केंद्रीय हिंदी संस्थान: AP मॉडल स्कूल के हिंदी अध्यापकों का 461वां नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह

हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र पर आंध्र प्रदेश राज्य के मॉडल स्कूल के हिंदी अध्यापकों के लिए आयोजित 461वाँ नवीकरण पाठ्यक्रम 10 से 21 जुलाई तक चला। इस पाठ्यक्रम में कुल 42 (22 महिला और 20 पुरुष) प्रतिभागियों ने नियमित कक्षा में उपस्थित रहकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह पाठ्यक्रम क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के नेतृत्व में आयोजित किया गया।

शुक्रवार को नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह संपन्न हुआ। समापन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी ने ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित होकर की। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व प्राचार्य तथा साहित्य आकदमी पुरस्कार से सम्मानित तेलुगु तथा हिंदी साहित्यकार एवं अनुवादक डॉ. निखिलेश्वर, उपस्थित थे। इस अवसर पर अतिथि अध्यापक डॉ. साईनाथ चपले, प्रो. आई. एन. चंद्रशेखर रेड्डी, डॉ. राजीव कुमार सिंह, ऑनलाइन डॉ. सी. कामेश्वरी, डॉ. एस. राधा, केंद्र के सभी सदस्य एवं हिंदी अध्यापक प्रतिभागी उपस्थित थे।

दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके पश्चात हिंदी अध्यापिका जे. सांध्यश्री और उनके समूह द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और संस्थान गीत का गायन मलेश्वरी और उनके समूह के द्वारा सस्वर रूप में किया गया। समापन समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत के. चंदना और उनके समूह ने स्वागत गीत गाकर किया। आंध्र प्रदेश मॉडल स्कूल के हिंदी अध्यापकों ने मंच पर उपस्थित सभी विद्वतजनों का शॉल और पौधा देकर स्वागत एवं सम्मान किया।

आंध्र प्रदेश के मॉडल स्कूल के हिंदी अध्यापक डॉ. जी. वीरेश और पी. रत्नाजी राव और श्री एस. खलील बाषा ने पाठ्यक्रम के दौरान किए गए अध्ययन के संबंध में विस्तार से अपने मंतव्य व्यक्त किए। इस दौरान सुश्री जे. सांध्यश्री ने सत्यम शिवम सुंदरम गीत प्रस्तुत किया। श्री वी. रामानंद सागर ने स्वरचित कविता ‘माँ’ का सस्वर वाचन करके सभी को प्रसन्न किया।

इस नवीकरण पाठ्यक्र में डॉ. गंगाधर वानोडे ने ‘भाषाविज्ञान तथा उसके विविध पक्ष, भाषा परिमार्जन, हिंदी भाषा का उद्भव व विकास’, डॉ. सी. कामेश्वरी ने ‘हिंदी व्याकरण तथा उसके विविध पक्ष’, डॉ. अनीता गांगुली ने ‘संधि, समास, सृजनात्मक लेखन’, डॉ. साईनाथ चपले ने ‘हिंदी साहित्य का इतिहास, पाठ्यपुस्तक विश्लेषण, साहित्य शिक्षण, हिंदी शिक्षण में प्रौद्योगिकी का प्रयोग, हिंदी में रोजगार की संभावनाएँ’, डॉ. राजीव कुमार सिंह ने’ भाषा कौशल, भाषा शिक्षण, पाठयोजना (गद्य, पद्य), शिक्षा मनोविज्ञान, सृजनात्मक लेखन’ विषयों पर व्याख्यान दिया। साथ ही अध्यापकों ने अध्यापन कार्य किया तथा डॉ. राजश्री मोरे ने ‘कथा साहित्य संप्रेषण’ एवं डॉ. आई. एन. चंद्रशेखर रेड्डी ने ‘हिंदी और तेलुगु में शब्द और ध्वनि की व्यतिरेकता : प्रयोग और दोष निवारण की प्रक्रिया’ विषय पर विशेष व्याख्यान दिया।

