युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच: अष्टम अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव- 2021, साहित्यकार सम्मान व पुस्तक लोकार्पण समारोह

हैदराबाद: युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास ) के तत्वावधान में रविवार को नयी दिल्ली स्थित हिन्दी भवन, निकट बाल भवन में अष्टम अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव- 2021, साहित्यकार सम्मान एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री योगेंद्र नारायण, पूर्व रक्षा सचिव/भारत सरकार ने की। पूर्व आईएएस अधिकारी और ग़ज़लकार विनोद प्रकाश गुप्ता मुख्य अतिथि रहे। ख्यात पत्रकार अरविंद कुमार सिंह अतिविशिष्ट अतिथि एवं श्री अनूप श्रीवास्तव के सानिध्य में डॉ एस के शुक्ल, (प्रोफेसर/हिन्दी हंसराज कॉलेज, दिल्ली) तथा डॉ राकेश पाण्डेय (संपादक/प्रवासी संसार) ने विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा विद्या की देवी माँ शारदे की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्जवन और सुश्री पुष्प लता द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ।

ज्ञातव्य हो गत दो वर्ष से यह कार्यक्रम कोविड के कारण नहीं हो सका था। यह संस्था विगत आठ वर्षों से निरंतर हिन्दी साहित्य की समस्त विधाओं एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करती चली आ रही है। वर्ष- 2021 का “भारतेन्दु हरिश्चंद्र शीर्षस्थ सम्मान” हिन्दी ख्यात व्यंग्यकार सुभाष चंदर (गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश) को दिया गया। सम्मान के साथ 5100 रुपए की पुरस्कार राशि भी प्रदान की गयी। महादेवी वर्मा शीर्षस्थ सम्मान (महिला वर्ग)- श्रीमती चंद्रलता यादव (गुरुग्राम, हरियाणा) तथा डीपी चतुर्वेदी स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड- सुश्री आशा पांडे ओझा, उदयपुर, राजस्थान को 3100 रुपए की पुरस्कार राशि के साथ प्रदान किया गया। अमीर खुसरो शीर्षस्थ सम्मान (युवा वर्ग)- सुश्री वंदना गोयल (फरीदाबाद, हरियाणा), हरिशंकर परसाई व्यंग्यकार सम्मान- डॉ आभा सिंह (नागपुर, महाराष्ट्र), विष्णु पराड़कर सम्मान (गैर हिंदी भाषी)- श्री राजेन्द्र सिंह अरोरा उर्फ दिलदार देहलवी (दिल्ली), गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान (पत्रकारिता हेतु)- श्री राजकुमार जैन राजन (अकोला, राजस्थान), त्रिभुवन कौल स्मृति सम्मान- श्रीमती मीनाक्षी भटनागर, नॉएडा, उत्तर प्रदेश, श्रीमती कमलेश प्रशांत स्मृति सम्मान- श्रीमती रजनी रामदेव (दिल्ली), गोस्वामी तुलसीदास सम्मान- आचार्य मार्कंडेय शारदेय (पटना, बिहार), सुभद्रा कुमारी चौहान बाल साहित्य सम्मान- श्री रघुराज सिंह कर्मयोगी (कोटा, राजस्थान) एवं मुंशी प्रेमचंद सम्मान- श्रीमती सविता वर्मा ग़ज़ल (मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश) को प्रदान किया गया। इन सभी को 2100 रुपए की पुरस्कार राशि भी प्रदान की गयी।

इसके अतिरिक्त संस्था- संगठन के लिए उल्लेखनीय कार्य के लिए वर्ष 2021 का “स्वर्ण कमल सम्मान” डॉ रमा द्विवेदी (हैदराबाद) सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान- श्रीमती कमलेश शुक्ला (कानपुर,उत्तर प्रदेश ) एवं सर्वश्रेष्ठ मंच संचालन सहयोग सम्मान- श्री भाऊ राव महंत (बालाघाट, मध्य प्रदेश ) को प्रदान किया गया। इस अवसर पर कोटा के ख्यात कवि विश्वामित्र दाधीच की पुस्तक ‘लोक के राम’ डॉ सञ्जीव चौधरी के लघुकथा संग्रह ‘कोरी करारी’ तथा कवयित्री पूनम झा के कविता संग्रह ‘एक ख्वाब देखा है मैंने’ का भी लोकार्पण किया गया। इस कार्यक्रम में देश के कोने-कोने से मंच से जुड़े अनेक साहित्यकार एवं साहित्यप्रेमियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर सुभाष चन्दर ने भारतेन्दु हरिश्चंद्र सम्मान गृहण करते हुए युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का आभार व्यक्त किया और कहा कि हमें उस अच्छे साहित्य को पढ़ना चाहिए जिसका संदेश दूर तलक जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अच्छे लेखकों को इंसानियत के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए कुछ ऐसा लिखना चाहिए जिससे सम्पूर्ण मानवता लाभान्वित हो।

