सूत्रधार की बड़ी पहल, गणगौर के गीतों का शानदार आयोजन, इन कवयित्रिययों ने किया गानों का पाठ

हैदराबाद : सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, हैदराबाद, भारत प्राचीन भारतीय संस्कृति और लोकगीतों के समृद्ध साहित्य को बढ़ावा देने के लिए विगत 4 वर्षों से अग्रणी संस्था की भूमिका निभाती आ रही है। हमारे देश में वर्ष भर पर्व और त्यौंहारों की धूम मची रहती है और हम उनसे सम्बन्धित रोचक और मनोरंजक कार्यक्रम लेकर दर्शकों के समक्ष उपस्थित होते हैं।

इसी उद्देश्य को लेकर संस्था ने सर्वप्रथम 2 अप्रैल 2022 से 10 अप्रैल 2022 तक चैत्र नवरात्र के समय ‘नौ दिवसीय मातृ भक्ति गीत महोत्सव’ का ऑनलाइन आयोजन किया था। तब से लेकर अब तक यह क्रम निरन्तर जारी है। अब एक बार फिर से संस्था आप सबके लिए चैत्र नवरात्र और उगादि के शुभ अवसर पर इसका आयोजन कर रही है। यह महोत्सव दिनांक 9 अप्रैल से 17 अप्रैल 2024 तक जारी रहेगा।

इस भक्ति गीत महोत्सव के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी एवं गणगौर माता की आराधना हेतु लब्ध प्रतिष्ठ कवयित्रियां पटल पर उपस्थित थीं। संस्थापिका सरिता सुराणा ने माँ के चरणों में सभक्ति वंदन करते हुए माता के श्लोकों से कार्यक्रम प्रारम्भ किया और सभी आमंत्रित मातृ शक्ति का शब्द पुष्पों से स्वागत किया।

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आज़ कोलकाता से श्रीमती विद्या भण्डारी, श्रीमती हिम्मत चौरड़िया और श्रीमती रचना सरन तथा हैदराबाद से श्रीमती प्रभा दूगड़ और श्रीमती हर्षलता दुधोड़िया उपस्थित थीं। हर्षलता दुधोड़िया ने – तूं दुर्गे रानी है, तूं महारानी है, तूं कल्याणी है गीत प्रस्तुत किया। हिम्मत चौरड़िया ने राजस्थानी गणगौर का राजस्थानी लोकगीत- बिरमादास जी रा ईसरदास जी ओ म्हारे घुड़ले रे सामा आय प्रस्तुत किया। प्रभा दूगड़ ने गणगौर के सिंजारा और पूजन के बारे में जानकारी दी और अपनी मधुर आवाज में मेंहदी गीत की शानदार प्रस्तुति दी – मेंहदी ओ मेंहदी इतना बता दो/कौनसा काम किया है/गोरां ने खुश होकर हाथों में थाम लिया है।

युवा कवयित्री रचना सरन ने गणगौर के गीतों की शानदार प्रस्तुति देते हुए कार्यक्रम में समां बांध दिया। उन्होंने- भंवर म्हाने पूजण द्यो गिणगौर, गोर ए गणगौर माता खोल किंवाड़ी, म्हारे माथे में मेमंद ल्याय आदि गीत प्रस्तुत किए। श्रीमती विद्या भण्डारी ने राजस्थानी लोकगीत – माथे में मेमंद पेरो गिणगौर, हो जी रखड़ी री अजब मरोड़ प्रस्तुत करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सरिता सुराणा ने गणगौर का प्रसिद्ध गीत – घुड़ले रे बांध्यो सूत, घुड़लो घूमेला जी, घूमेला/ईसरजी रे जायो पूत घुड़लो घूमेला जी घूमेला प्रस्तुत किया। उन्होंने सभी सहभागियों और श्रोताओं का हार्दिक आभार व्यक्त किया और आगे के कार्यक्रम में भाग लेने हेतु निवेदन किया।

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