हैदराबाद: तेलंगाना में इंटर बोर्ड की गलती एक बार फिर उजागर हुई है। जब से इंटर की परीक्षा आरंभ हुए है तब से हर दिन कोई न कोई गलती हो रही है। मुख्य रूप से प्रश्न पत्रों के सवाल बार-बार रिपीट होना, एक प्रश्न के बदले दूसरे प्रश्न पत्र देना जैसी गलतियां हुई है। ताजा बुधवार को हिंदी मीडियम में राजनीतिक शास्त्र पेपर की छपाई नहीं किये जाने के कारण अनेक छात्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
मिली जानकारी के अनुसार, हैदराबाद और निजामाबाद के हिंदी महाविद्यालय में पढ़ रहे 50 से अधिक छात्रों को हिंदी मीडियम में राजनीतिक शास्त्र प्रश्न पत्र देना है। मगर इंटर बोर्ड ने हिंदी प्रश्न पत्र को प्रिंट ही नहीं किया। आखिर में इस बात का पता चला तो परीक्षा संचालकों ने राजनीतिक शास्त्र के अंग्रेजी प्रश्न पत्र को हिंदी में अनुवाद करके छात्रों को दिये। प्रश्न पत्र हाथ से लिखित और झेरॉक्स की प्रति दिये जाने के कारण छात्रों को समझने में कठिनाइयां हुई।
इसी क्रम में इंटर बोर्ड के खिलाफ आये आरोपों का सरकारी जूनियर लेक्चर संघ के अध्यक्ष डॉ पी मधुसूदन रेड्डी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इंटर बोर्ड को बदनाम करने के लिए कुछ कार्पोरेट शक्तियां कोशिश कर रहे हैं। बुधवार को राजनीतिक शास्त्र हिंदी प्रश्न पत्र को नहीं दिये जाने और लिखित प्रश्न पत्र दिये जाने को लेकर अनावश्यक आरोप लगाये जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इंटर बोर्ड ने प्रश्नों पत्रों को लेकर पहले ही हिंदी मीडियम के प्रश्न पत्र प्रिंट नहीं करने की घोषणा की है। इतना ही नहीं हिंदी मीडियम पाठ्यक्रम का इंटर बोर्ड से कोई संबंध नहीं है। फिर भी छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मारवाड़ी और हिंदी समिति के आग्रह पर ही हमने हिंदी मीडियम के छात्रों को परीक्षा लिखने की अनुमति दी है। हिंदी मीडियम में राजनीतिक शास्त्र परीक्षा लिखने वाले निजामाबाद के आदर्श हिंदी विद्यालय के सात छात्र और हैदराबाद के हिंदी महाविद्यालय में 25 छात्रों के सुविधार्थ और मानवीय दृष्टिकोण उन-उन सेंटरों में हिंदी अनुवादकों की मदद से हिंदी मीडियम प्रश्न दिये हैं। मगर कुछ कार्पोरेट शक्तियां इंटर बोर्ड को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी क्रम में बुधवार को छात्रों के लिए गणित, बॉटनी (Botany) और राजनीतिक शास्त्र की परीक्षाएं हुई। 4,64,371 छात्रों के बदले 4,39,962 छात्रों ने परीक्षा लिखी। यानी 24,409 छात्र गैरहाजिर रहे। यानी 5.2 फीसदी छात्र अनुपस्थित रहे हैं।