अंत में पर-परीक्षण लिया गया। पर-परीक्षण में प्रथम स्थान पी. रत्नाजी राव, द्वितीय स्थान रमेश सीपाना तथा तृतीय स्थान नवुडु महेश्वर राव ने प्राप्त किया। इस दौरान प्रतिभागियों द्वारा रचित ‘आदर्शवाणी’ नामक हस्तलिखित पत्रिका का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। समापन समारोह के दौरान प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। समापन समारोह में आशीर्वचन और शुभकामनाएँ देते हुए सर्वप्रथम डॉ. आई. एन.चंद्रशेखर रेड्डी ने कहा कि हिंदी अध्यापक पाठशाला में सबसे विरल हैं क्योंकि वे मानवीय मूल्य बताते हैं, साहित्य मानवता का उद्घाटक है। आप अपने छात्रों को मानवीय मूल्य पढ़ाएँ।

मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे साहित्य आकदमी पुरस्कार से सम्मानित तेलुगु तथा हिंदी साहित्यकार एवं अनुवादक डॉ. निखिलेश्वर ने कहा कि भारत की अद्भुत विशेषता है कि हर व्यक्ति दो भाषाओं को जानता है और सभी को संपर्क भाषा के रूप में हिंदी को सीखने की आवश्यकता है। आप सभी अध्यापक अपनी कक्षाओं में हिंदी में बातचीत करके हिंदीमय वातावरण बनाकर अध्यापन करेंगे ये मेरी कामना है। इस अवसर पर उन्होंने अपनी स्वरचित कविता ‘एक शब्द’ गाकर सभी प्रतिभागियों को प्रतिदिन हिंदी में वार्तालाप करने के लिए कहकर सबको आशीर्वचन दिया।

अतिथि अध्यापक डॉ. सी. कामेश्वरी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि सभी अध्यापकों को ज्यादा व्यवहार में हिंदी को अपनाने पर बल देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। डॉ. राजीव कुमार सिंह ने प्रतिभागी अध्यापकों को आशीर्वचन देते हुए कहा कि अध्यापक को अध्यापन के दौरान भाषा कौशल के माध्यम से पढ़ाने पर बल दिया। डॉ. साईनाथ चपले ने अपने वक्तव्य में कहा कि हस्तलिखित पत्रिका के द्वारा हमें समग्र आंध्र प्रदेश की साहित्य एवं संस्कृति को जानने का अवसर मिला। इसके साथ उन्होंने कहा कि यहाँ जो आपने सीखा है उसे अपने अध्यापन में प्रयोग करें।

क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने अपने वक्तव्य में प्रतिभागी अध्यापकों को नवीकरण पाठ्यक्रम में जो ज्ञानार्जन किया है उसे अपने अध्यापन में अपनाने को कहा और प्रतिदिन एक घंटा दूरदर्शन के समाचार को सुनने को कहा। इसके साथ-साथ उन्होंने संस्थान की जानकारी एवं कार्यों का भी परिचय दिया। संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी जी को केंद्रीय हिंदी निदेशालय का अतिरिक्त प्रभार दिए जाने के लिए हार्दिक बधाई दी।

समापन सत्र के अध्यक्ष निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने कहा कि आपने इस नवीकरण पाठ्यक्रम में जो कुछ सीखा या पाया है उसे दुगनी गति से अपने छात्रों को देंगे यह मेरा विश्वास है। अध्यापक जब तक सीखे हुए ज्ञान का कक्षा में क्रियान्वयन नहीं करेगा तब तक वह अध्यापक नहीं होगा। इसलिए उन्होंने अध्यापन में क्रियान्वयन होने की बात पर बल दिया। आगे उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति के निर्माण में सबसे ज्यादा अध्यापक का स्थान महत्वपूर्ण होता है। इसलिए शिक्षक को हमेशा अद्यतन रहना चाहिए जिससे वह अपने अध्यापन कार्य में सफल हो। अध्यापकों के पास कलाओं का समुच्चय ज्ञान होना चाहिए और ज्ञान का प्रयोग अपने अध्यापन कार्य में करना चाहिए। अंत में उन्होंने सभी प्रतिभागियों को आशीर्वचन देकर उनके भविष्य की कामना की।

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