केंद्रीय हिंदी संस्थान: अनुवाद और रोजगार विषय पर सारगर्भित चर्चा, देश-विदेश के इन वक्ताओं ने दिया संदेश

हैदराबाद: विगत तीन वर्षों से प्रत्येक रविवार की शाम को केंद्रीय हिंदी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद तथा विश्व हिंदी सचिवालय के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार द्वारा आभासी वैश्विक संगोष्ठी का विधिवत आयोजन सतत जारी है। इस शृंखला में ‘अनुवाद और रोजगार’ विषय पर सारगर्भित चर्चा हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय अनुवाद परिषद के महासचिव प्रो पूरन चंद टंडन द्वारा की गई और मुख्य अतिथि के रूप में कुलपति डॉ के जी सुरेश जी पधारे थे। इसमें 30 से अधिक देशों के हिंदी से जुड़े विचारकों, साहित्यकारों और भाषाकर्मियों, शिक्षकों तथा शोधार्थियों ने हर्षोल्लास सहित प्रतिभागिता की।

कार्यक्रम में भोपाल से साहित्यकार डॉ जवाहर कर्नावट द्वारा प्रस्ताविकी प्रस्तुत करते हुए स्वागत किया गया। प्रथम चरण में गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा पुणे में 14-15 सितंबर को हिंदी दिवस और तृतीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के वृहद आयोजन के संबंध में साहित्यकार डॉ दामोदर खडसे द्वारा विषयवार सारगर्भित जानकारी दी गई जिसमें 12 हजार भाषाकर्मी सम्मिलित थे। सम्मेलन में इस मंच से जुड़े अनेक भाषाकर्मी भी औपचारिक रूप से सहभागी हुए थे।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो विवेक शर्मा के कुशल संचालन एवं स्वागत व्यक्तव्य के बाद गहन विमर्श आरंभ हुआ। विशिष्ट अतिथि के रूप में रेलवे बोर्ड के राजभाषा निदेशक डॉ बरुण कुमार ने केंद्रीय सरकार के कार्यालयों में राजभाषा और अनुवाद की व्यवस्था तथा रोजगार के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा की प्रो मीरा रामराव निचले द्वारा अनुवाद के व्यावहारिक और सैद्धांतिक तथा प्रयोजनमूलक पक्षों पर प्रस्तुति दी गई और ग्रामीण इलाकों में अनुवाद की अपेक्षाकृत अधिक सुविधाएँ बढ़ाने हेतु ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि अच्छा अनुवादक कभी बेरोजगार नहीं होता।

मुख्य अतिथि के रूप में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो के जी सुरेश ने कार्यक्रम की सराहना की और अनुवादक के रूप में शुरुआती संसदीय निजी अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि आज के समय में भाषा के प्रति उदासीनता सोचनीय है। अनुवाद के प्रशिक्षण में भी समयानुकूल परिवर्तन आवश्यक है तथा गूगल आदि के अनुवाद में अशुद्धियों से बचने हेतु यथेष्ट ध्यान आवश्यक है। विद्वान कुलपति महोदय ने अनुवाद हेतु भाषायी मर्मज्ञता की आवश्यकता बताई और अननुकूल अखबारी भाषा से मानक प्रयोग के रूप में बचने की सलाह दी।

प्रश्नोत्तर के क्रम में संपादक उमेश मेहता और हैदराबाद की प्रो कोकिला तथा भोपाल से प्रो ललिता रामेश्वर द्वारा उठाए गए सवालों का बेबाक विश्लेषण सहित उत्तर दिया गया। वयोवृद्ध भाषा विज्ञानी प्रो वी जगन्नाथन ने कहा कि आधुनिक समय में अनुवाद के लिए प्रौद्योगिकी का समुचित सहारा आवश्यक है ताकि मात्रात्मक वृद्धि हो सके। उन्होंने अनुवाद की गुणवत्ता कायम रखने, अनुवादक की पात्रता में वृद्धि करने और सूचना विस्फोट नियंत्रित करने की सलाह दी।

