हैदराबाद : छत्तीसगढ़ रजक समाज कर्मचारी एवं व्यापारी कल्याण महासंघ द्वारा महान समाज सेवक कर्म योगी राष्ट्रसंत श्री संत शिरोमणि गाडगे जी महाराज की पुण्यतिथि दुर्ग जिला के भिलाई चरोदा में पुष्प वाटिका भिलाई- 3 में मंगलवार को भव्य रूप से मनाई गई। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय एस वेंकट रमना एम आई सी सदस्य नगर निगम भिलाई चरोदा रहे हैं। इनके अलावा विशिष्ट अतिथि दिवाकर प्रजापति (बामसेफ सदस्य) विष्णु निर्मलकर, कार्यक्रम के संयोजक माननीय प्रभुनाथ बैठा रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन मनोज कुमार चौधरी ने किया।
इस दौरान कार्यक्रम मे भाग लेने वाले सभी को संत गाडगे बाबा की फ्रेमिंग की हुई फोटो भेंट स्वरूप दी गई। इस कार्यमक्रम में संतोष कुमार कनौजिया, लालबाबू बैठा, मोतीलाल बैठा, प्रेम लाल रजक, संतोष कुमार प्रसाद, रामप्रवेश बैठा, मछंदर प्रसाद कनौजिया, छोटू रजक, शिवनाथ रजक, शिवमंगल रजक, रवींद्र प्रसाद बैठा, राजन कुमार बैठा, राजकुमार रजक और भीम चंद कनौजिया और अन्य उपस्थित थे।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि आज महान संत, विचारक और समाज सेवक संत गाडगे जी महाराज की पुण्यतिथि है। सभी समाज के लोग आज भी इनकी दी गई शिक्षाओं का पालन करते हैं। इन्होंने शिक्षा, स्वच्छता और समाज में समरसता लाने में अहम योगदान दिया और लोगों को इनका महत्व बताया, ताकि लोगों का जीवन स्तर सुधरें और वे समाज की नई धारा के साथ जुड़ सकें।
गौरतलब है कि संत गाडगे महाराज का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अंजनगांव अमरावती जिले के सुरजी तालुका के शेडगाओ ग्राम में हुआ था। महाराष्ट्र में संत गाडगे जी महाराज का वास्तविक नाम देबूजी झिंगराजी जानोरकर था। उन्होंने सामाज में फैली कुरितियों को देखा तो उसे मिटाने के लिए प्रयास करने लगे। विरोधी संत गाडगे जी महाराज समाज में फैले अंधविश्वास और रुढिवादिता के घोर विरोधी थे। अंधविश्वास और रुढिवादि मानसिकता को दूर करने के लिए वे गांव-गांव जाकर भजन-कीर्तन आदि का आयोजन करते थे। इसी सहज माध्यम से वे लोगों को प्रेरित करते थे। महाराज को अनेक चित्रों में सिर पर मिट्टी का पात्र एवं झाड़ू लेकर दिखाया जाता है। वे जिस गांव में जाते, सबसे पहले वहां की गंदी गलियों की सफाई शुरू कर देते थे। इसीलिए उन्हें स्वच्छ भारत अभियान का जनक भी कहा जाता है।
सन 2000-01 में महाराष्ट्र सरकार ने संत गाडगे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान की शुरुआत की जिसके अंतर्गत जो लोग अपने गांव को स्वच्छ और साफ सुथरा रखते हैं उन्हें पुरस्कार दिया जाता है। स्वच्छता और समानता के प्रतीक संत गाडगे जी महाराज जी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। कहते थे कि एक रोटी कम खाओ पर बच्चों को जरूर पढ़ाओ। सन् 1983 को संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। 20 दिसंबर 1998 को भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया था। महाराष्ट्र में उनके जयंती पर 23 फरवरी को अवकाश भी रहता है।
महाराष्ट्र के अमरावती के आसपास के जिलों मेंगाडगे बाबा की प्रतिमाएं हर घर में मिलती हैं। इनके नाम से बहुत सारे संस्था, ट्रस्ट, स्कूल, अस्पताल, विश्वविद्यालय, कल्याणकरी संस्थाएं है। इन्हें पूरे विश्व में जाना जाता है। विदेशों में भी गाडेग महाराज का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। संत गाडगे बाबा महान समाज सुधारक थे। वो ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। फिर भी अंधविश्वास का विरोध करते थे। उनके विचार, त्याग, बलिदान और साहस प्रेरणा लेने योग्य है। जब उनके पुत्र की मृत्यु हुई थी तो उनके आंखो से आंसू भी नहीं निकले थे। अपने कार्य में लगे हुए थे। ऐसे महान गाडगे बाबा को डॉक्टर साहब भीमराव अंबेडकर जी की निधन की खबर मिली तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने अपना भोजन और दवाइयां त्याग दी। ऐसे महान गाडगे महाराज का 14 दिन बाद यानी 20 दिसंबर 1956 को निधन हो गया।