जीवन का सत्य: सुखद बुढ़ापे की तरफ हिम्मत से बढ़ाये कदम, इसके लिए करें यह पांच कार्य

बुढ़ापा हर व्यक्ति के जीवन का सत्य है। बुजुर्गों को जीवन के बीते दौर में अपने लिए गए कई निर्णयों के परिणामों का सामना करना पड़ता हैं। अगर हम पहले ही समय लेकर भविष्य में आनेवाले मुद्दों को समझने और तदनुसार योजना बनाने लगें तो हमारा भविष्य आसान और अधिक सुखद हो सकता है।

जो व्यक्ति अपनी वृद्धावस्था आने के पहले ही अपनी वृद्धावस्था के लिए योजना बनाना शुरू कर देता है, वो व्यक्ति भविष्य में होनेवाले परिवर्तनों चाहे वो उसके स्वास्थ्य से सम्बंधित हो, वित्तीय हो या सामाजिक परिवर्तन हो ,खुद को आगे के लिए बेहतर तैयार कर सकता है।

योजना बनाते समय, हम सबको किसी अप्रत्याशित चीज़ों पर भी विचार करना चाहिए जैसे कोई बड़ी बीमारी, विकलांगता या संसाधनों में बदलाव जैसे गंभीर मुद्दे भी हमारे विचार का हिस्सा होना ही चाहिए।

वृद्धावस्था में सही जीवन शैली को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को कुछ कदम उठाने की आवश्यकता है तो आइये जानते है कुछ बातों को ध्यान में रखने से हम एक आरामदायक जिंदगी की तरफ कैसे बढ़ सकते है।

1 स्वस्थ जीवन शैली: एक पौष्टिक आहार का पालन करना और नियमित रूप से व्यायाम करना, स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के जोखिम को कम कर सकता है और साथ ही आपकी ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ा सकता है। अच्छा और पौष्टिक खाने से शरीर को पोषक तत्व और विटामिन मिलते हैं जिससे आपको बीमारी को दूर रखने में सहायता मिलती है। अच्छा पोषण आपको मानसिक और शारीरिक रूप से सही रखने में मदद करता है। नियमित व्यायाम आपको आपको चुस्त और मजबूत बनाए रखेगा| नियमित व्यायाम की आदत व्यक्ति को आगे चलकर बहुत सारी बीमारियों से दूर रखने में मदद करती है।

2 नियमित जांच और स्क्रीनिंग: बुजुर्गों को अपने डॉक्टरों के निर्देशों का पालन करना चाहिए और नियमित स्वास्थ्य जांच और परीक्षण करवाते रहना चाहिए। स्वास्थ्य सम्बन्धी जांच स्वास्थ्य समस्याएं को प्राथमिक स्तर पर जान लेने में हमारी मदद करती है, इससे इसका इलाज हालत बिगड़ने से पहले कर लिया जाता है। ऐसे नियमित जांच और स्क्रीनिंग आपको कुछ हद तक एक बेफिक्र जीवन देता है।

3 वित्तीय योजना: भविष्य के खर्चों के लिए व्यक्ति को समझदारी के साथ एक अच्छी योजना बनाने की जरुरत है। सामान्य खर्चों के अलावा अप्रत्याशित चिकित्सा लागत को भी इसमें शामिल किया जाना जरुरी है। अपने पास उपलब्ध आय स्रोतों के बारे में सचेत रहने से व्यक्ति को अपने वांछित जीवन स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है। आय के स्रोतों में व्यक्तिगत सेवानिवृत्ति बचत और निवेश, निजी और सार्वजनिक पेंशन योजना और अन्य वित्तीय सहायता भी शामिल की जानी चाहिए।

4 खुद को किसी पर आधारित ना करना: बुढ़ापे में खुद के दम पर जीने की योजना बनाने में सबसे महत्वपूर्ण कदम व्यक्ति को यह निर्धारित करना होता है कि क्या उम्र बढ़ने के दौरान वह अपनी बदलती जरूरतों को पूरा कर सकता है। बुजुर्ग अपने दैनिक जीवन में कुछ बदलाव लाकर खुद अपने घरों में ही रहना ज्यादा पसंद करते हैं। अगर उन्हें लगता है कि वे अब अपने घर में सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकते हैं, तो वे अपने समाज और परिवार में उपलब्ध विकल्पों का पता लगा कर जीना सुरक्षित बना सकते हैं |

5 पडोसी और दोस्तों के साथ रिश्ते मजबूत रखें: उम्र बढ़ने के साथ साथ एक दूसरे से बनाये रिश्ते भी मजबूत होते जाते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि बुजुर्गों के पास मित्र और सामाजिक संपर्क हों क्योंकि सबसे अलग थलग रहना सही नहीं होता। वे कुछ ऐसे मित्र समूहों में शामिल हो सकते हैं जिनकी एक सी समस्या हो। स्वयंसेवी कार्य भी नए लोगों से मिलने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। सभी उम्र के सामुदायिक सदस्यों के साथ सामाजिक संबंध व्यक्ति को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है पर साथ साथ यह भी जरुरी है कि अपनी दोस्ती के दायरे भी आप खुद बनाये।

बेहतर है कि अपने रिटारमेंट की योजना रिटारमेंट से पहले बनाई जाये। समय से पहले बनाई योजना में हमेशा बदलाव लाया जा सकता है, सुधार किया जा सकता है, क्योंकि आपके पास तब समय होता है। ज़िंदगी की गुणवत्ता इसीमे हैं कि उसे स्वतंत्रता और सम्मान से जिया जाये।

– लेखिका अमृता श्रीवास्तव बेंगलुरु, कर्नाटक

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