अध्यक्षीय उद्बोधन में अनुवाद मर्मज्ञ एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ पूरन चंद टंडन ने इस मंच के कार्यक्रमों की प्रशंसा की। उन्होंने अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार के व्यापक फलक की चर्चा करते हुए प्रतियोगिताओं को प्रासंगिक बताया और शुद्धता के साथ सतत अभ्यास को जरूरी करार दिया। दीर्घानुभवी प्रो टंडन ने कहा कि साहित्य और प्रयोजन मूलक हिंदी के अलावा पूरी दुनियाँ में अनुवाद से रोजगार के असंख्य द्वार खुले हैं। सूचना, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, पर्यटन, सम्पादन, प्रकाशन, प्रवासी लेखन, विविध सम्मेलन, गायन–वादन, संगीत, ब्लॉग लेखन, वृहद बाजार, समाचार, उद्घोषणा, कलेवर लेखन, मनोरंजन, मल्टीमीडिया, जुवेलरी, सिनेमा, कार्टून, डबिंग,रूपान्तरण, लिप्यंतरण आदि असंख्य क्षेत्रों में रोजगार के अपार अवसर हैं। अनुवादकों को अपने अनुवादक धर्म का पालन करते हुए नई नई सीख और भाषा विशेषज्ञता तथा निर्मल मन से काम करने की ननिहायत जरूरत है।

संयोजन एवं सहयोग मॉरीशस से विश्व हिंदी सचिवालय की महासचिव डॉ माधुरी रामधारी, केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो सुनील कुलकर्णी, सिंगापुर से प्रो संध्या सिंह, कनाडा से डॉ शैलेजा सक्सेना, यू. के. की साहित्यकार दिव्या माथुर एवं डॉ पदमेश गुप्त तथा भारत से डॉ नारायण कुमार, प्रो वी जगन्नाथन, डॉ जवाहर कर्नावट, डॉ विजय मिश्र, डॉ विजय नगरकर, डॉ गंगाधर वानोडे, विनय शील चतुर्वेदी, जितेंद्र चौधरी और प्रो विवेक शर्मा आदि द्वारा किया गया। तकनीकी सहयोग का दायित्व डॉ मोहन बहुगुणा और डॉ सुरेश मिश्र उरतृप्त तथा कृष्ण कुमार द्वारा बखूबी संभाला गया। शोधार्थियों का समन्वय दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोविवेक शर्मा ने किया।

समूचा कार्यक्रम वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष एवं साहित्यकार अनिल जोशी के कुशल एवं सुयोग्य समन्वय में संचालित हुआ। उनके जन्मदिन के अवसर पर सभी के द्वारा शुभकामनाएँ भी दी गईं। अंत में बेलगावि, कर्नाटक से इन पंक्तियों के लेखक डॉ जयशंकर यादव द्वारा सराहना के स्वर सहित आत्मीय भाव से माननीय अध्यक्ष, मुख्य अतिथि, विशिष्ट वक्ताओं, प्राध्यापकों, शोधार्थियों एवं देश विदेश से जुड़े सुधी श्रोताओं तथा कार्यक्रम टीम सदस्यों आदि के नामोल्लेख सहित कृतज्ञता प्रकट की गई। उन्होंने दुनियाँ की सभी भाषाओं के अनुवादकों को नमन करते हुए इस मंच को संगछ्ध्वम सवदध्वम, नहिं ज्ञानेन सदृशम, अमृतम प्रियदर्शनम और वसुधेव कुटुंबकम को चरितार्थ करने का विनम्र भाषा-सेवा प्रयास बताया। यह कार्यक्रम ‘वैश्विक हिंदी परिवार’ शीर्षक से यू-ट्यूब पर द्रष्टव्य है। रिपोर्ट लेखन कार्य डॉ जयशंकर यादव ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Recent Comments

    Archives

    Categories

    Meta

    'तेलंगाना समाचार' में आपके विज्ञापन के लिए संपर्क करें

    X