हैदराबाद : साहित्य गरिमा पुरस्कार-2024 समारोह का भव्य आयोजन 16 फरवरी को लकड़ी का पुल स्थित अबोड होटल में संपन्न हुआ। साहित्य गरिमा पुरस्कार की संस्थापक अध्यक्ष डॉ अहिल्या मिश्र, महासचिव डॉ रमा द्विवेदी एवं कादम्बिनी क्लब की कार्यकारी संयोजिका मीना मुथा ने संयुक्त विज्ञप्ति में बताया कि साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति, ऑथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया, हैदराबाद चैप्टर एवं कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में यह समारोह आयोजित किया गया।
इस अवसर पर प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि विश्वजीत सपन (IPS, पुलिस महानिदेशक, आंध्र प्रदेश) एवं सम्मानीय अतिथि डॉ अरुण कमल (वरिष्ठ साहित्यकार) मंचस्थ रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो शुभदा वांजपे ने की। डॉ अहिल्या मिश्र (संस्थापक अध्यक्ष) विशिष्ट अतिथि अनंत कदम, सम्माननीय अतिथि श्रीमती शांति अग्रवाल भी मंचासीन हुए। सभी अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया एवं शुभ्रा मोहन्तो एवं साथियों द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।
संस्था की अध्यक्ष डॉ अहिल्या मिश्र ने सभी अतिथियों का शब्द पुष्पों से स्वागत किया और कहा कि युवा पीढ़ी बड़ी ही निष्ठा के साथ साहित्य की सेवा में जुड़ रही है। सभी अतिथियों का सम्मान शॉल-माला से कार्यकारिणी के सदस्यों द्वारा किया गया। मंचासीन सभी अतिथियों का परिचय क्रमशः डॉ सुषमा देवी ,प्रवीण प्रणव, शिल्पी भटनागर, सुहास भटनागर, भगवती अग्रवाल ने दिया। द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि सहस्त्रवधानी पद्मश्री डॉ गरिकिपाटि नरसिम्हा राव का सम्मान डॉ टी सी वसंता एवं डॉ अहिल्या मिश्र ने किया। तीनों अनुवाद पुरस्कार ग्रहीताओं का सम्मान देवा प्रसाद मायला, डॉ श्रीलक्ष्मी एवं डॉ वसंता ने किया।
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संस्था का प्रतिवेदन महासचिव डॉ रमा द्विवेदी ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि साहित्य गरिमा पुरस्कार महिला लेखन को प्रोत्साहित करने एवं प्रतिष्ठित करने हेतु दिया जाता है। इस पुरस्कार को सम्पूर्ण भारत में विस्तार देने के लिए वर्ष 2024 से अखिल भारतीय स्तर के लेखक/लेखिकाओं के लिए हिंदी की विविध विधाओं/कलाओं पर आधृत नौ प्रायोजित पुरस्कार आरम्भ किये गये हैं।

14वाँ साहित्य गरिमा पुरस्कार-2024 डॉ नेहा भंडारकर (नागपुर) कथेतर विधा पर उनकी पुस्तक ”लोकहितैषी राजश्री देवी अहिल्या बाई” जीवनी की को दिया गया। पुरस्कार स्वरूप स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, शॉल-माला एवं इक्कीस हजार रुपए की धनराशि देकर पुरस्कार ग्रहीता को पुरस्कृत किया गया। इस पुरस्कार के प्रायोजक मानवेन्द्र मिश्र रहे है।
‘सिया सहचरी काव्य लेखन पुरस्कार’- श्री रामनारायण ‘हलधर'(कोटा), ‘डॉ गरिकिपाटि नरसिम्हा राव सहस्त्रवधानी तेलुगु अनुवादक पुरस्कार’- श्री टी हनुमंत राव (हैदराबाद), ‘डॉ गरिकिपाटि नरससिम्हा राव सहस्त्रवधानी तेलुगु अनुवादक पुरस्कार’- श्री वाई प्रभाकर (हैदराबाद), ‘डॉ गिरिकिपाटि नरसिम्हा राव सहस्त्रवधानी हिंदी अनुवादक पुरस्कार’- वेंकटेश देवनपल्ली (बंगलौर), ‘श्रीमती शान्ति अग्रवाल कहानी/उपन्यास लेखन पुरस्कार’- श्रीमती सुषमा मुनींद्र (सीहोर म. प्र.), ‘आचार्य कृष्ण दत्त हिंदी साहित्य व्यंग्य / लघुकथा लेखन पुरस्कार’- संतोष सुपेकर (उज्जैन म. प्र.), ‘चंपाई माधव कदम हिंदी लेखन पुरस्कार’- डॉ ज्योति गजभिए (नागपुर), ‘सृजनात्मक तकनीक हिंदी सम्मान’- अंकुश कुमार (नई दिल्ली) ‘कादम्बिनी क्लब साहित्य रत्न सम्मान’- डॉ मदन देवी पोकरना (हैदराबाद) एवं `शुभ्रा मोहन्तो संगीत साधना पुरस्कार’- अंकिता तिवारी (हैदराबाद) को प्रदान किया गया। सभी पुरस्कार ग्रहीताओं का सम्मान करते समय प्रायोजक उपस्थित रहे। प्रवीण प्रणव, पद्मश्री डॉ नरसिम्हा राव, शांति अग्रवाल, प्रदीप दत्त, अनत माधव कदम, डॉ अहिल्या मिश्र, मोहित एवं शुभ्रा मोहन्तो के द्वारा सम्मान राशि प्रदान की गई।

