हैदराबाद : चीन और यूरोपीय देशों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के चलते चौथी लहर का खतरा मंडराने लगा है। कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के पीछे ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट को वजह माना जा रहा है। ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट BA-2 दक्षिण कोरिया में कोरोना के मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह ब्रिटेन और कई अन्य यूरोपीय देशों में एक ही दिन में 6 लाख से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं। मगर भारत में तुरंत चौथी लहर आने को लेकर भारतीय वैज्ञानिक चिंतित नहीं हैं।
वैज्ञानिक का कहना है कि दिसंबर 2021 और फरवरी 2022 के बीच आई तीसरी लहर के कारण लोगों की इम्युनिटी बढ़ी हुई है। साथ ही देश के कई राज्यों में वैक्सीनेशन की दर बहुत अधिक है। फिर भी स्वास्थ्य सेवाओं के पूर्व महानिदेशक डॉ सुभाष सालुंखे ने कहा कि हम अपनी तैयारी को कम नहीं कर सकते। दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत में भी चौथी लहर आ सकती है। चौथी लहर के बारे में केवल एक चीज पता नहीं है कि यह वास्तव में कब होगी और यह कितनी गंभीर होगी।
कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट के 50 से अधिक म्यूटेशन हो चुके हैं। इससे उस समय दुनिया भर में खलबली मचा दी थी, जब नवंबर 2021 में पहली बार दक्षिण अफ्रीका में इसका पता चला था। यह वेरिएंट बहुत अधिक संक्रामक था। इस वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही काफी अधिक संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। मगर अब वैक्सीनेशन के कारण इस वेरिएंट की वजह से स्थिति में काफी सुधार हुआ।
कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ शशांक जोशी का कहना है कि भारत में तीसरी लहर के दौरान शुरुआत में ही ओमिक्रॉन केबीए-1 और बीए-2 दोनों वेरिएंट सामने आए थे। भारत में कोविड की नई लहर का फिलहाल कोई खतरा नहीं है। इजरायल में मिले नए वेरिएंट के बारे में जोशी ने कहा कि अभी इसे वेरिएंट ऑफ कन्सर्न (वीओसी) घोषित नहीं किया गया है। इसलिए जब तक एक नया वीओसी सामने नहीं आता, तब तक डरने का कोई कारण नहीं है। फिर भी हमें मास्क पहनना बंद नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिकों का मानना है कि एंटीबॉडी के कम होने पर SARSCoV-2 वायरस लोगों को फिर से संक्रमित कर सकता है। (एजेंसियां)