हैदराबाद: पत्तिपाका मोनह को केंद्रीय साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार-2022 हासिल हुआ है। “बालला ताता बापूजी” (बच्चों के नाना बापूजी) गीत, गीत कथा के लिए डॉ पत्तिपाका मोहन पुरस्कार मिला है।
इसी क्रम में बालचेलिमी के संपादक वेदकुमार मणिकोंडा ने पत्तिपाका मोहन को केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर बधाई दी है। वेदकुमार ने रात को जारी बयान में कहा कि पत्तिपाका मोनह को पुरस्कार बाल साहित्य पुरस्कार-2022 मिलना दोनों तेलुगु राज्यों के बच्चों के लिए लेखन करने वालों के लिए गर्व की बात है।
उन्होंने आगे कहा कि इस पुरस्कार के पीछे पत्तिपाका की कई दशकों की कड़ी मेहनत है। पत्तिपाका मोहन बच्चों के लिए निरंतर लिखने वाले व्यक्ति है। मुझे विश्वास है कि पत्तिपाका बच्चों की दुनिया को और भी कई हीरे प्रदान करेंगे।
पालमूरु साहिति
दूसरी ओर पालमूरु साहिति अध्यक्ष डॉ भीमपल्ली श्रीकांत ने भी प्रमुख बाल लेखक, कवि, शोधकर्ता और नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली के सहायक संपादक डॉ पत्तिपाका मोहन को केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर बधाई दी है। श्रीकांत ने जारी एक बयान में कहा कि तेलंगाना बाल साहित्य को कंदों पर उठाकर विश्वभर में प्रचार करने वाले मोहन की साहित्य सेवा प्रशंसनीय है।
आपको बता दें कि केंद्र ने बुधवार को केंद्र साहित्य अकादमी 2022 पुरस्कारों के लिए चुने गए लेखकों के नामों की घोषणा की। उसी के हिस्से के रूप में पत्तिपाका मोहन द्वारा लिखित ‘बालला ताता बापूजी’ गीत कथा को पुरस्कार दिया गया। केंद्र साहित्य अकादमी ने इस वर्ष 22 लेखकों के लिए बाल साहित्य पुरस्कारों की घोषणा की है। नेशनल बुक ट्रस्ट तेलुगु के सहायक संपादक, कवि और साहित्यिक आलोचक पत्तिपाका मोहन का जन्म सिरिसिल्ला शहर में एक बुनकर परिवार में हुआ था।
डॉ सी नारायण रेड्डी के प्रिय शिष्यों में से एक डॉ पत्तिपाका मोहन बच्चों में साहित्य के प्रति जुनून पैदा करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किये हैं। बच्चों के लिए मन कवुलु, बालला ताता बापूजी, जो अच्युतानंद जोजो मुकुंद…, चंदामामा रावे, ओक्केसी पुव्वेसी चंदामामा जैसे अनेक रचनाएं किये हैं। उन्होंने नेशनल बुक ट्रस्ट के तेलुगु सहायक संपादक के रूप में विभिन्न भाषाओं में कईं कहानियों का तेलुगु में अनुवाद किया है।
35 वर्ष से कम उम्र के साहित्यकारों के लिए केंद्रीय साहित्य युवा पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। 2011 में शुरू किए गए इस पुरस्कार के तहत 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार और स्मृति चिन्ह प्रदान किए जाते हैं।