विशेष लेख : छठ पूजा की विशेषता और प्रचलित कहानियां

भारतीय नारी की यह एक बहुत बड़ी विशेषता है कि वह अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए कठिन से कठिन व्रत करने को तैयार रहती हैं और बड़े उल्लास के साथ विधिपूर्वक पूजा अर्चना करके व्रत का पारायण करती हैं। इसी संदर्भ में छठ पूजा हिंदुओं का त्यौहार है। मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी यह त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान सूर्य एवं छठी मैया की पूजा अर्चना के साथ-साथ कठिन व्रत रखते हैं।

निर्जला व्रत

यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर समापन सप्तमी तिथि पर होता है। छठ पर्व का पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संघ्या अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देते समापन हो जाता है। इन चार दिनों में 36 घंटों तक बेहद कठिन निर्जला व्रत रखा जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, गुड की खीर बनाई जाती है। इसमें मीठा नींबू, गन्ना और केला अवश्य चढ़ाया जाता है।

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प्रचलित कहानियां

द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब कुष्ट रोग से पीड़ित थे। अत: श्री कृष्ण ने उन्हें सूर्य आराधना की सलाह दी। जिस पर साम्ब ने सूर्य देव की सच्चे मन से पूजा की। साम्ब की उपासना से साम्ब को कुष्ट रोग दूर हो गया। उन्होंने 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण करवाया। कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा में और बिहार के औरंगाबाद में देवार्क सूर्य मंदिर बनवाया।

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लव और कुश

रामायण में राम और सीता के अयोध्या लौटने पर लोगों ने दीपावली मनाई और उसके छठे दिन रामराज्य स्थापित हुआ। इस दिन राम और सीता ने व्रत रखा और सीता ने सूर्य षष्ठी/छठ पूजा की। इसलिए उन्हें लव और कुश के रूप में पुत्र प्राप्त हुए।

सरकार सहयोग

एक और ऐसी भी मान्यता है कि सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर सरकारें पूजा के लिए अनेक प्रकार की सुविधाऐं प्रदान करती है। अधिकतर बाहर रह रहे लोग अपने घर आकर पूजा करना चाहते हैं, तो सरकार की ओर से विशेष रेलगाड़ियां की व्यवस्था एवं सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। यह ऐसा त्यौहार है, जिसमें पूरे परिवारजन एकत्र होकर इस त्यौहार को मनाते हैं, जिससे उनके घर में सुख शांति और संपन्नता बनी रहे।

के पी अग्रवाल

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