वर्तमान मौसम के बारे में तेलंगाना के लोग समझ नहीं पा रहे है। वैसे तो यह बारिश का मौसम है। मगर कड़ी धूप से लोग परेशान है। गर्मियों में जब सूर्य की चिलचिलाती धूप से परेशान होते हैं तो सोचते हैं कि अब बस कुछ ही दिनों की बात है फिर मानसून आ जाएगा। इसके बाद झमाझम बारिश होगी। इसके बाद ठंडकाल आ जाएगा।
लोग इस बात को ध्यान में रखते हुए तैयारी कर लेते हैं। स्वेटर्स, रेनकोट व छाते आदि खरीद लेते हैं। ताकि बाहर जाना पडे तो किसी तरह की कोई परेशानी न हो। पर यह सारी तैयारी तब धरी की धरी रह जाती है जब जून तो छोडिये जुलाई का आधा महीना बीत जाए तो भी बारिश के इंतजार में लोग आकाश की ओर देखते है। यह तो वही बात है कि इंतहा हो गई इंतजार की। जी हां, बारिश को लेकर फिलहाल तेलंगाना का यही हाल है।
मीडिया में प्रसारित और प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, भारत के उत्तरी राज्य जहां मूसलाधार बारिश में डूब रहे हैं। बाढ से उनका हाल-बेहाल है। वहीं दक्षिणी राज्य बारिश का इंतजार कर रहे हैं। इंतजार भी ऐसा कर रहे है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। पिछले कुछ दिनों में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली-एनसीआर में बारिश ने न सिर्फ तबाही मचाई है, बल्कि जान-माल का भी भारी नुकसान हुआ है। दूसरी ओर तमिलनाडु को छोड़कर, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे दक्षिणी राज्य और झारखंड, बिहार, असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय जैसे पूर्वोत्तर राज्य अभी भी मानसून के साथ ही बारिश का इंतजार ही कर रहे हैं।
देखा जाए तो अब तक इन राज्यों में अच्छी-खासी बारिश हो जानी चाहिए थी, पर ऐसा नहीं हुआ और एक अच्छी बारिश का अब भी इंतजार है। मगर लगता है कि तेलंगाना पर इंद्रदेव को दया नहीं आ रही है। तभी तो भगवान यहां बरसने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। बारिश और बरसात के नाम पर यहां सिर्फ कभी-कभी बूंदा-बांदी हो रही है और फिर उसके बाद तेज धूप देखने को मिल रही है। हालाँकि पिछले दो दिनों से आंध्र प्रदेश में मध्यम बारिश हो रही है, लेकिन इस तरफ बारिश की बौछारों का कोई संकेत नहीं है। लगता है कि बारिश तेलंगाना को जैसे पूरी तरह भूल ही गई हो।
मौसम विभाग के अनुसार, तेलंगाना के कुल 33 जिलों में से 22 जिलों में कम वर्षा दर्ज की गई है। कृष्णा और गोदावरी बेसिन में पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंची है। इन दो प्रमुख नदियों के बेसिन में बहने वाली सभी 53 बड़ी और छोटी सहायक नदियाँ लगभग सूख चुकी हैं। दूसरी ओर, इस वर्ष कम वर्षा का असर ख़रीफ़ (मॅानसून) सीज़न पर पड़ा है। 1 जून से 12 जुलाई तक राज्य के 33 जिलों में से 22 जिलों में कम बारिश दर्ज की गई। परिणामस्वरूप खम्मम (-50.7%), जगित्याल (-42.7%), वरंगल (-39.2%) और निज़ामाबाद (-38.4%) सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं।
पिछले साल तेलंगाना में इस समय तक 395.6 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। लेकिन इस साल 1 जून से 15 जुलाई तक केवल 150.4 मिमी बारिश दर्ज की गई। दूसरी ओर, जुराला, श्रीशैलम और निज़ाम सागर में शून्य प्रवाह है। नागार्जुन सागर में 4,185 क्यूसेक और एसआरएसपी में 4981 क्यूसेक है। ने मानसून फसलों के भाग्य पर अनिश्चितता पैदा कर दी है। कृष्णा बेसिन में अलमाटी बांध में प्रवाह अब आशाजनक है। अगर कम से कम अगस्त के पहले सप्ताह तक अच्छी बारिश हुई तो किसान बाद में भी खेती शुरू करने की उम्मीद कर सकते हैं। श्रीशैलम में अब तक लाइव स्टोरेज 33.72 टीएमसी (पिछले साल 44 टीएमसी) और नागार्जुनसागर परियोजनाओं में 147 टीएमसी (पिछले साल 165 टीएमसी) है।
मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस बीच, जैसे-जैसे दिन बीतते जा रहे हैं और उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं हो रही है। अब तक तेलंगाना में 1,24,28,723 एकड़ में बुआई हो चुकी है और खेती के लिए केवल 42,76,263 एकड़ में बुआई हुई है। इनमें से 31,88,200 एकड़ कपास और लगभग 3 लाख एकड़ चावल खेती के लिए तैयार है। वैसे तो तेलंगाना में हर दूसरे दिन मौसम विभाग की रिपोर्ट आ रही है। तेज बारिश का अनुमान जताया जा रहा है। असल में सिर्फ कुछ छींटों के साथ ही बरसात जैसे अपना मुंह मोडकर चली जा रही है। इस समय तेलंगाना के लोग देख रहे है कि कब इंद्रदेव मेहरबान होगी और झमाझम बारिश होगी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह मौसम के संतुलन बिगड़ने के लिए सरकार की नीति, पर्यवरण के प्रति लोगों को सही जानकारी नहीं होना है। मुख्य रूप से नेता, अधिकारी और निजी स्वार्थी के लोग ही इसके जिम्मेदार है। जब तक पर्यावरण के संतुलन पर ध्यान हीं दिया जाएगा तब तक मौसम का संतुलन बिगड़ता ही रहेगा। यह ऐसा ही रहा तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भूगतने होगे। वैज्ञानिकों का सुझाव है कि पेड़ों की कटौती पर रोक लगाये और वृक्षारोपण अधिक ध्यान दें।