हैदराबाद: लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में केन्द्रीय हिन्दी संस्थान हैदराबाद एवं हिन्दी साहित्य भारती, तेलंगाना इकाई के संयुक्त तत्वाधान में पुस्तक ‘फौज की मौज’ लोकार्पण और काव्य गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्ज्वलित के बाद आरंभ हुआ। प्रारंभ मोहिनी गुप्ता द्वारा मधुर शारदे वंदना गीत गया। दोनों सत्रों का संचालन डॉ इन्द्रजीत सिंह तथा उमेश यादव द्वारा किया गया।
डॉ सुरभि दत्त ने अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रवींद्र शुक्ल द्वारा रचित मातृ भू वंदना प्रस्तुत की। सी पी सिंह, शिल्पी भटनागर तथा दया शंकर प्रसाद ने क्रमश: अतिथि गण का प्रभावशाली परिचय प्रस्तुत किया। प्रभारी डॉ सुरभि दत्त, महामंत्री डॉ राजीव सिंह, अध्यक्ष लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित ने केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक अध्यक्ष डॉ गंगाधर वानोडे, मुख्य अतिथि वरेण्य साहित्यकार डॉ ऋषभ देव शर्मा, विशेष अतिथि कर्नल वी के शर्मा का शाल, माला और स्मृति चिन्ह से सम्मान किया। साथ ही प्रतिष्ठित साहित्यकार सुनीता लुल्ला, ज्योति नारायण, प्रदीप भट्ट और सुहास द्वारा अध्यक्ष दीपक दीक्षित श्रीमती कृष्णा दीक्षित, वरिष्ठ साहित्यकारा विनीता शर्मा तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान के प्रबंध विभाग से डॉ राधा सांगली का सम्मान किया गया।
अपने स्वागत उद्बोधन में महामंत्री डॉ राजीव सिंह ने डॉ ऋषभ देव शर्मा, डॉ गंगाधर वानोडे, कर्नल शर्मा के प्रति अपना अमूल्य समय और सहयोग प्रदान करने के लिये कृतज्ञता अभिव्यक्त की। साथ ही उन्होंने कहा अतिथि रूप में उपस्थित गुरु जन का सानिध्य हमें प्रेरणा और ऊर्जा देता है। ऋषभ जी को सुनना अमृत छकने जैसा है। राष्ट्रीय महत्व की संस्था के साथ जुड़ना अपने आप में सौभाग्य है।
पुस्तक पर विचार रखते हुए कहा कि एक समय साहित्य सैनिकों का उत्साह बढ़ाता था, लेकिन आज उनके द्वारा साहित्य का उत्साह बढ़ाया जा रहा है। मार्गदर्शक डॉ माणिक्याम्बा मणि, सुनीता लुल्ला, डॉ देवा प्रसाद के प्रति भी कृतज्ञता प्रकट की लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित ने अपनी पुस्तक का परिचय रखते हुए कहा कि पाठकों के साथ सैनिक जीवन के अनुभव बांटने के उद्देश्य से संस्मरणों को समय-समय पर संकलित किया और ‘फौज की मौज’ पुस्तक का रूप दिया है।
तत्पश्चात गणमान्य अतिथियों द्वारा लेफ्टिनेंट कर्नल दीक्षित जी की पुस्तक का लोकार्पण किया गया। डॉ सुरभि दत्त ने सर्वप्रथम लौह पुरुष के राष्ट्र को संगठित करने के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरदार पटेल ने हमें यही संदेश दिया है। “भारत हमारा घर है हमें उसके उत्थान के लिए कार्य करना है”। पुस्तक के संस्मरणों पर अपने विचार रखते हुए कहा, लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित सैन्य जीवन से जुड़े प्रमुख प्रसंगों को रोचक तरीके से रखा है। सैन्य शब्दावली से भी पहचान कराते चलते हैं। पुस्तक सहज पठनीय है।
कर्नल विनोद शर्मा ने कहा जीवन में घटनाएं घटित होती हैं परंतु कुछ ही उन्हें अनुभव के रूप में संजो कर लिख पाते हैं ले.क. दीक्षित ने एक सैनिक के रूप में यह संभव कर दिखाया है। पुस्तक से फर्जी अफ्सर संस्मरण सुनाया। मुख्य अतिथि डॉ ऋषभ देव शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि सरल शब्दों में जो लेखक अपनी बात कहता है। वही सफल साहित्यकार है। साहित्य अनुभवों से तप कर निखरता है। अनुभवों के साथ अनुभूति परिपक्व होती है। लेफ्टिनेंट कर्नल दीक्षित ने सैनिक जीवन से संबंधित संस्मरणों को रस पूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है।
निदेशक डॉ गंगाधर वानोडे ने केन्द्रीय संस्थान के कार्यों, लक्ष्य और उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से उल्लेख किया। विदेशी भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर अपने कार्य अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा केंद्रीय हिन्दी संस्थान का हैदराबाद केन्द्र हिंदी प्रचार हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है। राष्ट्रीय संगोष्ठियों का केन्द्र स्वागत करता है। हज़ारों छात्र प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। साहित्यिक समितियों को अपना सहयोग देने के लिये सदैव तत्पर है। हिंदी के विकास को निरंतर उन्नति के मार्ग पर ले जाना चाहता है। मिलकर हिंदी संवर्धन की दिशा में हम और अधिक कार्य कर सकेंगे।
काव्यगोष्ठी सत्र के अध्यक्ष डॉ ऋषभ देव शर्मा मुख्य अतिथि डॉ विनीता शर्मा विशेष अतिथि सुनीता लुल्ला, झांसी से बृजेश शर्मा उपस्थित रहे। उपस्थित विनीता शर्मा, बृजेश शर्मा, ऋषभ देव शर्मा, सुनीता लुल्ला, ज्योति नारायण, देवाप्रसाद मायला, सरिता सुराना, सुहास भटनागर, प्रदीप देवी शरण भट्ट, लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित, संतोष रज़ा, दया शंकर प्रसाद, डॉ राजीव सिंह, शिल्पी भटनागर, मोहिनी गुप्ता, रेखा अग्रवाल, डॉ सुरभि दत्त, सी पी सिंह, उमेश यादव, डॉ इन्द्रजीत सिंह, नीरज हेगड़े की राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत, वीर सैनिकों को समर्पित कविताओं ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
ऋषभ देव जी ने अध्यक्षीय टिप्पणी में प्रत्येक कवि की कविताओं के केन्द्रीय पक्ष को रेखांकित कर उत्साह वर्धन किया। अंत में रेखा अग्रवाल ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये अतिथि गण, कविगण, श्रोता गण तथा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ सहयोग देने के लिये सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।