हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र द्वारा प्रसिद्ध तमिल महाकवि, विचारक और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्य भारती की जयंती के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे ‘भारतीय भाषा दिवस’ के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उस्मानिया विश्वविद्यालय की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शुभदा वांजपे उपस्थित रहीं। साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता हैदराबाद की वरिष्ठ सदस्या डॉ एस राधा ने की। इस अवसर पर हैदराबाद केंद्र द्वारा आयोजित 466वें नवीकरण पाठ्यक्रम महाराष्ट्र राज्य के हिंगोली जिले से आए हिंदी अध्यापक शामिल हुए।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो शुभदा वांजपे ने भारतीय भाषाओं के महत्व और भारत की भाषाई और सांस्कृतिक भिन्नता के संदर्भ में अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि भारत एक बहुभाषिक और बहुसांस्कृतिक देश है। हर भाषा की अपनी संस्कृति होती है, जो उसकी विशेष पहचान होती है। भारत की भाषाई भिन्नता को बरकरार रखते हुए हमें सौहार्दपूर्ण वातावरण में समस्त भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना रखनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने हिंदी भाषा के विकास में अनुवाद के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि हम अनुवाद के माध्यम से एक भाषा के विचार को दूसरी भाषा के लोगों तक साझा कर सकते हैं।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डॉ एस राधा ने सुब्रमण्य भारती के बहुआयामी व्यक्तित्व को रेखांकित किया और कहा कि वे प्रसिद्ध कवि, स्वाधीनता सेनानी, समाज-सुधारक और पत्रकार ही नहीं थे बल्कि उत्तर एवं दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु भी थे। उन्होंने कहा कि हमें सारे भारतीय भाषाओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा भारतीय भाषाओं की प्रकृति और उसमें शब्दों के बदले हुए अर्थों के बारे में भी अपनी बात रखीं।
अतिथि प्रवक्ता के रूप में केंद्र पर कार्यरत सहायक प्राध्यापक पंकज सिंह यादव ने भाषा की भूमिका रेखांकित करते हुए कहा कि भाषा केवल बातचीत या विचारों के आदान प्रदान तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसका संबंध गहरे स्तर पर हमारे देश और लोकतंत्र से भी है। इस संदर्भ में उन्होंने भाषा के संदर्भ में महान स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के भाषा के संदर्भ में व्यक्त विचारों को भी साझा किया।
इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य के हिंगोली जिले से आए माध्यमिक विद्यालय के प्रतिभागी भी शामिल रहें, जिसमें से श्रीमंत शेळके, कदम, श्रीमती जे. एच. रितपुरकर, यशवंत मस्के, भोपाळे, दशरथ चौहान आदि ने भारतीय भाषाओं के संदर्भ में अपने विचार रखे। कार्यक्रम का सफल संचालन और धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के अतिथि अध्यापक श्री पंकज सिंह यादव ने किया। इस अवसर पर केंद्र के प्रशासनिक सदस्य श्री सजग तिवारी तथा श्री शेख मस्तान वली उपस्थित थे।