एक बेटा ऐसा भी, मां को जिंदा दफनाने के लिए खोदा गड्ढा

हैदराबाद : मां को छठवां प्राण कहा जाता है। माना और कहा जाता है कि भगवान हर जगह नहीं होता है, इसीलिए ईश्वर ने महिला को मां के रूप में धरती पर भेजा है। मां अपने बेटे को नौ महीने पेट में पालती है। तकलीफ झेलकर बेटे को जन्म देती है। ऐसी पवित्र मां को बहुत से बेटे मां के गुजर जाने के बाद मंदिर बनाकर उसकी पूजा करते हैं।

मगर कुछ बेटे ऐसे भी होते है जो मां को जिंदा ही दफनाने की कोशिश करते हैं। हाल ही में कुछ ऐसा ही एक वाकया तेलंगाना के यादाद्री भुवनगिरी जिले में सामने आया है। बुढ़ापे में जीवन यापन के लिए पैसे देने से बचने के लिए एक व्यक्ति ने अपनी मां को जिंदा ही दफनाने के लिए खेत में गड्ढा खोद डाला है।

विलंब से मिली जानकारी के अनुसार, यादाद्री भुवनगिरी जिले के मोत्कुर मंडल के अनाजिपुरम गांव निवासी बुच्ची मल्लय्या और सालम्मा को तीन बेटे- नरसिम्हा, ऐलय्या और वेंकटय्या के अलावा चार बेटियां हैं। सभी की शादियां हो चुकी है। 20 साल पहले मल्लय्या की मौत हो गई।

इसके चलते तीनों बेटे मिलकर मां को हर महीन 600 रुपये के हिसाब से छह महीन के लिए 3600 रुपये देने पर राजी हो गये। इसी बीच वेंकटय्या पिछले चार-पांच साल से अपने हिस्से के पैसे देना बंद कर दिया। इसी बात को लेकर तीन भाइयों के बीच अक्सर झगड़ा होता था।

इसी क्रम में वेंकटय्या ने इस महीने की 16 तारीख को पत्नी के साथ मिलकर पिता की समाधि के पास ही मां को जिंदा ही दफनाने के लिए गड्ढा खोदा। जैसे ही गांव वालों को इस बात की खबर मिली तो उन्होंने वेंकटय्या को कड़ी चेतावनी दी। इसके चलते वेंकटय्या ने जाकर गड्‍ढा को बुझा दिया। दूसरी ओर वेंकटय्या की मां ने पिछले महीने की 30 तारीख को यादाद्री कलेक्टर के पास आजीविका भुगतान न करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की है।

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