हैदराबाद: दो दिन पहले इंटर फर्स्ट ईयर के रिजल्ट घोषित किये गये। तब से तीन छात्रों ने आत्महत्या की है। एक अन्य छात्र ने ट्वीट किया कि वह आत्महत्या कर रहा है। इसके लिए मंत्री केटीआर और सबिता इंद्रा रेड्डी जिम्मेदार हैं। छात्र संघों ने आरोप लगाया कि इन छात्रों की आत्महत्याओं के लिए सरकार और इंटर बोर्ड जिम्मेदार हैं।
इस बार 4,59,242 छात्रों ने फर्स्ट ईयर परीक्षा लिखी थीं और इनमें से 2,24,012 उत्तीर्ण हुए है। अधिकारियों ने परीक्षा रिजल्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहली बार है, जब 2,35,230 छात्र फेल हो गये हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल रिजल्ट में 11 फीसदी कमी आई है। पास हो चुके अधिकांश छात्र बोर्ड के निर्धारित मार्क के बार्डर पर हैं। बोर्ड के अधिकारियों ने मीडिया को लीक किया कि फैल छात्रों को न्यूनतम अंकों के साथ पास किया जाएगा। मगर अब इस बारे में कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।
इस बात की आलोचना की जा रही है कि बीतों सालों में इंटर रिजल्ट में हो चुकी गलती के कारण अनेक छात्रों ने आत्महत्या की थी। मगर सरकार ने उस घटना से सबक नहीं सीखा है। संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि इस बार रिजल्ट जारी किये जाने तक छिपाकर रखा गया। साथ ही रिजल्ट भी साल-दर-साल विवरण नहीं दिया गया। सरकारी कॉलेजों और गुरुकुलों में भी रिजल्ट में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
इसी क्रम में एसएफआई, पीडीएसयू और एनएसयूआई छात्र संगठनों ने फर्स्ट ईयर परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों के लिए न्याय की मांग को लेकर इंटर बोर्ड के सामने धरना दिया। अंक कम होने के कारण छात्र सुबह से इंटर बोर्ड कार्यालय के पास जमा हो गये। छात्र संगठनों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर बड़े पैमाने पर पुलिस को तैनात किया गया। किसी को भी अंदर जाने नहीं दिया गया। बैरिकेड्स लगाये गये। पुलिस ने छात्रों के साथ आये एसएफआई नेताओं को भी रोका। इसके चलते सभी बोर्ड के गेट सामने धरने पर बैठ गये। नेताओं ने कहा छात्रों की आत्महत्याओं के लिए सरकार और इंटर बोर्ड जिम्मेदार है। उन्होंने फेल हुए सभी छात्रों को पास करने की मांग की। इसके चलते वहां पर तनाव स्थिति उत्पन्न हो गई। पुलिस सभी को गिरफ्तार किया और थाने ले गई।
दूसरी ओर इंटर बोर्ड ने कहा कि फर्स्ट ईयर में फेल होने वाले छात्र अप्रैल में परीक्षा दे सकते हैं और अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। बोर्ड सचिव उमर जलील ने कहा कि मंत्री के निर्देश पर पुन: सत्यापन शुल्क आधा किया गया है। रिजल्ट में कोई हेराफेरी नहीं हुई। संदेह होने पर दोबारा मतगणना व पुन: सत्यापन कराया जाएगा। कोरोना के चलते परीक्षा के लिए 70 फीसदी पाठ्यक्रम दिया गया और प्रश्नों में भी विकल्प बढ़ा दिये गये।
शनिवार को सुबह से ही इंटर बोर्ड कार्यालय के सामने तनाव की स्थिति है। छात्र संगठन के नेता और छात्र धरने पर बैठे हैं। बड़े पैमाने पर पुलिस तैनात है। आपको बता दें कि इंटरमीडिएट सेकंड ईयर की परीक्षाएं 25 अक्टूबर से और 3 नवंबर से फर्स्ट ईयर की परीक्षाएं आयोजित की गई थी।