सूत्रधार: द्वितीय स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय बहुभाषी कवि सम्मेलन, इन कवियों ने किया कविता का पाठ

हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट) : सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत हैदराबाद की स्थापना 31 मई 2020 को की गई थी। संस्था की स्थापना के दो वर्ष पूर्ण होने पर राष्ट्रीय स्तर पर बहुभाषी कवि सम्मेलन का ऑनलाइन आयोजन किया गया। संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सहभागियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। कटक, उड़ीसा से द्विभाषी कवयित्री एवं कहानीकार श्रीमती रिमझिम झा ने इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता की। रांची, झारखण्ड से द्विभाषी कवयित्री श्रीमती संघमित्रा राएगुरू और गोरखपुर, उत्तर-प्रदेश से प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती साधना मिश्रा विशेष अतिथि के रूप में मंच पर उपस्थित थीं। श्रीमती शुभ्रा मोहन्तो की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।

तत्पश्चात् सरिता सुराणा ने सूत्रधार साहित्यिक पटल पर चलने वाली फीचर शृंखलाओं और वर्ष भर में आयोजित सभी कार्यक्रमों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि संस्था ने विगत दो वर्षों में हिन्दी साहित्य के उत्थान हेतु विभिन्न परिचर्चा और काव्य गोष्ठियों का आयोजन तो किया ही है, साथ ही हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए समय-समय पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। उन्होंने इन सभी कार्यक्रमों में भाग लेने वाले सभी सदस्यों और साहित्यकारों का हार्दिक आभार व्यक्त किया और कहा कि आप सबके सहयोग से ही संस्था निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर हो रही है।

बहुभाषी कवि सम्मेलन की शुरुआत में हैदराबाद से श्रीमती भावना पुरोहित ने चाय का प्याला जैसी स्वरचित गुजराती कविता पढ़कर सभी को आनन्दित कर दिया। दरभंगा, बिहार से श्रीमती कामिनी कुमारी ने मिथिला भाषा में, भागलपुर से श्रीमती पिंकी मिश्रा ने हिन्दी में, गोरखपुर उत्तर-प्रदेश से श्रीमती साधना मिश्रा ने हिन्दी में काव्य पाठ प्रस्तुत करके सबका मन मोह लिया। कोलकाता, पश्चिम बंगाल से श्रीमती सुशीला चनानी और श्रीमती हिम्मत जी चौरड़िया ने मारवाड़ी भाषा में बहुत ही शानदार काव्य पाठ किया। वहीं कोलकाता से ही श्री सुरेश चौधरी ने संस्कृत भाषा में जीण माता की वन्दना और अन्य बहुत से छन्दबद्ध पद सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया।

श्रीमती शुभ्रा मोहन्तो ने रवीन्द्र संगीत पर आधारित एक बांग्ला गीत बहुत ही सुमधुर स्वर में प्रस्तुत किया। श्रीमती श्रीलक्ष्मी और सुश्री जयश्री ने तेलुगु भाषा में स्वागतम्, शुभ स्वागतम् गीत प्रस्तुत करके वातावरण को आनन्ददायक बना दिया। इस गीत के रचयिता कवि के बारे में श्रीमती टी बसन्ता जी ने बहुत ही अच्छी जानकारी दी और द्वितीय वार्षिकोत्सव समारोह के अवसर पर सूत्रधार संस्था को बहुत-बहुत बधाई दी। श्री प्रदीप देवीशरण भट्ट ने हिन्दी भाषा में अपनी गज़ल प्रस्तुत की, वहीं डॉ. संगीता शर्मा ने नारी के विविध रूपों को दर्शाती अपनी रचना प्रस्तुत की। श्रीमती हर्षलता दुधोड़िया ने बांग्ला, तेलुगु और मारवाड़ी तीनों भाषाओं में अपनी रचनाएं प्रस्तुत करके बहुभाषी कवि सम्मेलन के आयोजन को सार्थक कर दिया।

श्री दर्शन सिंह ने पंजाबी भाषा में अपनी रचना, जो रिटायरमेंट की पीड़ा से सम्बन्धित थी, सुनाकर सबको भावुक कर दिया। श्रीमती सुपर्णा मुखर्जी ने सूत्रधार संस्था के बारे में अपने हृदयोद्गार प्रकट करते हुए कहा कि सूत्रधार जैसा दूसरा मंच उन्होंने नहीं देखा, जहां पर बड़ों के साथ साथ बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए समय समय पर बहुत से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने बहुत ही सुन्दर रचना हिन्दी भाषा में प्रस्तुत की। रांची, झारखण्ड से द्विभाषी कवयित्री श्रीमती संघमित्रा राएगुरू ने उड़िया भाषा में काव्य पाठ किया। श्रीमती तृप्ति मिश्रा और श्रीमती किरन सिंह ने हिन्दी भाषा में बहुत ही शानदार काव्य पाठ प्रस्तुत किया।

सरिता सुराणा ने महंगाई पर लिखी हुई अपनी मारवाड़ी कविता प्रस्तुत की। अन्त में अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए श्रीमती रिमझिम झा ने सभी सहभागियों की रचनाओं पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी देते हुए सभी की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और मैथिली भाषा में अपनी रचना का भावपूर्ण पाठ प्रस्तुत किया। उनकी यह रचना- सासुर के दुख ना ककरो कहिहा, हे धीया! बेटी की विदाई के समय गाए जाने वाले गीत पर आधारित थी। ऐसी मर्मस्पर्शी रचना सुनकर सभी की आंखों में आंसू आ गए। सभी सहभागियों ने उनकी रचना को सराहा। श्रीमती हर्षलता दुधोड़िया के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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