हैदराबाद : तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में है। रहना पसंद है और चाहते है। जब से हुजूराबाद उपचुनाव हुए तब से केसीआर मीडिया में छाये हुए है। दलितों के लिए दलित-बंधु योजना लागू करके पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। तुरंत दस-दस लाख रुपये दलितों के खातों में जमा किये। हां यह बात अलग है कि कुछ लोगों को दस लाख मिले और कुछ लोगों को नहीं मिले हैं। इसी दौरान केसीआर ने चुनाव के बाद इस योजना लागू रहने और रखने की बात कही। आगे क्या हुआ तेलंगाना के लोग और देश की जनता जानती है।
इतना ही नहीं मीडिया में खबरें छपी है कि टीआरएस ने उस चुनाव में लगभग पांच सौ करोड़ रुपये खर्च किये। वैसे तो बीजेपी ने भी उस चुनाव में पैसे बांटे जाने की भी खबरें आई। मगर टीआरएस से भी कम। टीआरएस से बर्खास्त बीजेपी के उम्मीदवार ईटेला राजेंदर चुनाव जीत गये। वैसे तो अगले दिन से यह खबर मीडिया के सुर्खियों में रहना चाहिए था। मगर केसीआर ने लगातार प्रेस कांफ्रेंस करके खुद सुर्खियों में छा गये।
इसके बाद संविधान बदले की बड़ी बात कह दी। मीडिया की सुर्खियों में आ गये। इसका जमकर विरोध हुआ। तब केसीआर साहब यह भूल गये कि इसी संविधान की ताकत से पृथक तेलंगाना गठन हुआ था। अब उसका नाम तक नहीं ले रहे हैं। हाल ही में ‘थर्ड फ्रंट’ के लिए अनेक राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिले हैं। अब उसका भी नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसे अनेक उदाहरण है केसीआर बातें और वादें जानबूझकर भूल गये और जा रहे हैं। यह सब मीडिया की सुर्खियों में रहे हैं।
इसी क्रम में बुधवार को तेलंगाना राष्ट्र समिति का 21वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस दौरान केसीआर ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ गैर कांग्रेसी दल बनाने की अगुवाई करने वाले अचानक सुर बदला है। उन्होंने कहा कि देश को वैकल्पिक अजेंडे की जरूरत है। राजनीतिक मोर्चों की नहीं। उन्होंने कहा कि मकसद किसी भी पार्टी को नीचा दिखाना नहीं होना चाहिए।
तेलंगाना मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ‘नई राजनीतिक ताकत’ उभरनी चाहिए जिसमें टीआरएस राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार राव है। राव ने कहा कि तेलंगाना अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल के रूप में उभरा है। हालांकि राज्य को इससे कहीं अधिक हासिल करने की जरूरत है। मगर केसीआर यहां पर यह भूल गये है कि उभरे हुए तेलंगाना सरकार ने पांच लाख करोड़ कर्ज क्यों लिया है। आज स्थिति यह है कर्ज लिये तो ही वेतन देने की स्थिति है। अब ऐसे हालत में के चंद्रशेखर राव ने एक राजनीतिक मोर्चे की घोषणा करने की अटकलों पर विराम लगाया। राव ने दावा किया कि वह सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के विचार के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा “मुझे लगता है कि किसी भी पार्टी को सत्ता से हटाने के बजाय लोगों का कल्याण अधिक महत्वपूर्ण है। कई लोग इंतजार कर रहे हैं कि केसीआर राजनीतिक मोर्चे या किसी अन्य मोर्चे की घोषणा करेंगे। कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने कुछ महीने पहले मुझसे मुलाकात की और एनडीए सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सभी को एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। मैंने उनसे कहा कि यह एक बुरा विचार है और इसके लिए साथ नहीं आना चाहिए। यह हमारा काम नहीं बनना चाहिए कि किसे पीएम बनाया जाए या किसी को हटाया जाये। लोगों को पूरी तरह से जीतना चाहिए।”
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी ने भारी अंतरों से जीत दर्ज की। इस जीत के बाद ममता बनर्जी को लगने लगा की वह केंद्र में विकल्प बन सकती हैं। कई विपक्षी नेताओं ने भी यह माना की केंद्र में बीजेपी के खिलाफ अब ममता बनर्जी की बन सकती हैं। ममता बनर्जी ने गैर कांग्रेसी थर्ड फ्रंट बनाने की पहल शुरू की। ममता बनर्जी उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों का दौरा किया और पार्टियों को थर्ड फ्रंट का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया। इसी दौरान पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को बुरी तरह सो हार मिली और वह गैर कांग्रेसी तीसरे मोर्चे को बनाने का सपना लेकर शांत बैठ गईं।
ऐसे में ममता बनर्जी के शांत होने के बाद गैर कांग्रेसी तीसरा मोर्चा बनाने की कमान केसीआर ने संभाली। कुछ दिन पहले देश में विपक्षी पार्टियों को संगठित करने के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने उद्धव ठाकरे समेत विपक्ष के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी। उन्होंने सभी नेताओं को बीजेपी के खिलाफ संगठित होने के लिए कहा था। केसीआर ने इस काम में अभिनेता प्रकाश राज और बेटी के कविता को भी लगाया और अब अचानक चौकाने वाला बयान आया है। आगे न जाने और क्या-क्या बयान आएंगे।
एक बात, प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री लोगों के लिए आदर्श है। क्योंकि ये दोनों पद देश और राज्य की जनता को प्रेरणा देते हैं। लोग उनका अनुकरण या पालन करना चाहते है। यहां पर इस कहावत को याद करना जरूर है। बिल्ली जब दूध पीती है तो आंखें बंद कर लेती है। वह समझती है कि उसे कोई नहीं देख रहा है। यह बिल्ली की बड़ी भूल और भ्रम है। देश की जनता सब जानती है। संविधान ने सब कुछ जानने का अधिकार दिया है।