रमजान : इस्लाम धर्म में सबसे पाक महीना, ये हैं नियम और मकसद

इस्लाम धर्म के रमजान बेहद पाक महीना माना जाता है। इस साल 12 मार्च से रमजान की शुरुआत हो रही है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं और पांच वक्त की नमाज पढ़कर अल्लाह से दुआएं मांगते हैं। इसका उत्साह लोगों में काफी देखने को मिलता है, वो दिनभर रोजा रखते हैं और शाम के समय अल्लाह से इबादत करके रोजा खोलते हैं और अपनों के लिए दिल से दुआएं मांगते हैं।

  1. आसमान पर नया चांद आया है,
    सारा जहां खुशियों से जगमगाया है,
    हो रही है सहर ओ इफ्तार की तैयारियां,
    उठ रहे हैं दुआओं के लिए हाथ,
    अल्लाह करें सबके दिलों के अरमान
    रमजान मुबारक हो आपको !
  2. गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है,
    सितारों ने चांद को सलाम भेजा है,
    मुबारक हो आपको यह पाक महीना
    यह पैगाम हमने अपने खास को भेजा है
    रमजान मुबारक
  3. रमजान आया है,
    रहमतों का बरकतों का महीना आया है,
    मांग लो जितनी दुआएं हैं दिल में,
    अल्लाह ने इस दिन को हर किसी के रमजान मुबारक हो आपको
  4. खुशियां नसीब हो रहे दिल में सुकून,
    आप जो भी मांगे दुआ वो हो जाए कबुल,
    मक्का और मदीना की जियारत हो आपको नसीब,
    रमजान की बधाई आपको !
  5. रमजान लेकर आया है,
    दुआओं की झोली में, खुदा के अल्फाज,
    दिल से अल्लाह को करें याद और पढ़ते रहिए नमाज
    आप सभी को रमजान मुबारक

आमतौर पर, रमजान का चांद सबसे पहले सऊदी अरब में दिखता है जिसके एक दिन बाद भारत के कुछ हिस्सों के साथ-साथ कुछ पश्चिमी देशों में देखा जाता है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में चांद एक ही दिन देखा जाता है. रमजान 2024 का चांद आज रात यानी 10 मार्च, 2024 को दुनिया के कुछ हिस्सों में देखे जाने की उम्मीद थी, जिसके बाद सऊदी अरब में रमजान 2024 का अर्धचंद्र देखा गया है. इसलिए सऊदी में पवित्र रमजान का पहला रोजा सोमवार 11 मार्च 2024 को है. यहां पर सभी मस्जिदों में तरावीह आज से ही शुरू हो गई है.

सऊदी अरब के साथ ही संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में कल सोमवार, 11 मार्च को रमजान 2024 का पहला रोजा रखा जा रहा है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में रमजान एक दिन बाद शुरू होगा यानी 11 मार्च की शाम से तरावीह होगी और 12 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा. सऊदी अरब में रमजान का चांद 10 मार्च यानी आज दिखाई दे गया है, तो यहां पहला रोजा 11 मार्च को रखा जाएगा.

वहीं भारत और पाकिस्तान में रमजान का चांद सऊदी अरब के चांद के एक दिन बाद दिखता है, इसलिए इन देशों में रमजान के रोजे की शुरुआत सऊदी अरब के एक दिन बाद से होगी. सऊदी अरब में रमजान का चांद दिख गया है. अक्सर सऊदी अरब में चांद दिखने के एक दिन बाद भारत में अलगे दिन चांद दिखाई देता है. ऐसे में भारत में 11 मार्च सोमवार को चांद दिखेगा. भारत में इस साल रमजान की तारीख 12 मार्च 2024 है. रमजान चांद दिखने पर शुरू होता है और उसके अगले दिन से रोजा रखा जाता है. मंगलवार 12 मार्च को भारत में पहला रोजा रखा जाएगा.

रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है जो कि 720 घंटे यानी चार सप्ताह और दो दिनों तक चलता है. इस दौरान मुस्लिम लोग सुबह से शाम तक रोजा रखते हैं. इसे रहमत और बरकत का महीना कहा जाता है, जिसमें लोग ज्यादा से ज्यादा वक्त इबादत में गुजारते हैं और दान या जकात देते हैं. हालांकि, रोजों की तारीख हर साल बदलती रहती है क्योंकि इस्लामी कैलेंडर के चांद दिखने पर आधारित है, इसलिए इसकी शुरुआत और समापन आधे चांद के दिखने पर निर्भर करती है.

इस्लाम धर्म में रमजान का महीना सबसे पाक माना जाता है. इस पूरे महीने मुस्लिम लोग रोजा यानी उपवास रखते हैं और अपना ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में बिताते हैं. मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए इस महीने के आखिर में ईद-उल-फितर मनाते हैं, जिसे मीठी ईद भी कहा जाता है. मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना इसलिए इतना पाक माना गया है क्योंकि इस महीने में पैगंबर मोहम्मद साहब को साल 610 में लैलतुल-कद्र के मौके पर इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरआन शरीफ मिली थी.

इस साल पहला रोज़ा सबसे छोटा होने वाला है, जो करीब 13 घंटे 20 मिनट का होगा, जबकि आखिरी रोज़ा सबसे लंबा, 14 घंटे और 8 मिनट का होने वाला है। माना जाता है कि पवित्र रमजान महीने का पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मग़फिरत का होता है और तीसरा जहन्नम से आजादी का होता है। ‘अशरा’ दरअसल अरबी का दस नंबर होता है। यानी रमजान के पहले दस दिन (1-10) में पहला अशरा, दूसरे 10 दिन (11-20) में दूसरा अशरा और तीसरे 10 दिन (21-30) में तीसरा अशरा बंटा हुआ है। इस तरह रमजान के महीने में 3 अशरे होते हैं। इस दौरान रहमत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और पूरे नियम और सच्चे मन के साथ रोज़ा रखने से अल्लाह रोजेदार के सारे गुनाह माफ कर देते हैं।

रोजा के नियम

सबसे बड़ी बात यह है कि रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। यानी इस दौरान न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही किसी को बुरा कहें।
साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे।
रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है।
हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं।

महत्व

आमतौर पर रमजान का रोजा 29 या 30 दिनों का होता है। इस्लाम धर्म में बताया गया है कि रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है। चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज के निकलने से पहले सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है और सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है।

सहरी

हालांकि, रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान के साथ होती है। इस समय सहरी ली जाती है। रमजान माह में रोजाना सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सहरी नाम से जाना जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है। सभी मुस्लिम लोगों को रोजा रखना अनिवार्य माना जाता है, लेकिन बच्चों और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को रोजा रखने के लिए छूट दी गई है।

इफ्तार?

वैसे तो दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रखने के बाद शाम को नमाज पढ़ी जाती है और खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है। इसके बाद से सुबह सहरी से पहले व्यक्ति कुछ भी खा पी सकता है।

लेखिका सैयद फलक नाज़

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