हैदराबाद: स्वतंत्रता सेनानी पंडित गंगाराम स्मारक मंच तथा आर्य कन्या विद्यालय हाई स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में महर्षि दयानंद की 200 की जयंती पर्व पर महर्षि के अनन्य शिष्य, महान राष्ट्रभक्त, महान दलितोद्धारक एवं शुद्धि आंदोलन के प्रणेता स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस एवं हैदराबाद राज्य के भारत में विलय के सूत्रधार सरदार वल्लभभाई पटेल, स्वाधीन भारत के पहले गृहमंत्री एवं उप प्रधानमंत्री की पुण्यतिथि भव्य रूप से मनाई गई।
इस अवसर पर स्वामी श्रद्धानंद जी की नवासी श्रीमती मंजूश्री और डॉ विजयवीर विद्यालंकार मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। आर्य कन्या विद्यालय हाई स्कूल, सेंट जॉर्ज गर्ल्स जूनियर कॉलेज तथा स्टेनली जूनियर कॉलेज के छात्राओं ने भी बढ़कर चढ़कर भाग लिया।
कार्यक्रम के आरंभ में श्रद्धानंद जी और सरदार पटेल जी के जीवनी पर आर्य कन्या विद्यालय के छात्र-छात्राओं- अनुश्री ने हिंदी में, अभिलाष ने तेलुगु में, आकांक्षा ने अंग्रेजी में, श्रीनिजा और तृप्ति ने हिंदी में प्रकाश डाला। इसी क्रम में सेंट जॉर्ज जूनियर कॉलेज की मुस्कान ने हिंदी में स्वामी श्रद्धानंद जी के जीवन पर प्रकाश डाला। सरदार पटेल पर आर्य कन्या विद्यालय के हजरा और नेहा ने हिंदी में और स्टेनली जूनियर कॉलेज से रोशनी ने उनके जीवनी के बारे में बताया। नवीन ने सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर हिन्दी में, आर्य कन्या विद्यालय के बिपिन ने स्वतंत्रता सेनानी पं गंगाराम वानप्रस्थी जी के हैदराबाद मुक्ति संग्राम में योगदान एवं जीवन पर अपना प्रकाश डाला।
इसी कड़ी में अशोक श्रीवास्तव ने स्वामी श्रद्धानंद और सरदार पटेल के कुछ अद्भुत ज्ञानवर्धक विवरण सुनाया। साथ ही स्वलिखित कविता का पाठ किया। मुख्य वक्ता श्रीमती मंजूश्री का स्वागत स्वतंत्रता सेनानी पण्डित गंगाराम मंच के अध्यक्ष भक्त राम ने शाल पहनाकर स्वागत किया तथा मंत्री श्रुतिकांत भारती ने मालार्पण तथा डॉ विजयवीर विद्यालंकार का स्वागत मंच के कोषाध्यक्ष प्रदीप जाजू ने शाल द्वारा किया और श्रुतिकांत भारती ने मालार्पण द्वारा। स्वतंत्रता सेनानी पंडित गंगाराम स्मारक मंच के अध्यक्ष भक्त राम ने मंच के गतिविधियों के बारे में विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने मुख्य अतिथि श्रीमती मंजूश्री और डॉ विजयवीर विद्यालंकार का आभार व्यक्त किया।
मुख्य वक्ता श्रीमती मंजूश्री ने बताया कि स्वामी श्रद्धानंद बहुत ही दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति थे। साथ ही महर्षि दयानंद के साक्षात्कार और सत्य में उनकी निष्ठा से उनका जीवन ही बदल दिया। वह बिल्कुल ही साधारण से व्यक्ति थे और पिताजी के आदेश पर महर्षि दयानंद के प्रवचन सुनाने चले गए और इतने प्रभावित हुए की जीवन की काया बदल गई।
संकल्प और सत्य की राह इन्हें इतनी ऊंचाई पर पहुंचाई की वह मुंशीराम से स्वामी श्रद्धानंद बन गये। उनकी वाणी मधुर थी। वह अपनी बात को विनम्रता और दृढ़ता पूर्वक रखते थे। विजयवीर विद्यालंकार ने गुरुकुल कांगड़ी और स्वामी श्रद्धानंद जी के परिवार संबंध में अनेक बातें बताई। ऐसा लगा कि श्रोताओं को कई बातें जानने का अवसर प्राप्त हुआ।
इस कार्यक्रम में सोमनाथ, दिनेश सिंह, रोजा, मनोहर सिंह, रामलता, सविता, पूजा, भगत सिंह, भागीरथ शारडा, सुनील सिंह , महेश अग्रवाल, प्रेमचंद मुनोत, रणधीर सिंह, उमा तिवारी, चित्रा, विभा भारती, मालिनी, के राजन्ना, डॉ धर्मतेजा, धर्मपाल, मालिनी मोदिया, के के गुप्ता, डॉ प्रताप रूद्र, मालिनी मोदिया, सुधा ठाकुर, पतंजलि योगपीठ की सक्रिय महिलाएं और अन्य ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन श्रुतिकांत भारती ने किया। अंत में पंडित प्रियदत्त शास्त्री ने सभी को धन्यवाद किया। शांति पाठ के साथ सभा का समापन हुआ।