हैदराबाद: कानूनी विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी सवाल कर रहे हैं कि व्यापक जांच होने से पहले वे कैसे कह सकते हैं कि प्रवलिका ने प्रेम-प्रसंग संबंध के कारण आत्महत्या की। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि पुलिस का रवैया अनैतिक है और उनकी तत्काल जांच से लड़की की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा भंग हो सकती है और उसके परिवार पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने स्पष्ट किया और सुझाव दिया कि पीड़िता के परिवार के सदस्य जिम्मेदार पुलिस के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर सकते हैं। कोर्ट से सीबीआई की जांच की मांग भी की जा सकती है। वरंगल जिले की प्रवलिका 18 दिन पहले हैदराबाद आई थी। वह अशोक नगर के एक छात्रावास में रह रह रही थी और ग्रुप परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। हालांकि, अभी कारण स्पष्ट नहीं होने के बावजूद प्रवलिका ने हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली।
प्रवलिका की आत्महत्या के 24 घंटे से भी कम समय के बाद सेंट्रल ज़ोन के डीसीपी वेंकटेश्वरलू ने एक मीडिया कॉन्फ्रेंस की और स्पष्ट किया कि उसने प्रेम प्रसंग के चलते अपनी जान दे दी। प्रवलिका के मोबाइल फोन पर शिवराम राठौड़ नाम के युवक से चैट मिली है। वहीं प्रवलिका ने वास्तविक ग्रुप 2 परीक्षा के लिए आवेदन भी नहीं किया। इसी क्रम में एक चैनल डिबेट में मंत्री केटीआर ने भी पुलिस का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की है।
हालांकि, एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि प्रवलिका की मौत की जांच पूरी होने से पहले डीसीपी और मंत्री द्वारा की गई टिप्पणियां उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को भंग पहुंचा रही है। यह पूरी तरह से अनैतिक और गैर जिम्मेदाराना है। इस तथ्य को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है कि कानून में विशेष रूप से लड़कियों/महिलाओं के लिए कुछ विशेष सुरक्षाएं प्रदान किये गये हैं। पुलिस द्वारा जारी सुसाइड नोट में कहीं पर भी यह नहीं लिखा कि वह प्रेम-प्रसंग के कारण अपनी जान दे रही है।
प्रवलिका कांड पर प्रतिक्रिया देते हुए एक सेवानिवृत्त एडिशनल एसपी ने कहा कि इन मामलों की जांच 24 घंटे के भीतर पूरी करना असंभव है। उन्होंने बताया कि घटनास्थल पर मिले मोबाइल फोन का डाटा प्राप्त करने के लिए उसे फॉरेंसिक लैब में भेजने के साथ ही गूगल को पत्र लिखना होगा। इतना सब होने के बाद डेटा को पुनः प्राप्त करने और हमारे हाथ आने तक कम से कम तीन दिन से एक सप्ताह तक का समय लग सकता है।