हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट) : जिमखाना ग्राउंड, सिकंदराबाद, तेलंगाना में आयोजित “दा-मलंग हुनर महोत्सव- भारत के शिल्प, व्यंजन और संस्कृति का उत्सव मनाया गया। यह उत्सव कारीगरों/शिल्पकारों को बढ़ावा देने, उनके शिल्प और कला-कौशल की रक्षा करने और उन्हें एक स्थायी मंच प्रदान करने के लिए आयोजित किया गया।
इस महोत्सव के उद्घाटन के अवसर पर श्री ऋषि कुमार झा, एमडी, मलंग आर्ट्स ने बताया कि ‘हुनर महोत्सव’ में 20 से अधिक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 250 से अधिक कारीगर और शिल्पकार भाग ले रहे हैं। ये शिल्पकार तेलंगाना, आंध्र-प्रदेश, असम, बिहार, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य-प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से यहां पर आए हैं। वे यहां पर अपने उत्कृष्ट स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्पादों को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए आए हैं।
इनके द्वारा निर्मित उत्तम स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्पाद जैसे पिपली का काम, सूखे फूल, जूट-केन, पीतल के उत्पाद, लकड़ी और मिट्टी के खिलौने, अजरख ब्लॉक प्रिंट, ब्लू आर्ट पॉटरी, पश्मीना शॉल, खादी उत्पाद, बनारसी सिल्क, लकड़ी के फर्नीचर, चिकनकारी कढ़ाई, चंदेरी सिल्क, लाख की चूड़ियाँ, राजस्थानी आभूषण, फुलकारी, चमड़े के उत्पाद, मिट्टी के बर्तन, जूट के उत्पाद आदि बिक्री के लिए उपलब्ध थे। मेले में आने वाले संस्कृति प्रेमी यहां पर फूड कोर्ट में देश के हर क्षेत्र के पारंपरिक व्यंजनों का आनंद भी ले रहे थे। साथ ही साथ लोग प्रसिद्ध कलाकारों जैसे अल्ताफ राजा, भूमिका मलिक, अंकिता पाठक, अनिल भट्ट, ख़ुशी आदि और विशेष रूप से हैदराबाद के स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे विभिन्न सांस्कृतिक और संगीत कार्यक्रमों का भी आनंद ले रहे थे।
सरिता सुराणा ने विभिन्न राज्यों से आए हुए कई कारीगरों और शिल्पकारों से बातचीत की और इस हुनर महोत्सव के बारे में उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही। उनमें से प्रायः सभी का यही कहना था कि स्टाॅल का किराया बहुत ज्यादा है और साथ में यहां पर रहने-खाने का खर्च मिलाकर उन्हें कमाई बहुत कम होती है। इस ओर भी ध्यान दिया जाए तो अच्छा होगा। निश्चित रूप से ऐसे आयोजन ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना को बढ़ावा देते हैं और कारीगरों को अपनी विशिष्टता दिखाने के लिए एक बड़ा मंच मिलता है।