हैदराबाद: तेलंगाना की राजनीति में अप्रत्याशित घटनाक्रम हो रहे हैं। वाईएसआरटीपी के अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने बिना किसी रोकटोक के तेलंगाना में अब तक 3500 किलोमीटर की पदयायात्रा पूरी की है। अब तक किसी भी महिला नेता ने इतनी लंबी पदयात्रा नहीं की है। यह एक इतिहास है।
इसी बीच नरसमपेट तनाव के कारण सरकार ने शर्मिला को गिरफ्तार कर हैदराबाद लेकर आई। हैदराबाद आते ही शर्मिला ने हमलावरों द्वारा जलाये गये वाहनों के लेकर केसीआर से मिलने प्रगति भवन के लिए रवाना हुई। लेकिन पुलिस ने उन्हें पंजागुट्टा के पास रोका दिया और यातायात को बाधित करने का आरोप लगाते हुए विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। केवल मामला ही दर्ज नहीं किया, बल्कि रात को नामपल्ली कोर्ट में भी पेश किया। साथ ही कोर्ट से शर्मिला को न्यायिक हिरासत भेजने की अपील की। यह अलग बात है कि काफी बहस के बाद न्यायाधीश ने शर्मिला को जमानत दे दी। चर्चा है कि इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से शर्मिला को रातोंरात राजनीतिक प्रसिद्धि मिल गई है।
अब तक शर्मिला को नजर अंदाज करते आई टीआरएस कुछ दिनों से उसे निशाना बनाना शुरू कर दिया। इससे शर्मिला धीरे-धीरे तेलंगाना की राजनीति में छा रही हैं। हां यह सच है कि वाईएसआर तेलंगाना पार्टी मैदान में मजबूत नहीं है, लेकिन नरसमपेट में घटित घटनाओं के कारण शर्मिला सुर्खियों/चर्चा में आ गई हैं। क्या वाईएस शर्मिला को इस अप्रत्याशित घटनाक्रमों से तेलंगाना की राजनीतिक लाभ मिलेगा या नहीं? इस बात को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई।
हालांकि लंबी पदयात्रा करने के बाद भी अब तक शर्मिला की पार्टी में कोई बड़ा नामी नेता शामिल नहीं हुआ है। यह कहना उचित होगा कि तेलंगाना के निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने के लिए उनकी पार्टी में मजबूत नेता शामिल नहीं हुआ। लेकिन अब वाईएस शर्मिला सुर्खियों में आ गई। यह प्रसिद्धि उनकी राजनीतिक पार्टी के लिए कितना लाभ मिलने वाला है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। इसी बीच शर्मिला ने स्पष्ट किया कि जहां पर उन्हें रोका गया है, वहीं से अपनी पदयात्रा शुरू करेगी। तेलंगाना हाईकोर्ट ने शर्मिला को पदयात्रा करने की अनुमति भी दी है।
नरमपेट की घटनाक्रम के बाद शर्मिला टीआरएस पर जमकर बरस रही है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। चर्चा रही है कि शर्मिला को टीआरएस की ओर से छोड़ा गया बाण है। अब शर्मिला के तेवर देखकर टीआरके नेता बौखला गये है। इसके चलते टीआरएस के नेता और कार्यकर्ता शर्मिला के प्रति नाराज है। अनेक नेताओं ने मीडिया के सामने आकर चेतावनी दी है कि अगर शर्मिला अपनी शैली में बदलाव नहीं करती है तो होने वाले परिणामों के लिए वह खुद जिम्मेदार है। चर्चा है कि नेताओं की यही चेतावनी शर्मिला को प्रसिद्धि की सुर्खियों में लेकर आई है।
इतनी प्रसिद्धि मिलने के बाद क्या अब शर्मिला की पार्टी में बड़े-बड़े नेता शामिल होंगे या नहीं? अर्थात क्या अन्य पार्टी के नेता पलायन होकर वाईएसआरटीपी की शक्ति बढ़ाएंगे या नहीं? सवाल है कि अगर पलायन करके आने वाले नेताओं शर्मिला उन्हें पार्टी में स्वागत करेगी या नहीं? अगर स्वागत करेगी तो क्या उनके वो तेलंगाना के निर्वाचनक्षेत्र में टीआरएस, बीजेपी, कांग्रेस और अन्य उम्मीदवारों का मुकाबला करने में वो सक्ष्यम है या नहीं? यह दिलचस्प विषय है कि तेलंगाना में टीआरएस, बीजेपी, कांग्रेस और अन्य पार्टियों में पलायन जारी है। कहा जाता है कि राजनीतिक दलों की शक्ति और विकास नेताओं का पलायन पर निर्भर होता है।
लंबे तक समय तक पदयात्रा कर रही है शर्मिला की पदयात्रा या कार्यालय में कोई बड़ा ने शामिल नहीं हुआ। यह तर्क दिया जी रहा है कि यही शर्मिला की पार्टी के लिए एक बड़ी कमी है। चर्चा है कि अगर उस पार्टी में बड़े नेता शामिल होते तो उसकी पार्टी कुछ मजबूत होगी। अभी-अभी शर्मिला की पार्टी को प्रसिद्धि मिल रही है। चुनाव एक साल भी नहीं है। ऐसे हालात में क्या अन्य दलों के नेता उनकी पार्टी में शामिल होगे या नहीं? यही राजनीतिक गलियारों में चर्चा है।