अमरावती : एक मुर्गे की कीमत कितनी होती है। यदि मांग रही तो ज्यादा से ज्याद 50 हजार रुपये होगा। लेकिन एक युवक एक मुर्गे को तीन लाख रुपये तक में बेच रहा है। इतना नहीं उनके अंडे भी 3,000 रुपये में बेचता है।
विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) के प्रदीप नाम युवक ने एमबीए किया और उसे तुरंत एक कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी भी मिल गई। एक लाख रुपये हर महीना वेतन। सप्ताह में पांच दिन का काम। इतनी अच्छी जिंदगी चल रही थी। मगर उसने कुछ और हासिल करने का फैसला लिया। वह अपनी शिक्षा के लिए वेतन कमाने के बजाय चार लोगों को रोजगार देने के स्तर तक पहुंचने संकल्प लिया। एक तरफ जॉब करते हुए उसने वीकेंड में देसी मुर्गियों का कारोबार शुरू किया।
![](https://telanganasamachar.online/wp-content/uploads/2021/07/Nunna-Hen-Business2.jpg)
पार्ट टाइम बिजनेस के वर्कआउट होने से उसने नौकरी को अलविदा कह दिया। इसके बाद उनका पूरा फोकस मुर्गा बिजनेस पर किया। इस तरह टाइम-पास के लिए शुरू किया व्यवसाय अब लगभग 2 करोड़ रुपये का कारोबार तक पहुंच गया है। दूसरों के लिए रोजगार दे पा रहा है। इस युवक का नाम प्रदीप है। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के नुन्ना गांव में रहता है।
प्रदीम को व्यवसाय की शुरुआत में कुछ विपणन कठिनाइयों के चलते कम आय होती थी। इसके चलते उसने सोशल मीडिया पर विश्वास किया। उसने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए अपने धंधे से लोगों को अवगत कराने लगा। इसके चलते उसकी मुर्गियों को बेहतर पहचान मिलना शुरू हो गया।
![](https://telanganasamachar.online/wp-content/uploads/2021/07/Nunna-Hen2.jpg)
प्रदीप ने जैसे-जैसे कारोबार बढ़ता गया तो नुन्ना गांव में प्रदीप फार्म एंड हेचरीस के साथ चिकन वर्ल्ड कंपनी शुरू कर दिया। प्रदीप ने देसी मुर्गे, कडकनाथ, सिल्की, बीवी-380, आरआईआर के साथ टर्की, गिन्नी जाति के मुर्गों का पालन शुरू किया। इस समय प्रदीप के फार्म में एक हजार से ज्यादा कडकनाथ और दो हजार से अधिक अन्य जाति के मुर्गे हैं।
हाल ही में प्रदीप ने बेट (bet) चिकन की फैक्ट्री खोली है। फिलीपींस पेरुवियन जाति के मुर्गियों को आयात करना ही नहीं है, देसीय बेट मुर्गियों के साथ क्रासिंग करके पेरु मुर्गियों का विकास कर रहा है। कहा जाता है कि ऐसा करने से इन मुर्गों में अधिक ताकत और हवा की गति मिलती है।
![](https://telanganasamachar.online/wp-content/uploads/2021/07/murga.jpg)
इसलिए उनके अंडे 3,000 रुपये में बिक रहे हैं। रसंगी, गेरुआ, सीतुवा, व्हाइटनॉट और ब्लैक नाइट जैसे पेरूवियन जाति के मुर्गे 3 लाख रुपये से अधिक ऑनलाइन बाजार में बिक रहे हैं। इस समय फैक्ट्री में लगभग 3,000 सट्टेबाजी मुर्गे हैं। इनकी कीमत 1 लाख से 3 लाख रुपये के बीच है। प्रदीप का कहना है कि मुर्गी पालन करने वाले युवाओं को वह 30 फीसदी सब्सिडी के साथ मुर्गे और मुर्गियां देता है।
अगर कोई ऑनलाइन बुक करता है तो तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों में डिलवरी कर रहा है। हाल ही में पाकिस्तान और नेपाल को कड़कनाथ जाति के 500 चूजे निर्यात किये हैं। इस समय प्रदीप 50 परिवारों को प्रत्यक्ष रूप से आजीविका प्रदान करता है और अप्रत्यक्ष रूप से सौ से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है।