हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र पर महाराष्ट्र राज्य के हिंगोली जिले के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 466वाँ नवीकरण पाठ्यक्रम 4 से 15 दिसंबर तक क्षेत्रीय निदेशक डॉ गंगाधर वानोडे के नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस पाठ्यक्रम के समापन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने आभासी पटल से की। मुख्य अतिथि के रूप में हिंदी महाविद्यालय, हैदराबाद की पूर्व उप प्राचार्य डॉ सुरभि दत्त उपस्थिति थीं।
इस अवसर पर उस्मानिया विश्वविद्याल की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शुभदा वांजपे तथा डॉ राजीव कुमार सिंह, सहायक प्राध्यापक पंकज सिंह यादव और अंग्रेजी व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद के शोध छात्र मोहम्मद फहीम (अफगानिस्तान) तथा अलिना ख़लगाथियान (अर्मेनिया) आदि उपस्थित रहे।
केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ गंगाधर वानोडे इस नवीकरण पाठ्यक्रम के संयोजक हैं। उन्होंने पूर्व परीक्षण के द्वारा अध्यापकों के स्तर की जाँच की। इस पाठ्यक्रम में कुल 43 प्रशिक्षणार्थी जिसमें 6 महिला और 37 पुरुष प्रतिभागियों ने नियमित कक्षा में उपस्थित होकर भाग लिया।
5 दिसंबर से विधिवत कक्षाएँ प्रारंभ हुईं। इस दौरान क्षेत्रीय निदेशक डॉ गंगाधर वानोडे के साथ-साथ पंकज सिंह यादव, डॉ सी कामेश्वरी, डॉ राजीव कुमार सिंह तथा डॉ कुमारी संध्या दास ने अध्यापन कार्य किया तथा उस्मानिया विश्वविद्यालय की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शुभदा वांजपे, मौलाना आज़ाद उर्दू विश्वविद्यालय के हिंदी अध्यापक प्रो करण सिंह ऊटवाल ने विशेष व्याख्यान दिए। पाठ्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने ‘हिंगोली जिले की पहचान’ नामक हस्तलिखित पत्रिका तैयार की। पत्रिका का आवरण पृष्ठ हिंदी अध्यापक शाहु ने तैयार किया। प्रशिक्षण के बाद पर परीक्षण लिया गया।
15 दिसंबर को 466वें नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह संपन्न हुआ। समापन समारोह की शुरूआत प्रतिभागियों द्वारा सरस्वती वंदना के समूह गान से हुआ। इसके बाद प्रतिभागी सोनल जयसवाल तथा समूह द्वारा संस्थान गीत और स्वागत गीत प्रस्तुत किया। क्षेत्रीय निदेशक डॉ गंगाधर वानोडे ने अतिथियों का स्वागत और परिचय दिया।
उसके बाद सभी अतिथियों का श्रीफल और शॉल देकर प्रतिभागियों ने सम्मान और स्वागत किया गया। इस दो साप्ताहिक नवीकरण पाठ्यक्रम प्रशिक्षण के संदर्भ में हिंदी अध्यापक भोपाले, दीपामाला लांडगे, नारायण तोंडचिरे आदि ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने यह आशा व्यक्त कि हम सब इस प्रशिक्षण से बहुत कुछ सीखे हैं, जिसका इस्तेमाल अपने अध्यापन में करेंगे।
प्रतिभागी हिंदी अध्यापक यशवंत मस्के और महाजन तथा शाहु द्वारा देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया गया। जयश्री रितपुरकर तथा वाटोडे तथा शिंदे ने स्वरचित कविता का पाठ भी किया।
इसके बाद प्रतिभागियों द्वारा तैयार की गई ‘हिंगोली जिले की पहचान’ नामक हस्तलिखित पत्रिका जो हिंगोली जिले की सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक विरासत आदि पर केंद्रित है, उसका लोकार्पण सभी मंचासीन महानुभावों के करकमलों द्वारा किया गया।
इस पाठ्यक्रम के दौरान विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन किया गया और प्रथम तीन प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया तथा तीन प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। जिसमें प्रथम पुरस्कार श्रीमती जयश्री रितपुरकर, द्वितीय पुरस्कार सुरेश ठाकुर तथा आडकेकर ने तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया।
इसके बाद अतिथि अध्यापकों ने आशीवर्चन के रूप में प्रतिभागियों को संबोधित किया। मुख्य अतिथि डॉ सुरभि दत्त ने भारत की भाषाई विविधता के संदर्भ में बात कही। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत राष्ट्र एक मजबूत वृक्ष, उसके ऊपर जितने भी खिलने वाले पुष्प हैं वो उसकी भाषाएँ हैं और डालियाँ उसकी बोलियाँ हैं।
इसके अलावा उन्होंने इस संस्थान के प्रति क्षेत्रीय निदेशक डॉ वानोडे द्वारा किए गए कार्यों और समर्पण को भी याद किया और कहा कि उनके निर्देशन में संस्थान नित नई ऊचाँइयों को छू रहा है।
पाठ्यक्रम संयोजक के रूप में डॉ गंगाधर वानोडे ने कहा कि प्रतिभागियों को रोज दूरदर्शन से प्रसारित होने हिंदी समाचार को सुनना चाहिए और अपनी लेखन कला सुधारना चाहिए। ऐसा करने से वर्तनी की अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है। अंत में उन्होंने यह आशा व्यक्त किया कि इस प्रशिक्षण से लाभान्वित होकर तमाम प्रतिभागी अपने अध्यापन के कार्य को और अधिक सुगम रोचक और ज्ञानवर्धक बनाएँगे। अतिथियों के रूप में डॉ राजीव कुमार सिंह, पंकज यादव, मो. फहीम और एलीना आदि ने भी अपने-अपने विचार रखें।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें ज्ञान के विभिन्न अनुशासनों से परिचित रहना चाहिए। अपने अध्यापन को रोचक बनाने के लिए अन्य साहित्यिक गतिविधियों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने प्रतिभागियों से यह प्रस्ताव रखा कि उन्हें अपने जीवन में और विद्यार्थियों के जीवन में नैतिक शिक्षा का भी विकास करना चाहिए।
कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी अध्यापक नितीन इंगळे और धन्यवाद ज्ञापन आडकेकर ने प्रस्तुत किया। इस दौरान केंद्र के सभी प्रशासनिक सदस्य डॉ एस राधा, शेख मस्तान वली, सजग तिवारी, डॉ संदीप कुमार एवं अन्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन सामूहिक राष्ट्रगान से हुआ।