सभी पुरस्कार ग्रहीताओं को पुरस्कार स्वरूप क्रमशः पंद्रह हजार के तीन पुरस्कार ), ग्यारह हजार के दो पुरस्कार एवं पाँच हजार एक सौ के चार पुरस्कारों के साथ शॉल, माला, स्मृति-चिन्ह, सम्मान-पत्र प्रदान करके सभी पुरस्कार ग्रहीताओं को मुख्य अतिथि एवं समस्त अतिथियों के करकमलों द्वारा सम्मानित किया गया। पुरस्कार ग्रहीताओं का परिचय क्रमशः डॉ राशि सिन्हा, सरिता दीक्षित, देवा प्रसाद मायला, डॉ टी श्रीलक्ष्मी, जी परमेश्वर, तृप्ति मिश्रा, डॉ स्वाति गुप्ता, दीपक दीक्षित, ममता जायसवाल, गीता अग्रवाल, डॉ रवि वैद्य ने दिया।
इस अवसर पर सपन ने कहा कि इंटरनेट के युग में पुस्तकीय पठन-पाठन की परंपरा खंडित हो रही है। डॉ अरुण कमल ने कहा कि ये सभी पुरस्कार पुस्तक के स्तरीय मूल्यांकन के आधार पर दिए गए हैं, रचनाकार के नाम को देखकर नहीं। उन्होंने चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता की सराहना की।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो वांजपे ने कहा कि साहित्य का उद्देश्य है लोकमंगल। साहित्य से प्रेम होने के कारण यहाँ पर इतनी उपस्थिति है और आज साहित्य की विविध विधाओं कहानी, काव्य, लघुकथा, व्यंग्य लेखन, सृजनात्मक तकनीक एवं गायन पर पुरस्कार दिए जा रहे हैं। उन्होंने पुरस्कार ग्रहीताओं को अपनी शुभकामनाएँदीं। शांति अग्रवाल एवं अनंत कदम ने अपने उद्गार व्यक्त किए।
सभी सम्माननीय अतिथियों ने समवेत स्वर में आयोजन को भव्य एवं समृद्ध बताया एवं कहा कि ऐसा अनूठा साहित्यिक अनुष्ठान कहीं पर नहीं देखा जिसकी गूँज दक्षिण से आरम्भ होकर समस्त भारत में गूँज रही है। समस्त पुरस्कार ग्रहीताओं ने अपने भाव संक्षिप्त में प्रकट किए। संस्था एवं आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया। मोहित ओझल का सम्मान किया गया। प्रथम सत्र का संचालन एफ एम सलीम ने किया और उनका भी सम्मान किया गया। आभार प्रदर्शन डॉ सुरभि दत्त (संयुक्त मंत्री) ने किया।

द्वितीय सत्र में बहुभाषी काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। सत्र की अध्यक्षता प्रो ऋषभदेव शर्मा ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सहस्त्रवधानी पद्मश्री डॉ गरिकिपाटि नरसिम्हा राव, विशिष्ट अतिथि प्रो गंगाधर वानोडे, डॉ अहिल्या मिश्र, शांति अग्रवाल एवं रामनारायण ‘हलधर’ मंचासीन रहे। अतिथियों का परिचय क्रमशः प्रियंका पांडे, ज्योति नारायण, एवं डॉ आशा मिश्र ने दिया। सभी अतिथियों का सम्मान शॉल एवं माला से किया गया। हिंदी, मराठी, भोजपुरी, अंग्रेजी, गुजराती, राजस्थानी, तेलुगु आदि भाषाओं में काव्यपाठ हुआ।
मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ नरसिम्हा राव ने दुर्गा स्त्रोत का कंठस्थ पाठ किया। अंकिता तिवारी ने मधुर सुर में भजन सुनाया। डॉ रजनी मल्होत्रा, विजय लक्ष्मी बसवा, संतोष सुपेकर, मोहिनी गुप्ता, पुरुषोत्तम कड़ेल, रवि वैद्य, रामनारायण ‘हलधर’, नितेश सागर, चक्रपाल सिंह, पुष्पा वर्मा, राजकुमार यादव, सीताराम माने, विनोद गिरि अनोखा, भावना पुरोहित, डॉ नेहा भंडारकर, ज्योति गजभिए, रेखा अग्रवाल, विजया डालमिया, डॉ जयप्रकाश नागला, डॉ मुमताज सुलताना, डॉ गंगाधर वानोडे, डॉ पंकज मेहता, आरती कुमारी, मोहित आदि कवियों ने काव्यपाठ किया।
प्रो ऋषभदेव शर्मा ने अपनी अध्यक्षीय टिपण्णी में कहा कि ”सभी की रचनाएं अच्छी रहीं, शब्दों पर और ध्यान दें और अभ्यास करें। उन्होंने कहा कि रामनारायण ‘हलधर’ की रचनाओं में जीवन्तता के साथ आक्रोश, असंतोष और सामाजिक परिस्थितियों का सटीक चित्रण है। भव्य एवं समृद्ध कार्यक्रम की बधाई दी एवं अध्यक्षीय काव्य पाठ किया। इस सत्र का सुंदर संचालन मीना मुथा (उपाध्यक्ष) ने किया और धन्यवाद ज्ञापन मोहित ओझल (कार्यकारी महासचिव) ने दिया।
डॉ आशा मिश्र मुक्ता, प्रवीण प्रणव, देवा प्रसाद मायला, सीताराम माने, मोहित ओझल, भूपेंद्र, के राजन्ना ने व्यवस्था में सहयोग दिया। शांति अग्रवाल परिवार एवं मानवेन्द्र मिश्र का विशेष सहयोग के लिए संस्था ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस समारोह में लगभग 150 लोग उपस्थित रहे एवं पुरस्कार ग्रहिताओं के परिवार जन भी समारोह में उपस्थित रहे। नगर के कई गणमान्य व्यक्तियों ने उपस्थित होकर आयोजन को सफल बनाया।