हैदराबाद (सुभाष चंद्र अग्रवाल की रिपोर्ट) : विहंगम योग संत समाज, हैदराबाद, का साप्ताहिक सत्संग सैदाबाद स्थित हैदराबाद आश्रम पर हुआ। सत्संग का प्रारंभ स्वागत गान, मंगल गान, स्वर्वेद महाग्रंथ के पाठ के साथ हुआ। ध्यान साधना के पश्चात ब्रह्मविद्याविहंगमयोगहीक्यों पर चर्चा हुई।
आज ब्रह्मविद्या विहंगम योग की विश्व-व्यापकता और निरन्तर बढ़ते हुए प्रचार-प्रसार को देखकर अध्यात्म-पिपासु जनों के मन में अनेक प्रश्न उभर कर प्रत्यक्ष होते हैं कि यह ब्रह्मविद्या विहंगम योग है क्या ? क्या इसकी विशेषता है ? आज तो कई प्रकार के योग बतलाये जा रहे हैं। वैसे में हम ब्रह्मविद्या विहंगम योग को ही क्यों मानें ?
विश्व मार्तण्ड बीस कला विभूषित अमर हिमालया योगी सद्गुरु देव जी ने ” स्वर्वेद महाग्रंथ “में सारे आध्यात्मिक प्रश्नों का जबाब सहज एवं सरल ढंग से दिया है जो अन्यन्त्र दुर्लभ है।जरूरत है पूर्ण आस्था एवं विश्वास के साथ उसे पढ़ने, सोचने,समझने और अमल में लाने की।
सबसे पहले हमें देखना होगा कि हम हैं कौन ? किस लिए आए हैं इस योनि में हमारे आने का उद्देश्य क्या है ? और उसकी पूर्ति कैसे होगी ? यह सद्गुरू तत्व क्या है ? सच्चे सद्गुरू की पहचान क्या है ? अन्य योग और विहंगम योग में क्या अंतर है ? जब इन सारी चीजों की जानकारी हमें हो जाएगी, तब निस्संदेह कहना पड़ेगा कि विहंगम योग ही एक ऐसा योग है, जो हमारे उद्देश्य की पूर्ति करवाता है और वर्तमान में सद्गुरु सदाफल देव जी ही इस ज्ञान के प्रदाता हैं।
जिनकी सेवा- भक्ति से परम – प्रभु की प्राप्ति, त्रिताप दुखों से निवृत्ति और जन्म – मरण के चक्कर से मुक्ति मिल सकती है। दूसरा कोई विकल्प नहीं। सत्संग में सुभाष अग्रवाल, काशी राम,बिशन लाल संघी, सुशील अन्ने, ओमप्रकाश अग्रवाल, देवेंद्र अग्रवाल, श्याम सुन्दर अग्रवाल, महेश दूबे एवं सरस्वती अग्रवाल उपस्थित रहे। वंदना, आरती, शांति पाठ एवं प्रसाद वितरण के साथ सत्संग का समापन हुआ।