तेलंगाना कांग्रेस में टिकट को लेकर घामासान, एक-एक निर्वाचन क्षेत्र में कर रहे है दो-दो नेता चुनाव प्रचार

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है। एक ओर राजनीतिक पार्टियों की जुबानी जंग चल रही है तो वहीं कई पार्टियों के नेताओं में आपस में ही टिकटों को लेकर घमासान मचा हुआ है। कुछ टिकट पाने के लिए लड़ रहे हैं तो कुछ कोई खास निर्वाचन क्षेत्र के लिए आलाकमान पर दबाव डाल रहे है। ऐसा ही कुछ कांग्रेस पार्टी का भी हाल है। जहां पहले कांग्रेस में अन्य पार्टियों से आए नेताओं को टिकट देने का आरोप लग रहा था, वहीं अब तो कई वरिष्ठ नेता भी आमने-सामने हो गये हैं। सवाल यह उठता है कि क्या ये लोग आपस में लड़ते हुए चुनाव में पार्टी की जीत पर फोकस कर सकेंगे? आइये यहां देखते हैं इससे जुड़ी ये रिपोर्ट…

चुनाव के टिकट को लेकर तेलंगाना कांग्रेस में तो जैसे आग भड़क उठी है। टीपीसीसी अध्यक्ष रेवंत रेड्डी और भुवनगिरी के सांसद कोमटी रेड्डी के बीच एक और विवाद खड़ा हो गया है, वैसे भी देखा जाए तो ये दोनों हमेशा आग और नमक की तरह ही होते हैं। एक दूसरे के विरोध में ही खड़े होते हैं। अब इब्राहिमपट्टनम टिकट ने दोनों नेताओं के बीच दरार पैदा कर दी है। जहां रेवंत रेड्डी मल रेड्डी रंगा रेड्डी के लिए टिकट पाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, वहीं कोमटी रेड्डी यह कह रहे हैं कि उनके संसदीय क्षेत्र में रेवंत रेड्डी इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहे हैं। मालूम हो कि इसी विषय पर दोनों नेताओं के बीच दिल्ली में तीखी बहस भी हुई थी। वहीं सुंकीरेड्डी का कहना है कि अगर पैराशूट नेता को टिकट दिया गया तो वे चुप नहीं रहेंगी। कासिरेड्डी के समर्थन में वंशीचंद रेड्डी का समूह सुंकीरेड्डी के समूह के साथ बैठकें कर रहा है, उनका कहना है कि वे इस मामले में पीछे हटने वाले नहीं है।

इब्राहिमपटनम निर्वाचन क्षेत्र का टिकट कांग्रेस पार्टी में आग की तरह धधक रहा है। दरअसल, भुवनगिरी संसद के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इस पद के लिए कोमटी रेड्डी वेंकट रेड्डी लंबे समय से एक उपयुक्त नेता को लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके तहत लंबे राजनीतिक अनुभव वाले मर्री निरंजन रेड्डी को टिकट देने की कोशिश की जा रही है। पूर्व सांसद निरंजन रेड्डी पहले स्थानीय निकायों से संबंधित विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। उनके ग्रुप के लोगों का कहना है कि उनकी स्थानीय स्तर पर अच्छी पकड़ है। इस पृष्ठभूमि में चूंकि मल रेड्डी अब तक रंगा रेड्डी को मौका देते रहे हैं, इसलिए कोमटी रेड्डी गुट का तर्क है कि इस बार पार्टी का नेतृत्व निरंजन रेड्डी को दिया जाना चाहिए। मालूम हो कि वे इस संबंध में कुछ उदाहरण आलाकमान के सामने रख रहे हैं।

यह भी पढ़ें:

