हैदराबाद: तेलंगाना की राजनीतिक पार्टियां विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी-अपनी रणनीति रचने में जुट गये हैं। इन पार्टियों का लक्ष्य चुनाव जीतना है। हर पार्टी नये-नये आश्वासनों से लोगों को लुभाने कोशिश कर रही है। हर मौके का फायदा उठाना और जनता की नजरों में महान बनने को लालायित है। साथ ही अन्य पार्टी को भला-बुरा कहने से भी राजनेता बाज नहीं आ रहे हैं। शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने वरंगल का दौरा किया। जनसभा को संबोधित किया। मोदी की सभा से तेलंगाना बीजेपी में उत्साह भर दिया।
वहीं बीआरएस ने उनके कार्यक्रम का विरोध किया। गिन-गिन कर मोदी की विफलता पर निशाना साधा और जमकर कटाक्ष किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान काजीपेट में सड़क कार्यों और रेलवे विनिर्माण इकाई की नींव रखी। इस दौरान आयोजित जन सभा को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में युवकों की बेरोजगारी समस्याएं और तेलंगाना सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगया। प्रधानमंत्री के संबोधन समाप्त होते ही बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष और मंत्री केटीआर ने विभिन्न क्षेत्रों में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की विफलताओं और तेलंगाना के प्रति भेदभाव अपनाये जाने का आरोप लगाया। इसके लिए सिलसिलेवार विवरण दिया।
मुख्य रूप से बय्यारम में स्टील फैक्ट्री, जनजातीय विश्वविद्यालय और काजीपेट में कोच फैक्ट्री आवंटित करने की लंबे समय से लंबित मांग जिक्र किया। मंत्री केटी रामाराव ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा तेलंगाना सरकार की आलोचना करना अजीब है। तेलंगाना सरकार ने 2.20 लाख सरकारी रिक्त पदों की भर्ती की है। केटीआर ने आगे कहा कि काजीपेट में कोच फैक्ट्री तेलंगाना की लंबे समय से लंबित मांग थी और यहां तक कि एपी पुनर्गठन अधिनियम के तहत आश्वासन भी दिया गया था। फिर भी प्रधानमंत्री ने 20,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ गुजरात के लिए एक लोकोमोटिव फैक्ट्री को मंजूरी दी। इसके विपरीत तेलंगाना को 520 करोड़ रुपये के मामूली निवेश के साथ एक रेलवे वैगन मरम्मत इकाई आवंटित की गई। यह तेलंगाना के लोगों का अपमान नहीं तो और क्या है। इसी तरह तेलंगाना बय्याराम और जनजातीय विश्वविद्यालय और इस्पात कारखाने की मंजूरी के लिए लंबे समय अपील कर रहा है। सभा में प्रधानमंत्री ने इन मांगों के बारे में कुछ भी नहीं बोले है।
केटीआर ने रिक्त पदों की भर्ती करने में भाजपा सरकार की विफलताओं को सूचीबद्ध किया। केंद्र में सरकारी विभागों में 16 लाख रिक्तियां है। फिर भी प्रधानमंत्री ने तेलंगाना सरकार की आलोजना की है। केसीआर सरकार ने 2.20 लाख पदों की भर्ती की है। यदि प्रधानमंत्री देश में युवाओं के कल्याण के लिए की गई पहलों को सूचीबद्ध करते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे अप्रभावी नेता होने का संदिग्ध गौरव प्राप्त है। सबसे अधिक बेरोजगारी पैदा की है। तेलंगाना सरकार की ओर से भेजे गए विधेयकों को मंजूरी देने में देरी के लिए राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन पर कटाक्ष करते हुए केटीआर ने कहा कि प्रधानमंत्री को राज्यपाल को सलाह देनी चाहिए थी कि विश्वविद्यालयों में रिक्तियों को भरने की कवायद में देरी कर रही हैं।
मंत्री केटीआर ने यह भी कहा कि ऐसे समय में, जब तेलंगाना कृषक समुदाय के कल्याण और विकास को सुनिश्चित करने में अन्य राज्यों के लिए एक मानदंड स्थापित कर रहा है। यह अजीब था कि प्रधानमंत्री ने किसानों के कल्याण के बारे में बात की। कड़े विरोध के बावजूद, भाजपा सरकार ने तीन कृषि कानून पेश किए और 700 किसानों की मौत के लिए जिम्मेदार थी। कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के कल्याण के बारे में बात करना पवित्र ग्रंथों का उपदेश देने वाले शैतानों की तरह है। बीआरएस सरकार पर प्रधानमंत्री की परिवार शासन संबंधी टिप्पणी पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि पूरा तेलंगाना एक परिवार है और मुख्यमंत्री केचंद्रशेखर राव के परिवार के सदस्य हैं। बीआरएस सरकार सभी वर्गों के कल्याण के लिए प्रयास करती है। बीआरएस तेलंगाना परिवार की पार्टी है। तेलंगाना सरकार पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करना और राज्य में आकर खाली हाथ लौट जाना प्रधानमंत्री की आदत बन गई है।
उपर्युक्त नेताओं के बयान से एक बात स्पष्ट होती है कि दोनों पार्टियो ने जनता के साथ धोखा दिया है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आने वाले चुनाव में तेलंगाना के लोगों को शराब और कुछ रकम में लालस में आकर वोट नहीं देना चाहिए। ऐसे नेता और पार्टी को चुनना चाहिए जो लोगों का भविष्य उज्ज्वल करने का संकल्प लेती है। किस पार्टी पर आपको पूर्ण विश्वास है उसी को वोट दें। वर्ना फिर पांच साल तक कोसने के सिवा कुछ नहीं रहेगा।