राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर विशेष: भविष्य के लिए यह करें, वह न करें

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने का तात्पर्य है कि उपलब्ध ऊर्जा को सही प्रयोग में लाया जाये। अन्यथा ऊर्जा के स्रोत समाप्त होते जाएंगे। परिणामस्वरूप हम आधुनिक युग में बिना ऊर्जा के एक पल भी नहीं जी पाएंगे। जैसी हमारी जीवनशैली होती जा रही है, वैसी ही हमें अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ रही है। हम हर मौसम को अपने हिसाब से ढालना चाहते हैं। गर्मी में एसी, पंखे, कूलर आदि की जरूरत होती है। सर्दियों में हीटर आदि की जरूरत होती है। इन सब के लिए ऊर्जा जरूरी है।

ऊर्जा का कोई भी रूप हो चाहे वह रासायनिक हो, यांत्रिक ऊर्जा इन सभी के लिए प्राकृतिक स्रोतों का होना अत्यंत आवश्यक है। वह हमारे अमूल्य निधि है। वह समाप्त हो जाएगी तो हम ऊर्जा प्राप्त नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमारे प्राकृतिक संसाधनों से निर्मित ऊर्जा को अत्यधिक सावधानी पूर्वक अर्थात अत्यंत आवश्यक हो तभी प्रयोग में लाना चाहिए। बचत का प्रयास करना चाहिए।

ऊर्जा कई स्थानों से प्राप्त होती है। सूर्य की ऊर्जा के बिना तो जीवन का आधार ही नहीं हो सकता। सूरज की रोशनी और गर्मी से फल, फूल अनाज आदि पैदा होते हैं और आजकल तो जहां बहुत अधिक सूर्य का प्रकाश रहता है वहां पर सौर्य ऊर्जा का संरक्षण करके उसको रात में भी प्रयोग किया जा सकता है। या बाद में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। यानी जब आवश्यकता तब इसका इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। सौर ऊर्जा से प्राप्त बिजली सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सकती है। इसलिए अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का इस्तेमाल होना चाहिए।

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ऊर्जा कई प्रकार से प्राप्त होती है। मुख्य रूप से कोयले व लकड़ी से रासायनिक ऊर्जा मिलती है। यांत्रिक ऊर्जा मशीन में काम करने के उपयोग में आती है। खाना पकाने के लिए पहले तो लकड़ी, कोयले के चूल्हे प्रयोग किये जाते थे, जिससे धुँआ बहुत ज्यादा होता था और वह स्वास्थ्य पर असर पड़ता था। अब घर-घर गैस सिलेंडर आने लगे हैं, जिससे खाना बनाना आसान हो गया है।

कच्चे तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस, जीवाश्म ईंधन आदि पर्याप्त ऊर्जा पैदा करते हैं, लेकिन प्रतिदिन इसकी मांग बढ़ने के कारण इसको कम होने का भय भी बना रहता है। इसीलिए इसका कम से कम उपयोग किया जाना चाहिए। पिछले दिनों हमने देखा किस प्रकार कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पन्न करने वाले प्लांट को मुश्किल का सामना कर रहना पड़ा था, जिससे पर्याप्त मात्रा में बिजली पैदा नहीं हो पा रही थी।

इसीलिए यह दिन यह याद दिलाता है कि ऊर्जा की बचत का ख्याल हर एक को करना है। घर में उपयोग होने वाले बल्बों, पंखों समरसेविलों, हीटर आदि को समय पर बंद कर देना चाहिए। जिससे ईंधन की खपत कम हो सके। हालांकि आजकल आधुनिक तरीके से अंदर जाते ही बत्ती जल जाती है या पंखे चल जाते हैं। और बाहर आते ही अपने आप दोनों बंद हो जाते हैं। जिससे जरा भी ऊर्जा बेकार नहीं होती। लेकिन यह प्रणाली काफी महंगी होने के कारण पर्याप्त मात्रा में सुलभ नहीं हो सकती। इसके अलावा कार्य स्थलों पर भी तेज रोशनी से बचा जाए और कम ऊर्जा की खपत की जाए। कई देशों की सरकारों ने तो ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए ऊर्जा और कार्बन टैक्स लगा रखा है। इससे लोगों में एक सीमा तक ही ऊर्जा का उपयोग करने में प्रोत्साहन मिलता है ।

हर वर्ष राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 14 दिसंबर को मनाया जाता है। आज लोगों को ऊर्जा के बारे में जानकारी दी जाती है कि किस प्रकार ऊर्जा की बचत कर सकते हैं। कम से कम ऊर्जा का प्रयोग किया जाए। किस प्रकार घरों में प्रयोग होने वाले बिजली को समय पर बंद करके ही बाहर आया जाए। ऊर्जा बचाना बहुत आवश्यक है। जिससे भविष्य में आने वाली पीढ़ी को ऊर्जा मिल सके। वर्ष 1977 में भारत सरकार ने भारत में पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संगठन स्थापित किया था जिसका मुख्य कार्य लोगों के बीच ऊर्जा संरक्षण और कुशलता को बढ़ावा देना था।

वर्ष 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम बनाया गया, जिसमें ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का गठन किया गया था। यह एक संवैधानिक निकाय है, जो भारत सरकार के अधीन आता है। इनका कार्य ऊर्जा को कम करने के बारे में बताना, नीतियां बनाना और रणनीतियों के विकास में मदद करना है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2024 की थीम “सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देना: हर वाट मायने रखता है”। यह थीम ऊर्जा संरक्षण में सामूहिक प्रयासों के महत्व पर जोर देती है और इसका उद्देश्य लोगों को स्थायी ऊर्जा प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। ऊर्जा संरक्षण के लिए एलईडी बल्ब का उत्पादन तेजी से बढ़ा है, जिसमें बिजली की खपत बहुत कम होती है।

इसी प्रकार अन्य उपकरण भी बिजली की खपत को कम करने वाले उत्पादित किए गए। इससे बिजली की खपत कम हुई। इसी प्रकार पानी में भी बचत के लिए नल जलवाहक, कम प्लस वाले कमोड का प्रयोग किया गया, जिससे पानी की खपत कम हो। घर में सोलर पैनल सिस्टम लगाने से बिजली की खपत कम हो जाती है। प्राकृतिक प्रकाश का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। इससे बिजली की खपत में कमी आएगी ।

पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के लिए बिजली की रेलगाड़ियां चलाई गई। कारें, बसें, पेट्रोल और डीजल से न चलकर बैटरी से चलाई जा रही है और उस बैटरी को बिजली से चार्ज किया जाता है। इन सब के प्रयोग से वातावरण में कार्बन की मात्रा कम हो रही है। पर्यावरण को सुधारने का प्रयत्न किया जा रहा है।

इस अवसर पर सरकार और संगठन प्रतियोगिताओं आयोजित करते हैं,जिसमें ऊर्जा संरक्षण के महत्व को बताया जाता है। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोगों को प्रमाण पत्र और नगद पुरस्कार भी दिए जाते हैं। सरकार के साथ-साथ हम सबको भी ऊर्जा की खपत पर ध्यान देने की जरूरत है जिससे ऊर्जा कम से कम खपत हो। पास की दूरी को पैदल या साइकिल से पूरी की जाए और अधिक से अधिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल किया जाए।

के पी अग्रवाल, हैदराबाद

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