हैदराबाद: दक्षिण भारत के केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम के होटेल KTC Grand Chaithram में अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति का 19वाँ अधिवेशन हाल ही में संपन्न हुआ। अधिवेशन ‘केरल थीम’ पर ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसे फ़ेसबुक के माध्यम से हज़ारों लोगों ने देखा और सुना है। इस अवसर पर हैदराबाद (तेलंगाना) के कवि प्रदीप ने भी केरल थीम पर अपना गीत प्रस्तुत किया।
हिन्दी की हम अलख जगाएं, चलो चलें सब केरलम
हर भाषा हो पुष्पित कुस्मित चलो चलें सब केरलम
महोत्सव का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवम् राष्ट्रगान के साथ केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान एवं Abs 4 के अध्यक्ष सुरेश नीरव रिटायर्ड मेज़र जनरल अनूप नायर एवं मीरा नायर विशेष अतिथि के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ।
प्रथम सत्र में देश के विभिन्न कोनों से पधारे साहित्यकारों को संस्था की ओर से विभिन्न उपाधियाँ प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रदीप देवीशरण भट्ट को संस्था की ओर से ‘यायावर’ की उपाधि से रिटायर्ड मेज़र जनरल अनूप नायर के कर कमलों द्वारा प्रदान किया गया। मास्को से विशेष रूप से पधारी श्वेता सिंह ‘उमा’ का संस्था द्वारा विशेष सम्मान किया गया। मंच का संचालन डॉक्टर राखी सिंह कटियार एवं कविता प्रभा ने सँयुक्त रूप से किया।
द्वितीय सत्र में पण्डित सुरेश नीरव के संचालक में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें सभी कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी। इसी क्रम में कवि प्रदीप भट्ट ने इस अवसर पर अपनी एक ग़ज़ल पेश किया।
प्रदीप भट्ट की ग़ज़ल
“वफ़ा क्या है जफ़ा क्या है, मुझे तू क्यूँ बताता है
खफ़ा होना है हो जा, बेवज़ह क्यूँ तिलमिलाता है
हमेशा तू खफ़ा होता, अगरचे मैं हुआ तो क्या
किया कुछ भी नहीं अहंसा, मग़र फ़िर भी जताता है
तुझे भी इल्म ये बेहतर, नहीं मुझसा कोई दूजा
मग़र इसमें कभी उसमें, तू दिलचस्पी दिखाता है
तेरी चालाकियां एक दिन, तुझे लेकर के डूबेंगी
भला तू है नहीं फ़िर भी, भला बनकर दिखाता है
तेरी बातें समझ में, कम ही आती हैं मुझे भी ‘दीप’
मेरे पहलू में आकर, मुझसे ही दामन छुड़ाता है
इसके बाद सभी ने स्वामी पद्मनाभ मंदिर के दर्शन कर शैक्षणिक प्रवास प्रारम्भ किया और इस तरह तीन दिनी साहित्य महोत्सव का समापन हुआ।