए कि वह 36 साल की उम्र में मंत्री बने थे, जाना रेड्डी ने कहा कि पार्टी में उनकी वरिष्ठता 55 साल है। उन्होंने कहा कि बिना किसी पद की आकांक्षा के उन्हें अपने लंबे राजनीतिक जीवन में विभिन्न पदों पर रहने का अवसर मिला। जाना रेड्डी ने संयुक्त आंध्र प्रदेश में चार मुख्यमंत्रियों के अधीन मंत्री के रूप में कार्य किया।
सात बार के विधायक रह चुके जाना रेड्डी 2014 में तेलंगाना विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने। हालांकि, वह नागार्जुन सागर से 2018 का चुनाव हार गए और 2021 में हुए उपचुनाव में भी असफल रहे। इस बार उन्होंने चुनावी लड़ाई से किनारा कर लिया, लेकिन उनके दोनों बेटों ने टिकट के लिए आवेदन किया। उनमें से एक जयवीर रेड्डी को नागार्जुन सागर से मैदान में उतारा गया है, जिसका जाना रेड्डी ने दो बार प्रतिनिधित्व किया था। वे वहीं बेटे के लिए जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
यह तो साफ है कि यदि कांग्रेस पार्टी राज्य में सत्ता में आती है तो वरिष्ठ नेता जाना रेड्डी की टिप्पणी कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की संभावित दौड़ में एक नया मोड़ ला सकती है। वहीं इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि सीएम पद के दावेदार कांग्रेस में और भी कई नेता है जो समय-समय पर खुलकर बता देते हैं कि वे क्या चाहते हैं।
तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के प्रमुख अनुमुला रेवंत रेड्डी को इस दौड़ में सबसे आगे देखा जा सकता है। उन्होंने तो यहां तक घोषणा कर दी है कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री 9 दिसंबर को हैदराबाद के एलबी स्टेडियम में शपथ लेंगे। वह जनसभाओं को संबोधित करते हुए लोगों को शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी करते देखे जा सकते हैं। अब जब वे आमंत्रित कर रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि सीएम के रूप में वे खुद को शपथ लेते हुए ही देख रहे हैं।
इन दोनों के अलावा भोंगिर के सांसद कोमटिरेड्डी वेंकट रेड्डी को इस पद के लिए एक अन्य दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। वह मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं। पार्टी में इसी महत्वाकांक्षा के साथ काम भी कर रहे हैं। हर जगह बढ़-चढ़कर प्रचार करते हुए भी देखे जा रहे हैं।
तो अगर राज्य में कांग्रेस जीतती है तो ये तीन नेता ही नहीं बल्कि अन्य कई नेता भी सीएम बनना चाह सकते हैं । पर होगा वही जो हाई कमान चाहेगा जैसाकि कर्नाटक में हुआ। कुल मिलाकर इतना इतना कहा जा सकता है कि अगर कांग्रेस चुनाव जीतती भी है तो आखिर मुख्यमंत्री किसे बनाती है यह देखना काफी दिलचस्प होगा।
– मीता वेणुगोपाल, पत्रकार