हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र द्वारा एससीईआरटी, पोरवरीम, गोवा में गोवा राज्य के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित 464वें नवीकरण पाठ्यक्रम का उद्घाटन समारोह 9 अक्टूबर को संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की।
साथ ही मुख्य अतिथि के रूप में विद्या प्रबोधिनी कॉलेज, गोवा के प्राचार्य प्रो. भूषण भावे, सम्मााननीय अतिथि के रूप में एससीईआरटी, गोवा के निदेशक डॉ. एस. एस. घाड़ी, विशिष्ट अतिथि के रूप में एससीईआरटी, गोवा के समन्वयक डॉ. गोपाल प्रधान एवं अतिथि प्रवक्ता डॉ. संध्या दास उपस्थित थे। डॉ. गंगाधर वानोडे क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र इस नवीकरण पाठ्यक्रम के संयोजक हैं।
गोवा राज्य के हिंदी अध्यापकों ने उद्घाटन समारोह में उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस नवीकरण पाठ्यक्रम में कुल 86 (11 पुरुष एवं 75 महिला) हिंदी अध्यापकों ने पंजीकरण किया है। उद्घाटन समारोह में प्रतिभागियों ने सरस्वती वंदना तथा स्वागत गीत गाया। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा संस्थान गीत सुनाया गया। डॉ. गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र ने अतिथियों का स्वागत किया एवं परिचय दिया।
गोवा राज्य की हिंदी अध्यापिका सौ. सुमित्रा परब ने कहा कि कक्षा में जिन बच्चों को पढ़ने, समझने में कठिनाई आती है ऐसे बच्चों को कैसे पढ़ाएँ? उन्होंने बताया कि काल और प्रकार, सर्वनाम आदि विषय नौंवी, दसवीं कक्षा में नहीं पढ़ाए जाते हैं, तो इन विषयों को किस तरह पढ़ाया जाए? पर विस्तार से प्रकाश डाला।
वहीं अपनी समस्याओं को बताते हुए हिंदी अध्यापक दयासागर हमालाल ने कहा कि कविता सरल हिंदी में न होने का कारण होने वाले परेशानियाँ कैसे दूर करें, यानी ब्रज या खड़ी बोली में जब कविता होती है। अन्य हिंदी अध्यापिका पूनम दीपराज प्रभू ने कहा कि विद्यार्थियों का शब्द भंडार कैसे बढ़ाया जाए? टेलीविजन की वजह से जो हिंदी भाषा पर प्रभाव पड़ रहा है उसमें से मानक हिंदी कैसे पढ़ाएँ? तथा पाँचवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक पढ़ाने की कैसे शुरूआत करें। जैसी समस्याओं का निराकरण करने की अपील की है।
गोवा राज्य के हिंदी अध्यापक प्रतिभागियों ने अपना मंतव्य देते हिंदी भाषा को पढ़ते एवं पढ़ाते समय आने वाली समस्यााओं का समाधान करने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि पढ़ाने वाले अध्यापकों में ह्रस्व-दीर्घ की समस्यााएँ कोंकणी, 9वीं एवं 10वीं में सरल कविताएँ नहीं होती हैं उसे किस प्रकार पढ़ानी हैं, इस पाठ्य पुस्तक को पढ़ाते समय आनेवाली समस्याओं का समाधान करने का निवेदन किया।
मुख्य अतिथि प्रो. भूषण भावे ने अपने मंतव्य में कहा कि व्याकरण हँसते-खेलते पढ़ाने का विषय है। पद्य पढ़ाने की अपनी शैली होती है। इनको किस प्रकार पढ़ाना है, यह जानना आवश्यक है। इसे सीखना एक निरंतर प्रक्रिया है। आज शिक्षण की स्थिति को देखते हैं तो यह प्रसन्नता का विषय है कि यह आज चौथा रोजगार प्रदान करने वाली भाषा है। आज व्यावसायिक क्षेत्र में भाषा का बहुत अधिक महत्व है। आज इसमें अच्छे रोजगार मिल रहे हैं। इसलिए हमें अपनी भावी पीढ़ी से अच्छी भाषा का ज्ञान देना होगा। यूनीकोड से जुड़ने से दुनिया भर का परिदृय मिलता है। आज वैश्विक युग में सब यूनिकोड हो गया है जिसे सबको सीखना होगा। यह सेल्फ से लर्निंग भी है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. गोपाल प्रधान ने अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी अध्यापकों को हिंदी में दक्ष होना चाहिए। हिंदी की दक्षता को बढ़ाने के लिए ऐसे नवीकरण पाठ्क्रम कारगर सिद्ध होते हैं। आप अध्यापकगण इस नवीकरण पाठ्यक्रम का पूरा-पूरा फायदा उठाइए एवं अपनी हिंदी भाषा की दक्षता को बढ़ाइए। अक्सर देखा जाता है कि हिंदी का अध्यापक अपने वक्तव्य में कई अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग करते हैं। चूँकि आप हिंदी के अध्यापक हैं आपको जहाँ तक संभव हो, हिंदी के शब्दों का प्रयोग कर हिंदी में कार्य करने का बढ़ावा देना चाहिए। अत: प्रयास करें कि अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग कम हो।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील कुलकर्णी ने कहा कि सबकी बोलने की शैलियाँ अगल-अलग होती हैं जिससे आपके ज्ञान में वृद्धि होगी। नवीकरण पाठ्यक्रम में केवल हम हिंदी का ज्ञान ही ग्रहण नहीं करते बल्कि अलग-अलग कौशल, गुणों की अभिव्यक्ति इस प्रकार के प्रशिक्षणों के दरमियान बाहर आती है। आज देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अधिक मात्रा में आई हैं और अपने उत्पाद खरीद व बेच रही हैं। इसी स्थिति में जब से बहुराष्ट्रीय कंपनियों का जाल फैला है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले विशेषज्ञों, कामगारों को बहु-कौशल को विकसित होना चाहिए।
अब उनको ही रोजगार मिलने वाला है, जो एक साथ कई काम करने में सिद्धहस्तता रखते हैं। इसके लिए छात्रों में ऐसे कौशलों को विकसित करने का दायित्व शिक्षकों पर होता है। ऐसे नवीकरण पाठ्यक्रमों में सांस्कृतिक, संवाद आदि कौशलों का विकास होता है। यहां स्टेज मैनेजमेंट, अनुशासन संवाद आदि का खुलामंच मिलता है। इस प्रकार एक अनौपचारिक संस्कार बनता है। आपसे अपेक्षा है कि आप यहाँ विद्यार्थी बनकर दो सप्ताह के यज्ञ को समर्पित होकर यह सब सीखेंगे एवं आगे बढ़ेंगे।
कार्यक्रम का सफल संचालन अतिथि प्रवक्ता डॉ. संध्या दास द्वारा किया गया। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र की सदस्या डॉ. एस. राधा ने आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के नेतृत्व में यह नवीकरण पाठ्यक्रम 20 अक्टूबर तक नियमित रूप से चलेगा।