कई बार ऐसा देखा गया है कि हर मनुष्य का जन्म संपूर्ण रूप से स्वस्थ रूप में नहीं होता है। कोई मानसिक रूप से विकलांग पैदा होता है। कोई दुर्घटनावश विकलांग हो जाता है। कोई शारीरिक रूप से विकलांग पैदा होता है। कोई शारीरिक रूप से दुर्घटनावश विकलांग हो जाता है। दोनों ही स्थितियों में मनुष्य का जीवन संघर्षों से भरा हो जाता है। खुद के लिए भी और उसके अपने रिश्तेदारों के लिए भी परेशानियां पैदा करता है।
विकलांगता किसी के हाथ में तो है नहीं। इसलिए ऐसी स्थिति में विकलांगों के लिए विशेष व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे उनका जीवन भी सुलभ तरीके से व्यतीत हो सके। इस गंभीरता को देखते हुए विकलांग दिवस मनाया जाने लगा। ताकि उन पर विशेष ध्यान दिया जा सके। उनके लिए अधिक योजनाएं बनाई जा सके। सबका ध्यान भी इस और होना जरूरी है कि वह भी समाज के अंग हैं। संयुक्त राष्ट्र आमसभा के द्वारा विकलांगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस 1981 को घोषित किया गया था। 1992 से विकलांगता दिवस मनाया जाने लगा है।
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मन की बात में 2015 में विकलांग को दिव्यांग नाम दिया। आजकल सरकार और अनेक सामाजिक संस्थाएं उनके कल्याण के लिए कल्याणकारी योजनाएं बना रही हैं। उनकी ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण की सुविधा के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। अनेक प्रकार के उपकरण वितरित किए जाते हैं। उनके प्रति सभी मधुर व्यवहार रखते हैं और उनके सहयोग के लिए तैयार रहते हैं।
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भारत में दिव्यांगों को 3 दिसंबर 2020 को टी-24 डिसेबिलिटी फाउंडेशन द्वारा 10 दिव्यांगों को स्थाई नौकरी देकर स्वावलंबन बनाया। इस दिन समाज को यह याद दिलाया जाता है कि सबको समान अधिकार है उनको भी बेहतर मान सम्मान मिले।
- भारत सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के लिए 2016 का अधिनियम बनाया जिसमें उनके लिए सम्मानजनक जीवन जीने और 21 तरह के विकलांगों को उसमें शामिल किया। इसके अंतर्गत सामाजिक सुरक्षा रोजगार, शिक्षा की गारंटी, राष्ट्रीय विकलांग वित्त एवं विकास निगम द्वारा रियायती दर पर ऋण, “सुगम्य पुस्तकालय” 2016 ‘ शुरू किया, जिससे वह ऑनलाइन किताबें पढ़ सकते हैं। अवरोध मुक्त वातावरण तैयार करना, दिव्यांग युवक-युवती से शादी करने पर, सामान्य युवक-युवती को अनुदान और प्रोत्साहन देना आदि शामिल किए गए हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस हर वर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष का थीम है “समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा देना।”
- इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें दिव्यांगों के भलाई के लिए और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है, इसमें विशिष्ट तीन पहिया स्कूटर, पेंशन आदि के बारे में बताया जाता है। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग तीन अधिनियमों का संचालन करता है। जिससे उनके लिए सुरक्षा और समान अवसर मिलने का मार्ग प्रशस्त करना है।
- आज दिव्यांग समाज में अपना सिर उठाकर ऊंचा चलने लगे हैं और आवश्यकता अनुसार उनको उपकरण मिलने लगे हैं। जिससे उनकी जिंदगी बेहतर होने लगी है और रोजगार भी उनको उपलब्ध होने लगे हैं। जिससे उनका जीवन निर्वाह ठीक प्रकार चलने लगा है।
- दिव्यांग अपने परिवार को स्वयं ही चला रहे हैं।
- तेलंगाना में मंदाकृष्णा मादिगा के नेतृत्व में दिव्यांगों की समस्याओं को लेकर बहुत बड़ा आंदोलन चलाया गया। इसके चलते सरकार ने उनकी मांगों का सहानुभूतिपर्वक विचार किया गया और अनेक सुविधाएं प्रदान की गई।
के पी अग्रवाल हैदराबाद