सावधान! जल बिना जीवन नहीं, इसीलिए लेखक कह रहा है पहले करें यह काम, वर्ना…

जल जीवन का मुख्य आधार है। बिना जल के पृथ्वी की कल्पना करना ही असंभव है। मनुष्य की नादानियों के कारण जल संकट पैदा होता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व जल दिवस मनाने का संकल्प लिया गया। जल हर देश और हर एक प्राणी के लिए आवश्यक है। विश्व जल दिवस मनाने का उद्देश सभी विकसित देशों में सुरक्षित जल व स्वच्छ पानी की उपयोगिता रहे। साथ ही हर किसी को जल के संरक्षण पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

साल 2025 की थीम ‘ग्लेशियर संरक्षण’ है। आजकल ग्लेशियरों का पिघलना तेज हो रहा है। आज आवश्यकता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण जमे हुए जल की रक्षा करना। ग्लेशियर स्वच्छ पानी को एकत्रित करते हैं। यह कृषि उद्योग, पीने के पानी एवं ऊर्जा उत्पादन में प्रयोग होता है। आज एंडीज, आर्कटिक और हिमालय जैसे इलाकों में ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इससे अचानक पानी के बह जाने से बस्तियां को खतरा पैदा होते जा रहे हैं।

वर्तमान में अनेक देशों में पेयजल की भारी कमी है। आधे से अधिक वैश्विक आबादी पर जल संकट का साया मंडरा रहा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की काफी कमी है और अनेक स्थानों पर तो पानी के कनेक्शन उपलब्ध नहीं है। वहां टैंकरों से पानी का पहुंचाया जाता है, जबकि अनेक राज्य सरकारों ने ग्रामों में नल के कनेक्शन दिए हैं और पानी की कमी को पूरा करने का प्रयास किया है।

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इतना ही नहीं, सरकार द्वारा जल प्रबंधन और जल की उपयोगिता के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत की है, जिसमें नमामि गंगे, जल शक्ति अभियान, अटल भूजल योजना और भी अनेक योजनाएं शामिल है। इतना सब कुछ करने के बाद भी कुछ गांवों के भूजल में साफ पानी की उपलब्धता नहीं है। इसलिए उस क्षेत्र में सरकार स्वच्छ जल देने का प्रयास कर रही है।

बिना जल के किसी भी जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। प्राणी ही नहीं, पेड़ पौधे वनस्पति, पशु, पक्षी सभी के लिए जल जरूरी है। हर जगह जल का इस्तेमाल होता है। ऐसे समय में हम सब का कर्तव्य है कि जल का सही प्रयोग करें। विश्व जल दिवस का उद्देश्य उचित मात्रा में जल की उपलब्धता रहे। इसकी पहल ब्राजील में रिओ डी जेनेरियो में 1992 में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में विश्व जल दिवस मनाने की घोषणा की गई और 1993 में संयुक्त सम्मेलन सभा के द्वारा इस कार्यक्रम को 22 मार्च को बनाने की घोषणा हुई। सभी से शुद्ध जल व संरक्षण के महत्व पर जागरूकता की गई।

भारत में कई क्षेत्रों में भूजल काफी नीचे चला गया है, जिससे पानी प्राप्त करने के लिए काफी नीचे तक खुदाई करनी पड़ती है। पानी की कमी की वजह से कई जगह पर सूखे जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। पानी की उपलब्धता पूरी करने के लिए टैंकरों एवं अन्य साधनों के द्वारा पानी की कमी वाले स्थान पर पहुंचाया जाता है। शहर के विस्तार के कारण और बढ़ती हुई आबादी के कारण पानी की कमी गर्मी में बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। जगह-जगह खेत खलियान और जंगल को काटने से वातावरण गर्म हो रहा है जिससे वर्षा का समय भी बदल सा गया है।

विश्व जल दिवस इसी बात की याद दिलाता है। हम जल को किस प्रकार सुरक्षित कर सकते हैं। वर्षा का जल नदियों में बह जाता है। हमारी जिम्मेदारी है कि भविष्य की चिंता करते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए जल छोड़कर जाएं। वर्षा का जल संरक्षण करें। जहां भी गिरे और जब भी गिरे वर्षा का जल इकट्ठा करें। अक्सर देखा गया है कि बरसात में जगह-जगह पानी भर जाता है।

सड़कें पानी से लबालब हो जाती हैं और ज्यादा पानी पड़ने पर तो बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। जिससे कुछ दिनों को जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, ऐसे में हर निर्माण में जल संरक्षण की व्यवस्था जरूरी कर दी जाए तथा पुरानी निर्मित इमारतों में प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए तभी अंतरराष्ट्रीय मिशन सफल होगा। सब के सहयोग से ही सफलता मिलती है। स्मरण रहे, हम घर में भी जल को सुरक्षित करें यही हमारा उद्देश्य है।

आज आवश्यकता है सेमिनार के द्वारा जल के संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा की जाए। अभियान चलाए जाए। संयुक्त राष्ट्र विश्व जल दिवस का मुख्य उद्देश्य सतत विकास लक्ष्य 6 एस डी जी की उपलब्धि का समर्थन करते हुए 2030 तक सभी के लिए पानी की स्वच्छता पर जोड़ दिया है और जल उपलब्ध कराना है।

के पी अग्रवाल (99481 84230)

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