हैदराबाद : तेलंगाना में अन्नदाता परेशान है। मुख्य रूप से धान फसल के किसानों का हाल बेहाल है। धान बेचने के लिए किसान आईकेपी केंद्रों के पास काम धंदा छोड़कर करीब एक महीने से बैठे हैं। अनाज खरीदी को लेकर तेलंगाना सरकार केंद्र को और केंद्र सरकार तेलंगाना को उल्टे-पुल्टे बयान दे रहे हैं। दोनों के बयान सुनकर किसान और चिंतित हो रहे हैं। ऊपर से मौसम की मार भी पड़ रही है। कर्ज लेकर और रात-दिन मेहनत करके उगाई गई फसल को बेचने और खरीदने की इतनी बड़ी मुसीबत शायद पहले कभी नहीं आई। तेलंगाना को अन्नपूर्ण प्रदेश और किसानों को अन्नदाता कहा जाता है। आज अन्नपूर्ण प्रदेश और अन्नदाताओं को हाल देखा नहीं जाता। इसके लिए जिम्मेदारी कौन है? यह कहां तक सच है कि खरीदारी के लिए सेंटर नहीं है और रखने के लिए जगह नहीं है? बुद्धिजीवियों का आरोप है कि इसके पीछे बड़ा षड्यंत्र है।
केवल नाम के ही धान क्रय केंद्र
इसी तरह किसानों का भी आरोप है कि तेलंगाना सरकार ने केवल नाम मात्र धान क्रय केंद्र (आईकेपी) स्थापित किये हैं। अधिकांश केंद्रों में बैनर लगाकर और नारियल फोड़कर अधिकारी और नेता चल दिये। हफ्ते-हफ्ते बीतते जा रहे है। मगर धान को खरीदा नहीं जा रहा है। एक महीने पहले तेलंगाना सरकार ने कहा था कि राज्य भर में 6,500 से अधिक आईकेपी सेंटर स्थापित किये जाएंगे। नागरिक आपूर्ति विभाग ने घोषणा की गुरुवार तक 5,027 आईपीके केंद्र खोले गये हैं। लेकिन इनमें से आधे केंद्रों भी चावल की खरीदी नहीं की जा रही है। बताया गया कि सूर्यापेटा जिले में 333 केंद्रों में से 276 केंद्र खोले गये हैं। मगर 57 केंद्रों में ही अनाज की खरीदी की जा रही है। अन्य केंद्रों के पास किसान दिन-रात अनाज की रखवाली कर रहे हैं।
कहीं-कहीं धान में अंकुर
इस विषय को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि फसल काटे एक महीना बीत गया है। मगर अनाज की खरीदी नहीं की जा रही है। एक ओर किसानों के सवाल और हमारी आलोचना को बर्दाश्त न कर ही अनाज खरीदी केंद्रों की संख्या अधिक बताई गई है। मगर वास्तव में ऐसा नहीं हौ। दूसरी ओर बादल और बारिश के कारण धान में अधिक नमी होने की मिल मालिकों की शिकायत के कारण खरीदी करने में देरी की जा रही हैं। पिछले एक सप्ताह से रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण कई केंद्रों और खेतों में रखा गया अनाज भीग गया है। कहीं-कहीं धान में अंकुर भी आ गये हैं। बादल छाये रहने के कारण धान भी नहीं सूख रहा है। इसके चलते मिल मालिक नमी अधिक होने के कारण अनाज नहीं ले रहे हैं। किसानों का आरोप है कि ज्यादातर केंद्रों में इन मिल मालिकों की बातें सुनकर ही खरीदी नहीं कर रहे हैं। पिछले चार-पांच दिनों से अधिकांश मिलों में धान को अनलोडिंग नहीं किया गया है।
अनलोड नहीं किया
इसके चलते करीमनगर जिले के वीणवंका मंडल के कोर्कल गांव में शुक्रवार को किसानों ने वासवी चावल मिल के सामने धरना दिया। सिद्दीपेट जिले के कोहेड मंडल के कुरेल्ला आईकेपी सेंटर से धान को तीन लॉरियों में चिन्नाकोडुरु मंडल के मेडिपल्ली मिल्स में भेज दिया गया। मगर वहां तीन दिन से अनलोड नहीं किया गया। इसके चलते कोरेल्ला सेंटर में खरीदी बंद हो गई। यादाद्री जिले के बीबीनगर मंडल के पीएसीएस केंद्र से उसी मंडल के एक राइस मिल के पास तीन दिन पहले ये लॉरियां गई। लेकिन मिल मालिकों ने लॉरी चालकों को बताया कि उनके यहां रखने की जगह नहीं है। लॉरी चालकों ने यही बात पीएसीएस केंद्र के प्रबंधकों को फोन करके बताया कि उनकी मिल में जगह नहीं है और इसे उतारने में दस दिन का समय लगेगा। साथ ही कहा कि यदि संभव हो तो आकर इसे खाली करो या हम लोड के साथ वापस लेर आ जाएंगे और बैगों को फिर से वहीं केंद्र पर उतार देंगे। यह सुनकर सभी अधिकारी परेशान हो गये।
लॉरी मालिकों के साथ कोई परिवहन समझौता नहीं
इतना ही नहीं, अभी भी कुछ अन्य जिलों में लॉरी मालिकों के साथ कोई परिवहन समझौता नहीं हुआ है। बताया गया है कि खम्मम जिले में 179 केंद्रों में से 120 केंद्रो में खरीदारी शुरू कर दी है। मगर सच्चाई कुछ और ही है। केवल दस ही केंद्रों में ही धान की खरीदी की जा रही है। कहा जा रहा है कि इसका कारण ट्रांसपोर्ट एग्रीमेंट और मिलों का आवंटन ठीक प्रकास से नहीं हुआ है। मंचीरियाल जिले में भी 250 केंद्रों में से सिर्फ 10 केंद्र खोले गये हैं। इसका भी कारण मिलों का आवंटन ठीक प्रकार से नहीं किया गया। इसके चलते दस केंद्रों को छोड़कर किसी में भी अन्य केंद्र में खरीदारी शुरू नहीं हुई है। लॉरी नहीं होने से केवल मेदक जिले में करीब 50 केंद्रों में खरीदारी ठप हो गई है। बड़ा आरोप यह भी हैं कि मिलर्स सिंडिकेट बनकर खरीदारी करने में देर कर रहे हैं।