हैदराबाद: गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र के प्रोफेसर दत्ता साकोले एवं हैदराबाद के बद्रुका कॉलेज की असोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुषमा देवी के सम्पादन में ‘रेखानुबंध’ नामक गौरव ग्रंथ का लोकार्पण समारोह विवेक वर्धिनी महाविद्यालय, जामबाग के सभागार में संपन्न हुआ। इस पुस्तक में लगभग 40 संस्मरणात्मक लेख संग्रहित हैं, जो विवेक वर्धिनी महाविद्यालय की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष एवं प्राचार्य डॉ. रेखा शर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित है। डॉ. रेखा शर्मा जैसे शिक्षक शिक्षण जगत में अपने ज्ञान एवं शिक्षण कर्म के द्वारा मानवीय धरातल को पुष्ट करती हैं।
पुस्तक लोकार्पण समारोह कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य अतिथि औरंगाबाद से डॉ. भीमराव अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति डॉ. विजय पंढरीपांडे, अध्यक्ष विवेक वर्धिनी शिक्षण संस्था के अध्यक्ष सदाशिव सावरीकर, प्रमुख वक्ता, हैदराबाद से दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा, विशेष अतिथि हैदराबाद से विवेक वर्धिनी शिक्षण संस्था प्राथमिक पाठशाला समिति की कार्यकारिणी सदस्य एवं अध्यक्ष डॉ. कांचन जतकर, विशेष अतिथि हैदराबाद से विवेक वर्धिनी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. डी. विद्याधर तथा डॉ. रेखा शर्मा के परिजन, विद्यार्थीवृन्द आदि उपस्थित थे। डॉ. रेखा शर्मा के द्वारा निरंतर प्रेरणा प्राप्त करते हुए कई विद्यार्थियों ने अपने जीवन में सफलता के परचम लहराएँ हैं| डॉ. रेखा शर्मा ने कई वंचित विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता करते हुए उनके जीवन में शिक्षा का प्रकाश भरा है।
डॉ. साकोले दत्ता ने इस सन्दर्भ में स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरे जैसा शिष्य, जो कि अत्यंत पिछड़े ग्रामीण परिवेश से हैदराबाद आया था। डॉ. रेखा शर्मा की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से आज महाराष्ट्र के बड़े कॉलेज में एक प्रोफेसर है। इस अवसर पर डॉ. विजय पंढरीपांडे ने कहा कि उन्हें अपने शिक्षक से ही यह ज्ञात हुआ कि विद्यार्थियों को क्या नहीं पढ़ाना चाहिए। साथ ही कई प्रसंगों का उल्लेख करते हुए डॉ. रेखा शर्मा की उत्तम शिक्षक के रूप सराहना की। सदाशिव सावरीकर ने इस लोकार्पण समारोह के लिए अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की।
प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि आज के इस गौरव-ग्रंथ का लोकार्पण होना ही चाहिए। सज्जनता की प्रशंसा और दुर्जनता की निंदा करने वाला समाज ही जागरुक कहा जाता है। विशेष रूप से प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा ने गुरु के मातृ-पितृ तुल्य व्यक्तित्व को शिक्षक का अपरिहार्य गुण बताया। डॉ. कांचन जतकर ने डॉ. रेखा शर्मा के समन्वयात्मक व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए उनके औदार्य की सराहना की। डॉ. डी. विद्याधर ने डॉ. रेखा शर्मा के वैदुष्य को रेखांकित करते हुए उन के विविध रचना कर्म, विविध राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों के आयोजन तथा लघु व बृहद शोध परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए गए वक्तव्य के बारे में बताते हुए डॉ रेखा शर्मा के गरिमामयी व्यक्तित्व का उल्लेख किया।
इस अवसर पर पर डॉ. सुषमा देवी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए ‘रेखानुबंध’ में संग्रहित लेखों का परिचय देते हुए क्रमशः सभी लेखों की संक्षिप्त में समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पाठक समाज इस पुस्तक को पढ़कर अवश्य ही प्रेरणा प्राप्त कर सकेंगे। पुस्तक लोकार्पण समारोह के इस अवसर पर महानगर तथा भारत के अन्य राज्यों से डॉ. रेखा शर्मा के विद्यार्थीवृंद ने उपस्थित होकर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ. रेखा शर्मा ने विद्यार्थियों तथा सभी आयोजकों के प्रति बड़ी ही विनम्रतापूर्वक धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि उनके व्यक्तित्व-निर्माण में उनके स्वर्गीय पिता के सैन्य अनुशासन तथा पारिवारिक सौहार्दपूर्ण वातावरण का सबसे बड़ा योगदान रहा है।
इस अवसर पर डॉ. रेखा शर्मा के बड़े भाई प्रमोद शर्मा, उनकी भतीजी सुश्री रितु, सुपुत्री दीक्षा पंचधर तथा सखी सुदेश सुमंत एवं भाभी लीना शर्मा आदि ने डॉ. रेखा शर्मा के प्रति अपनी गौरवपूर्ण अनुभूतियों को व्यक्त किया। प्रोफेसर दुर्गेशनंदिनी, डॉ. अनुपमा तथा डॉ. रेखा शर्मा के प्रथम छात्र ए.सी.पी. संजय, सुश्री रेखा, सुश्री नेहा व अन्य विद्यार्थीवृन्दों ने अपने विचार साझा करते हुए इस समारोह की सार्थकता को व्यक्त किया। हिंदी जगत से कई गणमान्य व्यक्ति ’रेखानुबंध’ गौरव ग्रंथ के लोकार्पण समारोह के साक्षी बनें।