हैदराबाद : आर्य कन्या विद्यालय शिक्षण समिति और पंडित गंगाराम स्मारक मंच की ओर से शुक्रवार को स्वर्गीय अशोक कुमार श्रीवास्तव की शोक सभा विद्यालय परिसर में आयोजित की गई। इस शोक सभा में शहर के कई प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया और दिवंगत श्रीवास्तव की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। कार्यक्रम का आरंभ पंडित प्रियदत्त शास्त्री के वैदिक मंत्रों की प्रार्थना से हुई।
वक्ताओं की कड़ी में श्रीमती सुधा ठाकुर ने बताया कि कैसे पिछले 6 महीना में ही उनसे मिलना हुआ और कई बातों का ज्ञान प्राप्त हुआ। श्रीमती उमा दुबे ने बताया कि कैसे पिछले एक दो वर्ष में उन्होंने विद्यालय को अपनी निस्वार्थ भाव से सेवाएं दी हैं। श्रीमती चित्रा ने बताया कि कैसे वह किसी को भी कष्ट नहीं पहुंचाते हुए अपने ऊपर ही बोझ लेते थे। डैनी कुमार आजाद ने बताया कि नालगोंडा के कार्यक्रम में किसी कारणवश उनसे सहयोग और मार्गदर्शन कैसे प्राप्त हुआ और उनका काम आसान हुआ।
सुनील सिंह ने बताया कि कैसे दयाल बावली आर्य समाज की उन्नति के लिए उन्होंने काम किया और इन्हें पदभार संभालने के लिए न केवल प्रोत्साहित किया बल्कि उन्हें पूरी जिम्मेदारी सौंपी। मनोहर सिंह ने बताया कि बचपन से ही उन्हें जानते और समझते थे और उन्हें गर्व है कि सभी समाजों की उन्नति और रखरखाव में पहले सेवा देने वालों में थे।
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सत्यनारायण आर्य समाज साइदाबाद ने बताया कि अगर कोई बात गलती हो तो उसे सभी के सामने मान लेते थे और उसमें कोई झिझक नहीं होती थी। प्रदीप जाजू ने बताया की अशोक कुमार श्रीवास्तव जी की सेवाएं विद्यालय के लिए सुबह से लेकर शाम तक देते थे और उनकी इच्छा विद्यालय को पुराना गौरव दिलाने के लिए कार्यरत था। डॉ प्रताप रूद्र ने बताया कि वह हर कार्य में तत्पर रहते थे।
मंच के अध्यक्ष भक्त राम ने बताया कि उस्मानिया विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी के उपलक्ष में रिसर्च पेपर पर उन्होंने पंडित गंगाराम जी के जीवनी पर कविता लिखी और सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी कविता को ” जीवन – संग्राम क्रांतिकारी पंडित गंगाराम वानप्रस्थी ” पुस्तक में सम्मिलित किया गया।
श्रुतिकांत भारती ने बताया कि कैसे उनके भाई रवि के निधन पर इन्होंने अंतिम संस्कार में अपूर्व सहयोग किया। श्रीमती विभा भारती ने बताया कि कैसे विवाह के कार्यक्रम से वह आए और रवि के अंतिम संस्कार तथा शांति यज्ञ में अपने सभी कार्यक्रमों की व्यस्तता को छोड़कर उपस्थित हुए।
ठाकुर दिनेश सिंह ने बताया कि कोई भी कार्यक्रम में वे अवश्य ले जाते और मुझे हर समय कुछ न कुछ उनसे सीखने को ही मिला। ठाकुर लक्ष्मण सिंह ने कहा की कैसे उनका नाम काका जी पड़ा, इन्हीं के लगातार और हर स्थान पर बहुत ही आदरणीय भाव से काका जी के संबोधन के कारण आज सभी के बीच में मुझे इसी नाम से जाना जाता है।
दिवंगत आत्मा अशोक श्रीवास्तव की सुपुत्री कुमारी प्रेरणा ने भी अपना विचार व्यक्त किया और बताया कि पिता के लिए हिंदी, आर्य समाज और समाज सेवा ही धर्म लक्ष्य था। इस शोक सभा में कईं अन्य सम्मिलित हुए। सभी ने उनके अचानक निधन पर शोक व्यक्ति किया और बताया कि उनकी भरपाई करना असंभव है। शांति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।