पितृ दिवस पर विशेष : मेरी पहचान है पिता

हर साल 16 जून को पितृ दिवस यानी फादर्स डे मनाया जाता है। जब हम बड़े हो जाते हैं तब पिता का नाम आते ही बचपन के वो मधुर पल याद आने लग जाते हैं।

हमें पिता के साथ बिताए, उंगली पड़कर चलाना घर से निकलते हुए सर्वप्रथम थोड़ा सा बाहर को घुमा कर लाना और फिर किसी मेले में या भगवान के दर्शन करने में अपने कंधे पर बैठ कर सब चीजों का नजारा दिखाना और टिक टिक करते हुए घोड़ा बनना मालूम है। इसके अलावा स्कूल में छोड़ने जाना और आंसू बहते हुए छोड़कर हमारे भविष्य को ध्यान में रखकर स्कूल छोड़ आना, बड़े होने पर अच्छे बुरे की सीख देना याद है।

साथ ही अच्छी पढ़ाई के लिए थोड़ा प्यार और दुलार एवं फटकार भी लगाना सब जीवन का अंग पिता संग रहा है। हर पिता की इच्छा होती है कि उसकी संतान उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर एक महत्वपूर्ण अव्वल स्थान प्राप्त करें। पिता एवं परिवार का नाम रोशन करें। वह अपना सब सुख भूल कर तंगी में भी अपनी संतान का भविष्य बनाता है।

यह भी पढ़ें-

कुछ संगठनों द्वारा अनौपचारिक थीम घोषित की गई थी-

  1. 2019- पिता और पुत्री एक अटूट बंधन
  2. 2020- सभी पिताओं को धन्यवाद
  3. 2021- पिता : पहला शिक्षक, पहला कोच, पहला हीरो
  4. 2022-पिता: हमेशा मौजूद
  5. 2023- हमारे जीवन के महा नायकों का जश्न
  6. 2024- सेलिब्रेटिंग फादरहुड, स्ट्रैंथ, लव एंड सैक्रिफाइस

हर दिन विशेष होता है उसी को ध्यान में रखकर एक विशेष दिन बना दिया गया है जो उस दिन के महत्व को बढ़ा देता है। हर एक दिवस के पीछे कुछ न कुछ लगाव अवश्य होता है। इस लगाव को कर्तव्य बोध से बांधकर नया रूप दिया जाता है। ताकि उस दिवस को खूब धूमधाम से मनाया जा सके।

16 जून को मनाया जा रहे फादर्स डे पर संतान का भी कुछ फर्ज बनता है कि वह अपने पिता का पूरा ख्याल करें। उनको कोई उपहार दें। उनको खुशी महसूस करायें और कहीं घुमा कर लायें। उनकी जो इच्छा अधूरी रह गई हो उसको पूरी करें। अगर कहीं विदेश या बाहर हो तो उनसे वार्तालाप करके उनको खुशी प्रदान करें। आजकल सोशल मीडिया का जमाना है।

बाहर रहने वाले बच्चे वीडियो कॉल करके अपनी शक्ल भी दिखा देते हैं और पिता की भी शक्ल देख लेते हैं तो बड़ी खुशी महसूस होती है। एक दूसरे से वार्तालाप करके आनंद मय हो जाते हैं। इस अवसर पर कई संतान अपने पिता को अनेक प्रकार के उपहार देते हैं तथा घूमने फिराने ले जाते हैं और उनकी खाने पीने का पूरा ध्यान रखते हैं।

सर्वप्रथम 19 जून 1910 को अमेरिकी महिला सोनोरा स्मार्ट डोड के प्रयासों से फादर्स डे दिवस अस्तित्व में आया, तब से दुनिया भर में जून के तीसरे रविवार को यह दिवस मनाया जाने लगा। पितृ दिवस के दिन पिता के प्रति आभार प्रकट करने का दिन है, हर एक के जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान है। पिता द्वारा दी गई सीख पूरे जीवन कार्य आती है। उनके द्वारा जो संस्कार दिए जाते हैं वह जीवन भर साथ देते हैं। और जीवन के हर मोड़ पर आगे बढ़ने का साहस देते हैं।

यह सब पिता की ही देन है की संतान इस दुनिया में आई है। कहते हैं न कि पितृ कर्ज कभी नहीं उतर जा सकता। अतः हमें भी चाहिए कि हम पितृ दिवस को एक खास दिन मनायें और पिता को भरपूर खुशियां और आनंद दें।

मेरी पहचान है पिता,
मेरी ताकत है पिता,
मेरा सम्मान है पिता
मेरा अस्तित्व है पिता।

लेखक के पी अग्रवाल हैदराबाद

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