हाल ही में पता चला है कि इसी मुद्दे पर दिल्ली में टीपीसीसी अध्यक्ष रेवंत रेड्डी और कोमटीरेड्डी वेंकट रेड्डी के बीच तीखी बहस हुई थी। जब रेवंत ने मल रेड्डी के लिए जोर दिया, तो कोमटी रेड्डी ने कहा कि निरंजन रेड्डी को ये सीट दी जानी चाहिए। साथ यह भी कहा कि मुझे कम से कम मेरे संसदीय क्षेत्र में तो प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बताया गया है कि बहस और झगड़े से कोमटीरेड्डी नाराज हो गए और फिर वह वहां से चले गए। इसके बाद उन्होंने इब्राहिमपटनम में निरंजन रेड्डी को फोन करके बताया कि टिकट तो उन्हीं को मिलेगा तो प्रचार का काम शुरू कर दो। इसका नतीजा यह है कि एक तरफ मल रेड्डी टिकट के लिए प्रचार कर रहे हैं तो दूसरी तरफ निरंजन रेड्डी भी घूम-घूम कर कह रहे हैं कि उन्हें टिकट मिलेगा। इस तरह एक निर्वाचन क्षेत्र में दो उम्मीदवार लोगों को दिख रहे हैं और इससे असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। तेलंगाना के अन्य निर्वाचन क्षेत्र में भी इस तरह प्रचार की खबरें आ रही है।

इसके अलावा दो अन्य बीसी नेता भी इस क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। खासकर जब से कांग्रेस पार्टी ने प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में बीसी को दो विधानसभा टिकट देने का वादा किया है, बीसी नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इब्राहिमपटनम का टिकट उन्हें उसी के हिस्से के रूप में दिया जाना चाहिए। इन सभी घटनाक्रमों से क्षेत्र के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता असमंजस में पड़ गए हैं। यह सब देखकर तो यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस कभी नहीं बदलेगी? ऐसा कहकर राजनीतिक तौर पर पदों को समायोजित किया जा रहा है।

इस पृष्ठभूमि में, पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस पार्टी से बीआरएस में शामिल होने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विधायक मंचिरेड्डी किशन रेड्डी की मौजूदगी में कई गांवों के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता कैंप कार्यालय में नियमित रूप से खुद को गुलाबी अंगवस्त्र पहन रहे हैं। अब बात अगर मल रेड्डी के बारे में की जाए तो वे अब तक कभी नहीं जीते है। 2009 के चुनाव में पार्टी ने इब्राहिमपट्टनम निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मलरेड्डी रंगा रेड्डी को मौका दिया। वह यह चुनाव हार गये। 2014 के चुनाव में मल रेड्डी को महेश्वरम सीट से मौका दिया गया था। वहां भी उनकी हार हुई। 2018 के चुनाव में गठबंधन के तहत इब्राहिमपटनम सीट टीडीपी के पास चली गई। हालांकि, मल रेड्डी रंगा रेड्डी ने पार्टी के फैसले का विरोध किया और बीएसपी से चुनाव लड़ा। हालाँकि, वे यह चुनाव भी हार गये।

वहीं अब कोमटी रेड्डी और उनके करीबियों का यह कहना है कि पार्टी ने उन्हें कई बार मौका दिया तो भी मल रेड्डी मुकाबले में खड़े रहे पर जीते कभी नहीं, साथ ही उन लोगों को मौका नहीं दिया जो कांग्रेस पार्टी में विश्वास रखते है और इतने सालों तक पार्टी की सेवा करते रहे हैं। गौरतलब है कि जब कांग्रेस पार्टी का चुनाव के पहले ही टिकटों को लेकर यह हाल है तो आगे पता नहीं क्या होगा। वैसे भी चुनाव के लिए एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है, मगर यह तो आपस में ही लड़ रहे हैं। अब देखना यह है कि चुनाव तक पार्टी का क्या हाल होता है और वैसे चुनाव के समय भी यह नेता विरोधियों से लड़ेंगे या आपस में भिड़ेंगे। यह देखना भी दिलचस्प हो गया है।

– मीता वेणुगोपाल, पत्रकार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Recent Comments

    Archives

    Categories

    Meta

    'तेलंगाना समाचार' में आपके विज्ञापन के लिए संपर्क करें

    X