हैदराबाद: आंध्र प्रदेश महेश को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड (Andhra Pradesh Mahesh Co-Operative Urban Bank Ltd) फंड गोल मॉल मामले में पुलिस ने प्रगति की है। देश में रहने और नाइजीरियाई लोगों की मदद करने वाले एक प्रमुख साजिशकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है।
सीपी सीवी आनंद ने कहा कि 100 पुलिसकर्मियों के साथ दो महीने तक इस मामले की जांच की गई। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान 58 लाख रुपये तक खर्च हुए है। महेश बैंक घोटाला मामले में 23 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
सीपी आनंद ने कहा कि बैंक सर्वर को हैक करके 14 करोड़ रुपये लूट ले गये। नाइजीरिया से सर्वर को हैक किया गया। अब तक 3 बैंकों में से फंड को लूटा गया है। आरबीआई के नियमों का पालन करने में बैंक लापरवाही बरती हैं। बैंक नियमों का पालन नहीं कर रही है। लापरवाही के कारण ही साइबर क्राइम हो रहे हैं।
24 जनवरी को दर्ज हुआ मामला
हैदराबाद के सीपी सीवी आनंद ने एपी महेश कोऑपरेटिव बैंक में 24 जनवरी को दर्ज मामले से लेकर आरोपियों की गिरफ्तारी तक हैकिंग मामले की जांच के विवरण मीडिया को दी। उन्होंने कहा कि इस मामले को चुनौती के रूप में लिया और 23 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिए दो महीने चत एक सौ पुलिसकर्मियों पर 58 लाख रुपये खर्च हुए है। जांच में पाया गया कि बैंकों ने उचित दिशा-निर्देश और आरबीआई द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया।
कैसे हुई हैकिंग
सीपी सीवी आनंद ने कहा कि मुख्य हैकर नाइजीरियाई के ठिकाने का अभी तक पता नहीं चला है।पहले बैंक कर्मचारियों को दो सौ फ़िशिंग ईमेल भेजे गये। जिनमें से दो ने फ़िशिंग ईमेल पर क्लिक किया। इसमें रैट सॉफ़्टवेयर था और बैंक सॉफ़्टवेयर हैकर्स के हाथों में चला गया। हैकर ने कुंजी लॉकर सॉफ़्टवेयर को सिस्टम में भेजा। इसके चलते यह दोनों कर्मचारी कुछ भी करे तो हैकर को पता चल जाता था।
सॉफ्टवेयर
महेश बैंक को मुंबई स्थित इंट्रा सॉफ्ट डेवलपर्स ने सॉफ्टवेयर मुहैया कराया है। उनकी भी जांच की जाएगी। महेश बैंक प्रबंधन ने कम से कम सावधानियां नहीं बरतीं। इसलिए उन्हें भी आरोपी के तौर पर शामिल किया जाएगा। आरबीआई के दिशानिर्देशों की समीक्षा के लिए एक प्रवर्तन होना चाहिए। कुल 12.48 करोड़ रुपये हैक किए गए और 9.4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।