भारत की आजादी के बाद संविधान सभा में भारत के स्थायी संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए डॉ बी आर अंबेडकर की अध्यक्षता में एक संविधान मसौदा समिति का गठन किया गया। इस समिति ने 4 नवंबर, 1947 को सदन में भारतीय संविधान का प्रारूप रखा। इसे तैयार करने में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संसद में, भारत के संविधान के लागू होते ही हमारा देश लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।
राष्ट्रीय पर्व
इसलिए देश भर में 26 जनवरी ‘गणतंत्र दिवस’ को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। इसके अलावा गांधी जयंती, स्वतंत्रता दिवस को भी राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। इस दिन देश भर में सरकारी कार्यालयों व खास तौर से स्कूल-कालेज में विद्यार्थी, परेड, खेल, नाटक, भाषण, नृत्य, गायन, निबंध लेखन व सामाजिक अभियानों में मदद द्वारा स्वतंत्रता- सेनानियों के किरदार निभा कर, इस उत्सव को मनाते हैं।
दिल्ली की परेड
26 जनवरी को भारत सरकार द्वारा नयी दिल्ली के राजपथ पर बडा कार्यक्रम रखा जाता है। झंडारोहण व राष्ट्रगान के बाद, भारत के राष्ट्रपति के समक्ष इंडिया गेट पर भारतीय सेना द्वारा परेड किया जाता है। साथ ही, सेना द्वारा अत्याधुनिक हथियारों, टैंकों का प्रदर्शन किया जाता है, जो हमारे राष्ट्रीय शक्ति का प्रतीक है। आर्मी बैंड, एन सी सी कैडेटस व पुलिस बल विभिन्न धुनों के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
राज्यों में गणतंत्र दिवस
देश के विभिन्न राज्य विशेष झांकियों के माध्यम से अपनी संस्कृति, परंपरा व प्रगति को प्रदर्शित करते हैं। रंग-बिरंगे गुब्बारों व भारतीय वायुसेना द्वारा राष्ट्रीय झंडे के रंगों की तरह आसमान से फूलों की वर्षा की जाती है। राज्यों में भी इस उत्सव को राज्यपाल की मौजूदगी में बेहद शानदार तरीके से मनाया जाता है ।
प्रतिज्ञा
आजादी के इस अमृतवर्ष में हर भारतीय को अपने देश को शांतिपूर्ण व विकसित बनाने के लिये प्रतिज्ञा करनी चाहिए। हमें उन अनगिनत शहीदों को भी याद करना चाहिए जिनके बलिदान से हमें आजादी नसीब हुई है।
ऐ मेरे वतन के लोगों…
पंडित प्रदीप जी का लिखा व स्वरकोकिला लता मंगेशकर द्वारा गाया यह 26 जनवरी का गीत है- ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा, ये शुभ दिन है, हम सबका लहरालो तिरंगा प्यारा। पर मत भूलो सीमा- पर, वीरों ने है प्राण गँवाए, कुछ याद उन्हें भी कर लो, जो लौट के घर न आए। ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।’
– वरिष्ठ लेखक और कवि गजानन पाण्डेय, हैदराबाद