केंद्रीय हिंदी संस्थान : तेलुगु साहित्यकार प्रो. एन. गोपि और निखिलेश्वर का व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ विषयक उद्घाटन समारोह

हैदराबाद : सोमवार को क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा), हैदराबाद केंद्र में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘साहित्य अकादमी से पुरस्कृत तेलुगु साहित्यकार प्रो. एन. गोपि तथा निखिलेश्वर का व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ विषय के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने ऑनलाइन उद्घाटन किया।

मुख्य अतिथि पूर्व सम कुलपति, हैदराबाद विश्वविद्यालय प्रो. आर. एस. सर्राजु, विशिष्ट अतिथि प्रो. एम. विज्जुलता, कुलपति, तेलंगाना महिला विश्वविद्यालय, कोठी, हैदराबाद, बीज वक्ता प्रो. ऋषभदेव शर्मा, पूर्व विभागाध्यक्ष, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद, सम्माननीय अतिथि द्वय प्रो. एन. गोपि, पूर्व कुलपति एवं वरिष्ठ साहित्यकार तथा क्रांतिकारी कवि निखिलेश्वर वरिष्ठ साहित्यकार तथा संगोष्ठी के संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक तथा संगोष्ठी संयोजक डॉ. गंगाधर वानोडे मंच पर उपस्थित रहे।

संगोष्ठी की औपचारिक शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन और संस्थान गीत के साथ की गई। डॉ. वानोडे ने सम्मानित कवियों और अतिथियों का पुष्पगुच्छ फल और स्मृति चिह्न देकर स्वागत किया। इसके अलावा उन्होंने इस संगोष्ठी के उद्देश्य और उसके मूल उत्स के बारे में बताया है। संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘समन्वय दक्षिण’ पत्रिका का ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित ‘सिनारे’ के साहित्य पर केंद्रित विशेषांक का लोकार्पण सम्मानित अतिथियों द्वारा किया गया।

इसके बाद प्रो. एन. गोपि की अनूदित पुस्तक ‘हिमालय की गोद में’ का भी लोकार्पण किया गया। इसका अनुवाद डॉ. सुमनलता ने किया है। इस अवसर पर क्षेत्रीय निदेशक डॉ. वानोडे एवं सम्माननीय अतिथि द्वय प्रो. एन. गोपि तथा क्रांतिकारी कवि निखिलेश्वर का सम्मान तेलंगाना साहित्य भारती तथा विश्व हिंदी मैत्री मंच ने किया।

बीज वक्ता के रूप प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि प्रो. एन. गोपि और निखिलेश्वर जी की उपस्थिति हम लोगों के लिए गौरवपूर्ण है। ये तेलुगु साहित्य के चलन वाले साहित्यकार हैं, इन पर बोलना दुष्कर कार्य है। इन्हें मैं तेलुगु साहित्यकार ही नहीं भारतीय साहित्यकार मानता हूँ। ये साहित्यिक अनुपालन करने वाले साहित्यकार हैं।

ये सामाजिक एवं सामासिक साहित्यकार हैं। इनका रचनाकाल साठ या पैंसठ के बाद रहा है। निखिलेश्वर जी, प्रो. एन. गोपि के पहले के साहित्यकार हैं। तेलुगु साहित्य की अभ्युदय कविता 1955 तक लिखी जाती रही है।

यह समय हिंदी में नई कविता तथा तेलुगु में वचन कविता का था। दिगंबर कविता का प्रादुर्भाव दस वर्ष पहले कि जड़ता को तोड़ने के लिए हुआ। दिगंबर कविता सुकोमल और सुंदर के अलावा कविता के अन्य विषयवस्तु को स्वीकार करता है। डॉ. विजय राघव रेड्डी ने दिगंबर कविता में गाली-गलौज वाले अश्लील शब्दों को नज़रअंदाज करने के लिए कहा है। प्रो. एन. गोपि की उनकी रचना ‘कालान्नि निद्रपोनिव्वनु’ (समय को सोने नहीं दूँगा) के लिए सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

तेलुगु आत्मा का भारतीय आत्मा में विलय करने वाले ये श्रेष्ठ रचनाकार हैं। ‘अग्निश्वास’ रचना पर निखिलेश्वर को 2020 में ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार प्राप्त होता है। 1971 के क्रांतिकारी आंदोलन में सरकार ने इन्हें गिरफ्तार किया। प्रो. एन. गोपि को भी तेलंगाना आंदोलन में 1969 में गिरफ्तार किया गया था। इस प्रकार दोनों ही रचनाकार शासन के कोप दृष्टि के भाजन रहे हैं। इन्होंने निखिलेश्वर के सीटी विज़न के साक्षात्कार को उद्धृत करते हुए बीज व्याख्यान को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया और वक्ताओं को नए चिंतन दृष्टि पर विचार करने के लिए प्रेरणा प्रदान की।

मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. आर. एस. सर्राजु ने दोनों साहित्यकारों के उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए गुरजारा अप्पाराव को उद्धृत कर उनके विमर्शों की चर्चा की। प्रो. एन. गोपि ने कहा कि मेरा हिंदी से बचपन से लगाव रहा है। मैंने हिंदी सिनेमा देखने के लिए सबसे पहले हिंदी सीखा। ‘समय को सोने नहीं दूगाँ’ उद्धृत करते हुए विस्तार से चर्चा किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. एम. विज्जुलता ने विस्तार से दोनों रचनाकारों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए।

आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. एस. राधा ने किया तथा मंच का संचालन डॉ. सी. कामेश्वरी ने किया। इस दौरान चार सत्र (दो मुख्य सत्र एवं दो समानांतर सत्र) प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो. पी. माणिक्यांबा ‘मणि’, मुख्य वक्ता डॉ. सुमनलता तथा संचालन डॉ. अनुपमा ने किया। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो. शशि मुदिराज, मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. पद्मप्रिया तथा संचालन डॉ. नीरजा गुर्रमकोंडा ने किया तथा प्रथम समानांतर सत्र की अध्यक्षता डॉ. अहिल्या मिश्र, मुख्य वक्ता डॉ. भीम सिंह तथा संचालन रचना चतुर्वेदी ने किया।

द्वितीय समानांतर सत्र की अध्यक्षता डॉ. जयशंकर बाबु तथा मुख्य वक्ता के रूप डॉ. प्रियदर्शिनी एवं संचालन डॉ. पी. माधवी ने किया। तृतीय सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज सीताफलमंडी और सरकारी विद्यालय, तिरूमलगिरि के छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। अंत में छात्रों को सम्मानित किया गया। तत्पश्चात सामूहिक राष्ट्रगान के साथ आज के कार्यक्रम को समाप्त करने की घोषणा क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे द्वारा की गई।

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