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज मातृ दिवस है अतः अपनी मातृभाषा का भी सम्मान करने हेतु अच्छे लेखन को प्रोत्साहित करना हमारा उद्देश्य होना चाहिए। हिंदी को विश्वस्तर पर अपनी पहचान को मुखरित करना होगा ताकि नोबेल जैसे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हिंदी के साहित्यकारों को भी मिल सकें। हिंदी लेखकों और कवियों को अतीत की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को आधुनिक संदर्भों में उकेरना होगा। विचारधारा प्रेरित साहित्य सृजन से बचकर शाश्वत मूल्यों की रक्षा हेतु कल्याणकारी साहित्य सृजन हेतु साहित्यकारों को आगे आना होगा।

यह मंच इसी दिशा में गत आठ वर्षों से कार्यरत है और नवोदित साहित्यकारों को उत्कृष्ट लेखन हेतु निरन्तर प्रोत्साहित कर रहा है। सभी सम्मानित हुए साहित्यकारों को उन्होंने बधाई दी। “लोक के राम” पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए डॉएस के शुक्ला ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि राम हमारी आस्था के केंद्र हैं। कृष्ण जहाँ उपदेशक की भूमिका में जन जन को सत्य का मार्ग दिखाते हैं तो वहीं राम अपने सत्य आचरण से सही जीवन जीने का संदेश देते हैं। डॉ राकेश पाण्डेय ने कहा कि लोक देवता ही लोक के राम है। डॉ विनोद प्रकाश गुप्ता ने अपनी सामाजिक और मानवीय सरोकारों पर बेहतरीन ग़ज़ल सुनाकर सबका मन मोह लिया।

श्री अरविंद कुमार सिंह ने सभी पुरस्कारगृहिताओं को बधाई दी। नोबल पुरस्कार की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि रविन्द्र नाथ ठाकुर ने “गीतांजलि” का कुछ भाग इलाहाबाद में भी लिखा था। उन्होंने यह भी कहा कि उनका कॉलेज जीवन महादेवी वर्मा एवं शैलेश मटियानी जैसे साहित्यकारों के सानिध्य में बीता। वर्तमान युग को संचार क्रांति बताते हुए कहा कि आधुनिक संचार साधनों का प्रयोग करते हुए हमें अपने स्वजनों को चिट्ठी भेजनी चाहिए, क्योंकि हाथ से लिखे शब्दों का व्यक्ति से भावनात्मक सम्बन्ध होता है। साहित्यकार के महत्व के विषय में उन्होंने कहा कि केवल साहित्यकार ही पैदा होता है और वह अपने शब्दों से सदैव जीवित रहता है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में योगेंद्र नारायण ने कहा कि साहित्यकारों का न्याय और प्रशासन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। साहित्य पढ़ने से विचारों का एक वृत्त बनता है जो प्रशासनिक निर्णय लेने में सहायक होता है। साहित्यकार की जिम्मेदारी होती है कि वह समाज के कल्याण हेतु कार्य करे। लोकतंत्र में साहित्यकार पांचवा स्तम्भ है। नोबेल पुरस्कार के विषय में उन्होंने कहा कि यह पश्चिमी अवधारणा है। हमारी अपनी संस्थाएं इससे बेहतर हैं। हमें इनके पीछे नहीं भागना चाहिए। समाज में साहित्यकारों का सम्मान होना ही चाहिए ताकि उत्कृष्ट सृजन को बढ़ावा मिल सके और युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच जैसी अनेक संस्थाएँ होनी चाहिए जो लेखनी को निरन्तर सम्मानित करें।

चार घंटे तक चले इस कार्यक्रम के आरंभ में महासचिव ओमप्रकाश शुक्ल ने संस्था की वर्ष 2021 की गतिविधियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। चुनिंदा कवियों और कवयित्रियों द्वारा शानदार काव्यपाठ भी किया गया। इस अवसर पर कोटा, राजस्थान से पधारे श्री जितेंद्र निर्मोही, विश्वामित्र दधीच, विजय प्रशांत (कार्यकारी अध्यक्ष), सुश्री शारदा मदरा, प्रणय इलाहाबादी, चंद्रलता यादव, अनूप श्रीवास्तव, डॉ पवन विजय ने भी अपने महत्वपूर्ण विचारों से अवगत कराया। इस कार्यक्रम को फेसबुक पर ऑनलाइन प्रसारित भी किया गया जिसे मंच के काफी सदस्यों ने देखा। कार्यक्रम का संचालन डॉ पवन विजय (एसोसिएट प्रोफेसर/इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय) ने किया। महासचिव ओम प्रकाश शुक्ल ने सभी अतिथियों एवं आमत्रित साहित्यकारों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।

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