हैदराबाद (रिपोर्ट सरिता सुराणा): सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत (हैदराबाद) की ओर से प्रत्येक पर्व-त्यौंहार और विशेष दिवसों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसी शृंखला में होली पर्व के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम- ‘रंगों का त्यौंहार-गीतों की फुहार’ का रंगारंग आयोजन किया गया।
संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सहभागियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। परम्परा परिवार संस्था, दिल्ली के संस्थापक प्रसिद्ध साहित्यकार श्री राजेन्द्र निगम ‘राज’ और विख्यात कवयित्री श्रीमती इन्दु राज निगम ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में नागदा, मध्य-प्रदेश से प्रसिद्ध कवि श्री दिनेश दवे जी और पटना से प्रसिद्ध लोकगीत गायक श्री अरुण कुमार गौतम जी अति विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। श्रीमती रिमझिम झा की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।
तत्पश्चात् अध्यक्ष ने संस्था के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था का गठन हिन्दी साहित्य और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु और साथ ही साथ नवोदित लेखकों को एक मंच प्रदान करने और उनकी लेखन प्रतिभा को निखारने हेतु किया गया है। संस्था अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु निरन्तर गतिमान है और इसके लिए उसे देश और विदेश से नवोदित और स्थापित सभी साहित्यकारों का सहयोग और समर्थन प्राप्त हो रहा है। इसके लिए संस्था सदैव उनकी आभारी रहेगी।
श्रीमती हर्षलता दुधोड़िया ने- होली आई रे गलियां में छोरा चंग बजावै रे गीत प्रस्तुत किया तो भागलपुर बिहार से पिंकी मिश्रा ने- आया फागुन महीना होली गाओ री सखी गीत गाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया। दिनेश दवे ने- रंग लगाने के बहाने पड़ौसन का हाथ जो पकड़ा जैसा व्यंग्य गीत सुनाकर सभी को हंसा हंसाकर लोटपोट कर दिया। अरुण कुमार गौतम ने मगही भाषा में होरी गीत प्रस्तुत किया- होली कैसे खेलें सखी हमर पिया बसै परदेस। कटक उड़ीसा से श्रीमती रिमझिम झा ने- राधा हाथों में लेकर गुलाल थाली, कान्हा मारे पिचकारी जैसा मधुर होली गीत प्रस्तुत करके सभी को भावविभोर कर दिया।
सरिता सुराणा ने भक्त शिरोमणि मीराबाई द्वारा रचित होरी गीत- होली खेलत हैं गिरधारी/मुरली चंग बजत डफ न्यारो/संग जुबती ब्रजनारी को सस्वर प्रस्तुत करके सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। भाग्यशाली दर्शक श्रीमती किरण सिंह ने- श्यामा खेलत हैं होरी, कान्हा खेलत हैं होरी गीत प्रस्तुत किया।
अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए इन्दु निगम ने विविध रसों से परिपूर्ण होली गीत जैसे- पिया संग होली खेलेंगे प्रस्तुत किया।
राजेन्द्र निगम ने- रंगे जब प्यार में तन-मन, समझ लो आ गई होली और आज फिर होली मनाने आ गए जैसे गीतों को सस्वर प्रस्तुत करके वातावरण को आनन्ददायक बना दिया। तत्पश्चात् दोनों ने मिलकर माहिया की गंगा बहा दी और श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। सरिता सुराणा ने होली के पारम्परिक गीतों द्वारा काव्यात्मक ढंग से कार्यक्रम का संचालन किया। हर्षलता दुधोड़िया के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।